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चार जिलों के जिला पंचायत अध्यक्षों के टले चुनाव, कांग्रेस ने उठाया सवाल

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कांग्रेस ने आरोप लगाया कि पंचायत अधिनियम का मखौल बनाया गया है। भाजपा की हार व सरकार के दबाव ने आयोग ने ऐसा कर अपनी निष्पक्षता पर कलंक लगाया है। मप्र कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष के.के. मिश्रा ने राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा अपने पूर्व घोषित चार जिलों जबलपुर, अशोक नगर, खंडवा और सीहोर के जिला पंचायत अध्यक्षों के आज 30 दिसंबर को होने वाले चुनाव को मतदान के 20 घंटे पूर्व अपरिहार्य कारणों से स्थगित किए जाने के निर्णय को भाजपा की संभावित हार और सरकार के दबाव में लिया गया असंवैधानिक निर्णय बताया है। 

न्होंने यहां तक कहा है कि ऐसा कर आयोग ने अपनी निष्पक्षता और संवैधानिक मर्यादाओं पर स्वतरू ही कलंक लगा लिया है। आयोग का यह कृत्य यह पंचायत अधिनियम के मखौल के साथ लोकतंत्र की सरेराह हत्या के समकक्ष है। मिश्रा ने आयोग की मंशा पर सवालिया निशान लगाते हुए जानना चाहा है कि यदि उसकी मंशा पारदर्शी है तो उसे इन चुनावों को टालने का वैधानिक और उसकी स्वीकार्यता का कारण स्पष्ट कर ‘अपरिहार्य’ कारणों की परिभाषा को सार्वजनिक करना चाहिए?

जान बूझकर चुनाव टलवाए गए
मिश्रा कहा कि अशोक नगर में कांग्रेस प्रत्याशी की जीत में 7-3 का अंतर होने के साथ पार्टी की जीत सुनिश्चित थी,खंडवा में कांग्रेस की निर्विरोध जीत तय थी और जबलपुर,सीहोर में भी भाजपा को पराजय का स्वाद चखना पड़ सकता था, इसी भय से आयोग पर राजनैतिक दबाव बना कर जान बूझकर चुनाव टलवाए गए हैं,जो लोकतंत्र की सरेराह हत्या के समकक्ष है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस विषयक कानूनी विकल्पों पर विचार कर रही है। पार्टी अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इसे गंभीरता से लिया है।

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