Site icon अग्नि आलोक

कांग्रेस का सख्त रूख, भितरघातियों पर गिरेगी गाज

Share

विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट गई है। लेकिन पार्टी पदाधिकारियों और नेताओं की मांग है कि सबसे पहले भितरघातियों पर कार्रवाई की जाए। विगत दिनों प्रदेश कांग्रेस प्रभारी जितेंद्र सिंह की पहली बैठक में पदाधिकारियों ने जमकर भड़ास निकाली। जिला अध्यक्षों ने चुनाव में हार के लिए भितरघात को जिम्मेदार ठहराया तो कुछ ने संगठन की व्यवस्था पर प्रश्न उठाए।

पार्टी विरोधी गतिविधियों को लेकर कई शिकायतें भी संगठन के पास पहुंच चुकी हैं। सूत्रों का कहना है कि इसको देखते हुए पार्टी ने लोकसभा चुनाव से पहले भितरघातियों के खिलाफ कार्रवाई करने की तैयारी कर रही है।
गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार के लिए सबसे बड़ी वजह भितरघात को माना जा रहा है। इसलिए कांग्रेस में संगठन में निष्क्रीय और भितरघात करने वालों पर कार्रवाई की मांग तेज हो गई है। चुनाव में हारे प्रत्याशियों ने साफ कर दिया है कि इन पर कार्रवाई नहीं हुई तो एक बार फिर विधानसभा जैसे ही परिणाम सामने आएंगे।

लगातार उठ रही मांग के बाद अब कांग्रेस भितरघात करने वालों पर कार्रवाई की तैयारी में जुट गई है। बताया जा रहा है कि इसे लेकर 12 जनवरी को अनुशासन समिति की बैठक बुलाई गई है। समिति की बैठक में ऐसे लोगों पर कार्रवाई का फैसला लिया जा सकता है।
पार्टी 39 नेताओं पर पहले कर चुकी है कार्रवाई
प्रदेश में कांग्रेस से बागी होकर चुनाव लड़ रहे 39 नेताओं को पार्टी ने पहले ही बाहर का रास्ता दिखा दिया है। यह नेता निर्दलीय या अन्य दलों के टिकट से लड़ने के लिए मैदान में थे, जबकि पार्टी इन सीटों पर अधिकृत प्रत्याशियों को उतार चुकी थी। बागी हुए प्रत्याशियों पर अनुशानहीनता की कार्रवाई करते हुए पार्टी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया था। मतदान के बाद शुजालपुर जिला अध्यक्ष योगेन्द्र सिंह बंटी को पार्टी विरोधी कार्य करने पर पार्टी से निष्कासित करने की कार्रवाई की गई थी।
अनुशासन समिति बना रही सूची
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि जिलों से मिली रिपोर्ट के आधार पर अनुशासन समिति भितरघात करने वालों की सूची बना रही है। कांग्रेस ने पार्टी के उपाध्यक्ष अशोक सिंह को अनुशासन समिति का अध्यक्ष बनाया है, जबकि कमेटी में पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा, पीसी शर्मा, हर्ष यादव, सईद अहमद को भी जगह दी गई है। इसके अलावा पूर्व सांसद गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी के अलावा पूर्व विधायक नेहा सिंह और प्रताप लोधी को भी इस समिति में शामिल किया है। यह सभी नेता प्रदेश की सभी 230 विधानसभा सीटों पर चुनाव में हुए भितरघात की जानकारी जुटा रही है। यह समिति विधानसभा चुनाव में भितरघात करने वाले नेताओं पर कार्रवाई करेगी, उससे पहले जिन नेताओं पर भितरघात के आरोप हैं उनकी रिपोर्ट भी तैयार करेगी। बताया जा रहा है कि रिपोर्ट के आधार पर ही पार्टी की तरफ से कार्रवाई की जाएगी।
19 जिलों में नहीं खुला खाता
दरअसल, विधानसभा में मिली हार के बाद समीक्षा बैठकों का दौर चल रहा है। हर बैठक में प्रत्याशियों ने संगठन में बदलाव और भितरघात करने वालों पर कार्रवाई का मुद्दा उठाया। गत दिनों चुनाव समिति और इलेक्शन कमेटी की बैठक में भी यह मुद्दा गूंजा। इसके बाद प्रदेश प्रभारी ने मीडिया से चर्चा करते हुए बदलाव के संकेत दिए थे। इससे साफ हो गया कि संगठन में बदलाव के साथ ही भितरघात करने वालों पर पार्टी कार्रवाई कर सकती है। जिन जिलों में कांग्रेस का खाता नहीं खुला, वहां अध्यक्ष बदले जा सकते हैं।

मध्यप्रदेश के 19 जिलों में कांग्रेस का खाता तक नहीं खुल सका है। यानी कि विधानसभा चुनाव में एमपी के ये जिले पूरी तरह से कांग्रेस मुक्त हो गए। विधानसभा चुनाव में ये हार कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका मानी जा रही है। क्योंकि कई जिले ऐसे हैं, जहां कांग्रेस पूरी तरह से साफ हो गई। इनमें दमोह जिला। दमोह में पिछले चुनाव में कांग्रेस को एक सीट पर जीत मिली थी, इस बार एक भी नहीं जीत पाई।

बता दें भाजपा ने कटनी, पन्ना, विदिशा, सीहोर, रायसेन, राजगढ़, शाजापुर, देवास, खंडवा, बुरहानपुर, उमरिया, सिंगरौली, नरसिंहपुर, बैतूल, नीमच और इंदौर जिलों से कांग्रेस को मुक्त कर दिया है। इसी तरह भोपाल ग्रामीण अध्यक्ष पर भी कार्रवाई तय मानी जा रही है। भोपाल ग्रामीण में कांग्रेस दोनों विधानसभा में बुरी तरह हारी है। इन जिलों में जिला संगठन पर गाज गिरना तय माना जा रहा है। यहां पार्टी लोकसभा चुनाव को देखते हुए युवाओं को मौका दे सकती है।

Exit mobile version