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रुलाकर चले गए सबको हंसाने वाले जूनियर महमूद

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दिग्गज बॉलीवुड हास्य अभिनेता, गायक, निर्देशक और चरित्र अभिनेता नईम सैय्यद – जिन्हें ‘जूनियर महमूद’ के नाम से जाना जाता है – का शुक्रवार सुबह निधन हो गया। वह लंबे समय से कैंसर से पीड़ित थे। जूनियर महमूद को पेट के कैंसर के इलाज के लिए टाटा मेमोरियल कैंसर अस्पताल में भर्ती कराया गया था और इलाज के वह घर पर ही स्वास्थ्य लाभ कर रहे थे। उनकी हालत अचानक बिगड़ गई और उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया, लेकिन आज सुबह वह दुनिया को अलविदा कह गये। उनके कैंसर का पता अंतिम चरण में चला। तब तक यह यकृत, फेफड़ों और आंत में ट्यूमर के साथ फैल गया था और पीलिया के कारण जटिल हो गया था।

मशहूर अभिनेता जूनियर महमूद नहीं रहे। पेट के कैंसर के चलते 67 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया है। अभिनेता का पेट का कैंसर चौथी स्टेज पर पहुंच गया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक अभिनेता का निधन अपने आवास पर हुआ। उनका उपचार परेल के टाटा मेमोरियल अस्पताल से चल रहा था। लेकिन, कैंसर से जंग में वे हार गए। उनका अंतिम संस्कार आज दोपहर साढ़े बारह बजे जुहू कब्रिस्तान में होगा। बता दें कि जूनियर महमूद ने ‘हाथी मेरे साथी’, ‘कारवां’ और ‘मेरा नाम जोकर’ सहित कई चर्चित फिल्मों में काम किया था। 

जूनियर महमूद के निधन की पुष्टि उनके करीबी दोस्त सलाम काजी ने की है। बता दें कि उपचार के दौरान अभिनेता महमूद ने अपने पुराने दोस्तों, अनुभवी अभिनेता जितेंद्र और सचिन पिलगांवकर से मिलने की इच्छा जाहिर की थी। इसके बाद सचिन और जितेंद्र जूनियर महमूद से मिलने पहुंचे थे। मुलाकात के दौरान सचिन ने बीमार अभिनेता से यह भी पूछा कि क्या वे कोई मदद कर सकते हैं? हालांकि, महमूद के बच्चों ने किसी तरह की मदद से इनकार कर दिया था।

अभिनेता जूनियर महमूद के निधन की खबर से इंडस्ट्री गमगीन है। वे इंडस्ट्री के उन सितारों में शुमार रहे, जिन्होंने पांच दशक से ज्यादा समय इंडस्ट्री में बिताया। रिपोर्ट्स के मुताबिक जूनियर महमूद का नाम नईम सय्यद था और उन्हें ये पेन नेम दिग्गज कॉमेडियन महमूद ने दिया था।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अभिनेता को करीब एक महीना पहले ही अपनी कैंसर संबंधी बीमारी के बारे में मालूम चला था। तब तक बहुत देर हो गई थी और उनकी सेहत भी काफी ज्यादा बिगड़ गई थी। उनके करीबी दोस्त सलाम काजी ने कहा कि उनकी सेहत बिगड़ती ही जा रही थी और वे लाइफ सपोर्ट पर थे, लेकिन दुखद कि वे बच नहीं सके।

अनुभवी चरित्र अभिनेता जूनियर महमूद, जो कारवां, हाथी मेरे साथी और मेरा नाम जोकर जैसी प्रतिष्ठित बॉलीवुड फिल्मों में अपनी भूमिकाओं के लिए जाने जाते हैं, का 67 वर्ष की आयु में निधन हो गया। महमूद जूनियर, जिनका असली नाम नईम सैय्यद था, ने अपनी अभिनय यात्रा तब शुरू की जब वह बहुत छोटे थे। जब वह सिर्फ बच्चे थे तब उन्होंने “मोहब्बत जिंदगी है” (1966) और “नौनिहाल” (1967) जैसी फिल्मों में शानदार काम किया। लेकिन उनके लिए चीजें वास्तव में बदल गईं जब उन्होंने 1968 में फिल्म “सुहाग रात” में प्रसिद्ध हास्य अभिनेता महमूद के साथ कार्य किया। इसी दौरान उन्हें ‘जूनियर महमूद’ उपनाम मिला, जो उन्हें सीनियर महमूद ने दिया था।

जूनियर महमूद, फिल्मों में बड़ा करियर
जूनियर महमूद सात अलग-अलग भाषाओं में 260 से अधिक फिल्मों में अभिनय के लिए प्रसिद्ध हुए। उनकी कुछ प्रसिद्ध फिल्मों में “कारवां,” “हाथी मेरे साथी,” “मेरा नाम जोकर,” “ब्रह्मचारी,” “कटी पतंग,” “हरे राम हरे कृष्णा,” और कई अन्य शामिल हैं। वह अलग-अलग भूमिकाएं निभाने, अपने अभिनय से लोगों को हंसाने और कभी-कभी रुलाने में भी बहुत अच्छे थे।

फिल्मों के अलावा जूनियर महमूद ने टीवी शो में भी काम किया। उनके द्वारा प्रदर्शित कुछ शो “प्यार का दर्द है मीठा मीठा प्यारा प्यारा” और “एक रिश्ता साझेदारी का” थे। इससे पता चला कि वह बड़े और छोटे दोनों स्क्रीन पर बेहतरीन हो सकते हैं।

जूनियर महमूद ने न केवल बहुत सारी फिल्मों में अभिनय किया; उन्होंने फिल्म उद्योग पर अपनी छाप छोड़ी। लोग उनके द्वारा निभाए गए किरदारों और पर्दे पर उनके द्वारा लाई गई खुशी को याद करते हैं। उन्होंने एक बाल कलाकार के रूप में शुरुआत की और एक प्रतिभाशाली और बहुमुखी अभिनेता बन गए।

महमूद जूनियर को श्रद्धांजलि
दुख की बात है कि जूनियर महमूद का 67 वर्ष की आयु में निधन हो गया। फिल्म उद्योग के लोग और प्रशंसक अपना दुख व्यक्त कर रहे हैं और उनसे जुड़ी यादें साझा कर रहे हैं। इस क्षति को उन लोगों ने गहराई से महसूस किया है जिन्होंने उन्हें स्क्रीन पर देखने का आनंद लिया।

जैसा कि हम जूनियर महमूद को अलविदा कहते हैं, हम उन्हें एक सच्चे बॉलीवुड स्टार के रूप में याद करते हैं। उनका आकर्षण और प्रतिभा हमेशा भारतीय सिनेमा इतिहास का हिस्सा रहेगी। भले ही वह अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका काम आने वाले वर्षों तक लोगों को प्रेरित करता रहेगा।

‘मोहब्बत जिंदगी है’ (1966) में एक बाल कलाकार के रूप में अपना फिल्मी करियर शुरू करने वाले जूनियर महमूद ने कई भारतीय भाषाओं में 250 से अधिक फिल्मों में काम किया। उन्होंने आधा दर्जन मराठी फिल्मों का निर्देशन किया और कुछ गाने भी गाए। उन्होंने ‘नौनिहाल’ (1967), ‘ब्रह्मचारी’ (1968), ‘कटी पतंग’ और ‘आन मिलो सजना’ (1970), ‘कारवां’, ‘हाथी मेरे साथी’, ‘हरे रामा, हरे कृष्णा’ और ‘जूनियर. महमूद इन हॉन्ग कॉन्ग’ (सभी 1971), ‘आप की कसम’ और ‘अमीर गरीब’ (1974), ‘गीत गाता चल’ (1975), ‘शहजादे’ (1989), ‘आज का अर्जुन’ (1990), ‘ ‘जुदाई’ (1997), ‘जर्नी बॉम्बे टू गोवा’ (2007), और कई अन्य फिल्मों में छोटी-बड़ी भूमिकाएं निभाईं।

जूनियर महमूद को ‘प्यार का दर्द है, मीठा मीठा प्यारा प्यारा’, ‘एक रिश्ता साझेदारी का’ और ‘तेनाली रामा’ जैसे टेली-धारावाहिकों में चरित्र भूमिकाओं में भी देखा गया था। संयोग से, सैय्यद महान हास्य अभिनेता महमूद अली को अपना ‘गुरु’ मानते थे जिन्होंने उन्हें ‘जूनियर महमूद’ की उपाधि दी थी। अस्पताल में भर्ती होने के दौरान, कई बॉलीवुड हस्तियों ने अस्पताल में जूनियर महमूद से मुलाकात की और उनके बिगड़ते स्वास्थ्य पर चिंता व्यक्त की।


बीते दिनों उन्होंने अपने दोस्तों जितेंद्र और सचिन पिलगाउंकर से मिलने की इच्छा जताई थी। उनकी इच्छा पर दोनों कलाकार खास तौर पर उनसे मिलने पहुंचे थे। जूनियर महमूद की हालत देख जितेंद्र की आंखें नम हो गई थीं।
लंग्स और लीवर में कैंसर स‎हित आंत में ट्यूमर से ग्रस्त मेहमूद कैंसर की चौथी स्टेज पर होने से लगातार जीवन से संघर्ष कर रहे थे। ​बीते कुछ दिनों से वे जीवनरक्षक प्रणाली पर थे। जूनियर महमूद ने 60 और 70 के दशक में अनेक सफल फ़िल्मों को अंजाम ‎दिया। अपने दौर के बड़े बड़े कलाकारों के साथ कर एक बाल कलाकार के तौर पर काम कर अपनी अलग पहचान बनाई थी। इसके बाद उन्होंने अनेक हिंदी और मराठी फिल्मों में अपने अ‎भिनय का लोहा मनवाया। उन्होंने छोटी बहू, प्यार का दर्द है मीठा मीठा प्यारा प्यारा जैसी टीवी शोज में भी काम‌ किया था।

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