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बांग्लादेश की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कोमोडोर गोपाल राव का निधन

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1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के महानायक कोमोडोर कासरगोड पटनाशेट्टी गोपाल राव का रविवार को चेन्नई में निधन हो गया। 94 साल के कोमोडोर राव ने पाकिस्तान के कब्जे से पूर्वी पाकिस्तान को आजाद कराने में प्रमुख भूमिका निभाई थी, जिसे आज बांग्लादेश के नाम से जाना जाता है।

राव ने नौसेना के पश्चिमी बेड़े के एक छोटे समूह का नेतृत्व किया था। उन्होंने 1971 की लड़ाई में कराची बंदरगाह पर हमला किया था। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, राव उम्र संबंधी बिमारियों से पीड़ित थे।

उनके परिवार में 88 साल की पत्नी राधा, दो बेटियां तारा व सविता और एक बेटा विनय हैं। राव को देश का दूसरा सबसे बड़ा सैन्य सम्मान महावीर चक्र और विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया गया था।

तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने हाल ही में कमांडर राव को सम्मानित किया था।

पाकिस्तान के समुद्री क्षेत्र में घुस गए थे राव
कोमोडोर गोपाल राव हवाई, जमीन और पनडुब्बी से हमले के खतरे के बावजूद 4 दिसंबर 1971 की रात अपनी टीम के साथ पाकिस्तान के समुद्री क्षेत्र में घुस गए थे। इसके बाद उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर दुश्मन देश के 2 डेस्ट्रॉयर युद्धपोत और एक माइनस्वीपर को डुबो दिया था। इसके बाद कमांडर राव के दल ने कराची बंदरगाह पर तेल के टैंकरों पर भारी बमबारी कर दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए थे।

4 दिसंबर को ही मनाया जाता है नेवी डे
13 नवंबर, 1926 को मैंगलोर में जन्मे कमोडोर राव 21 अप्रैल 1950 को भारतीय नौसेना में शामिल हुए थे। तोपखाने के विशेषज्ञ, राव पूर्वी नौसेना कमान में INS किल्टन के कमांडिंग ऑफिसर थे।

हालांकि, पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध शुरू होने के साथ तत्कालीन नौसेनाध्यक्ष एडमिरल एसएम नंदा ने राव को व्यक्तिगत रूप से पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन ट्राइडेंट की कमान के लिए पश्चिमी नौसेना कमान में शामिल होने के लिए नियुक्त किया था।

युद्ध के दौरान राव दो अर्नाला-श्रेणी के पनडुब्बी रोधी दल INS किल्टन और INS कच्छल के कमांडर थे, जिसने 4 दिसंबर 1971 को ऑपरेशन ट्राइडेंट के दौरान कराची हार्बर पर हमला किया था। इस दिन को अब नौसेना दिवस के रूप में मनाया जाता है। बता दें कि 4 दिसंबर को ही राव के पिता का निधन हुआ था।

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