- ढाई साल में 9 मंजिला भवन होना था तैयार
इंदौर। पीपल्याहाना चौराहे के समीप जिला न्यायालय का नवीन विशाल भवन तैयार होने का वकील-पक्षकारों के साथ शहरवासियों को भी इंतजार है। अब इंतजार और लंबा होने वाला है। निर्माण एजेंसी ने काम रोक दिया है तो मॉनीटरिंग करने वाले पीडब्ल्यूडी की पीआईयू विंग नए सिरे से री-टेंडरिंग कराने के लिए मेजरमेंट करा रही है।
जिला न्यायालय की नई भव्य 11 मंजिला इमारत के निर्माण के लिए जनवरी 2019 में काम शुरू हुआ था। नासिक की हर्ष कंस्ट्रक्शन कंपनी को 30 महीने में निर्माण पूरा करने का ठेका दिया गया था। करीब साढ़े तीन साल बीत जाने के बाद भी अभी 35 से 40 फीसदी काम भी पूरा नहीं हुआ है। इस निर्माण कार्य को पीडब्ल्यूडी की पीआईयू विंग मॉनीटर कर रही थी।
बार-बार निर्माण एजेंसी को काम में देरी होने के लिए नोटिस जारी करने के बाद भी काम में तेजी नहीं आई और 1 मई को टेंडर समाप्ति के लिए निर्माण एजेंसी को नोटिस जारी कर दिया गया। 169 कोर्ट रूम बनाने के लिए जनवरी 2019 में जब यह कार्य शुरू हुआ था, तब इस भवन के लिए 411 करोड़ रुपए की प्रशासनिक स्वीकृति हुई थी। 319 करोड़ रुपए के साथ कांट्रेक्ट हर्ष कंस्ट्रक्शन कंपनी के साथ किया गया था। अब तक पीआईयू ने निर्माण एजेंसी को करीब 125 करोड़ रुपए जारी करने की बात भी कही है।
शुरू से ही परेशानी
जिला न्यायालय की नई बिल्डिंग के निर्माण में पहले तालाब की जमीन को लेकर एनजीटी के बीच विवाद और विरोध का दौर चला तो फिर कोरोना काल में निर्माण शिथिल हुआ। कुछ समय निर्माण सामग्री की दरों में वृद्धि होने से बड़े निर्माण कार्य बंद हो गए थे।
अधिकारियों की कैसी मॉनीटरिंग…
लोनिवि की पीआईयू विंग में आला दर्जे के इंजीनियरों की लंबी कतार है, लेकिन जिला न्यायालय जैसे महत्वपूर्ण भवन के निर्माण में ठीक से मॉनीटरिंग नहीं होने के साथ समय पर निर्माण कार्य पूरा नहीं होना और अब री-टेंडरिग के लिए मेजरमेंट करने की कवायद अधिकारियों को भी कठघरे में खड़ा करती है।
वकील भी दर्ज करा चुके हैं आपत्ति
नई कोर्ट बिल्डिंग को लेकर वकील शुरुआती दौर में ही आपत्ति दर्ज करा चुके हैं। उनका कहना था कि शहर के मध्य सभी को आवाजाही में आसानी रहती है तो दूसरी ओर नए विशाल भवन में वकीलों के लिए भी सैकड़ों चैंबर बनाए जा रहे हैं, जिसके लिए वकीलों से राशि ली गई थी, लेकिन समय पर काम पूरा नहीं होने से वकीलों में नाराजगी दिख रही है। दरअसल वकील नई बिल्डिंग को लेकर दो धड़े में बंटे हुए हैं। कुछ वकीलों का मानना है कि नई बिल्डिंग में कोर्ट रूम की संख्या ज्यादा होने से काम आसानी से होगा, वहीं कुछ वकीलों का मानना है कि कोर्ट बिल्डिंग शहर से दूर होने से तहसील, एसडीएम और कलेक्टर कार्यालय के साथ अन्य जगह वकीलों की आवाजाही सीमित हो जाएगी।
आखिर क्यों नहीं लगाई पेनल्टी…!
जिला न्यायालय का निर्माण कार्य करने वाली ठेकेदार एजेंसी ने जब समय में कार्य पूरा नहीं किया तो बिना पेनल्टी के एग्रीमेंट समाप्त करने का नोटिस जारी करना अधिकारियों की कार्यशैली को संदिग्ध दर्शा रहा है। पीआईयू विभाग की ओर से हाल ही में 1 मई को धारा 27 (4) के अंतर्गत जो नोटिस जारी किया गया उसमें बगैर पेनल्टी के स्थिति में टेंडर समाप्ति की बातें कही गई हैं, जबकि टेंडर में जमा की गई अर्नेस्ट मनी जहां राजसात की जाती है, वहीं टेंडर की शर्तों के अनुसार पेनल्टी भी लगाई जाना अनिवार्य है।