•अहिल्योत्सव समिति के निर्णय पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता केके मिश्रा ने सुमित्रा महाजन को घेरा चंपतराय के चयन का कांग्रेस ने विरोध किया
ताई बोलीं इन्हें पता नहीं, उनका काम बहुत बढ़ा•••केके को पता नहीं अहिल्यादेवी के आदर्श कार्य को ही चंपतराय जी ने आगे बढ़ाया
इंदौर । अहिल्योत्सव समिति द्वारा 13 जनवरी को रामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री चंपतराय को दिए जाने वाले देवी अहिल्या पुरस्कार को लेकर विवाद शुरु हो गया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के मीडिया सलाहकार केके मिश्रा ने एक्स पर लिखा है कि घपले-घोटालों में घिरे चंपतराय के स्थान पर यदि आरएसएस चीफ डॉ मोहन भागवत को यह सम्मान दिया जाता तो अधिक उचित रहता। समिति अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने पलटवार करते हुए कहा है कि मिश्रा को मालूम नहीं है कि चंपतराय क्या है, उनका योगदान क्या है। उनका ऐसा बयान ठीक नहीं है।
इस वर्ष का देवी अहिल्या पुरस्कार रामजन्म भूमि मुक्ति आंदोलन के ज्ञात-अज्ञात कारसेवकों एवं मंदिर निर्माण के सहभागियों को समर्पित किए जाने का निर्णय लिया गया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत के हाथों इन सभी के प्रतिनिधि स्वरूप रामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री चम्पतराय यह पुरस्कार ग्रहण करेंगे। आयोजन, सोमवार 13 जनवरी को लता मंगेशकर ऑडिटोरियम में सायं 5.30 बजे होगा।
आदरणीया ताई,मैं आपकी व्यक्तिगत कृपा से समारोह समिति द्वारा हमारी पुण्यश्लोका मां अहिल्या के नाम पर स्थापित उस पहले सम्मान समारोह से जुड़ा हुआ हूं जब समिति ने पहला पुरस्कार (स्व) नानाजी देशमुख को देश के पूर्व प्रधानमंत्री-तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष (स्व) अटलबिहारी वाजपेयी के हाथों प्रदान किया गया था। उसके बाद से देश की कई गौरवशाली और हर विधाओं के मर्मज्ञों का आपने चयन कर मां अहिल्या के पुण्यों-आदर्शों को शीर्षता और श्रेष्ठता प्रदान की, किंतु विवादास्पद चंपत राय के नाम ने मां अहिल्या के चरित्र,सिद्धांतों, आदर्शों और निर्णयों के पार्टी वास्तविक आस्था रखने वालों को मानसिक तौर पर हतप्रभ और उद्वेलित किया है।
मिश्रा ने एक्स पर लिखा है क्या पुण्यश्लोका कभी भी किसी भ्रष्टाचारियों की भी “संरक्षिका” रहीं ? क्या उन्होंने विवादास्पद चरित्रों का कभी भी पोषण किया*? क्या उनके “न्यायदंड और शंकर आर्डर” से कोई भी गलत व्यक्ति लाभान्वित हुआ, यदि नहीं तो आप पुण्यश्लोका के नाम पर पुरस्कृत होने वाले इस नाम पर कृपाकर पुनर्विचार कीजियेगा, आप संघ प्रमुख परमादरणीय मोहन भागवत जी को यह सम्मान दे दीजिए,कोई असहमति नहीं होगी कम से कम उनके सामाजिक-सार्वजनिक जीवन पर तो कोई दाग नहीं है।
यदि चंपतराय जी को उक्त सम्मान से नवाज दिया गया तो अगले पुरस्कार का दावा “चम्पू अजमेरा” भी कर सकता है ? यह वैचारिक असहमति मैं आपके रूप में मेरी आदर्श ‘आई’ और हम सभी की ‘माई’ मां अहिल्या के स्थापित आदर्शों को लेकर दर्ज कर रहा हूं, आप मेरे इस दु:स्साहस को मिलिंद भैया की ही “हठ” मानकर क्षमा कीजियेगा, यह एक आदर्श मां से एक बेटे की गुहार है ताकि हम सभी की पुण्यश्लोका मां की प्रचलित न्याय व्यवस्था, चरित्र-मूल्यों-आदर्शों, और सम्मान को कोई ठेस न पहुंचे ।
सुमित्रा महाजन से जब ‘प्रजातंत्र’ ने चर्चा की और मिश्रा के विरोध पर पूछा तो उनका कहना था मिश्रा को पता नहीं है चंपतराय का क्या योगदान है, हम व्यक्ति को नहीं, उनके काम क को सम्मान दे रहे हैं। अहिल्या बाई पूरे शासन काल में मंदिरों का निर्माण और जीर्णोद्धार करती रहीं। राम मंदिर के लिये दशकों से संघर्ष करने वालों के प्रतिनिधि के रूप में चंपतराय का सम्मान के लिये चयन किया। दिवंगत, ज्ञात-अज्ञात समस्त कारसेवकों की तरफ से वे ही ग्रहण करेंगे। चंपतराय वर्षों से मंदिर मामले सेजुड़े हैं, खुद को चौकीदार मानते हैं।मंदिर निर्माण तो विश्व के सभी राम भक्तों की श्रद्धा से हो गया।हमने इसलिये संघ प्रमुख भागवत जी को बुलाया है पुरस्कार देने के लिये। केके मिश्रा को फोन करके बोलूंगी वो पहले हमारी भावना को समझे कि चंपतराय जी ने तो अहिल्यादेवी की मंदिर निर्माण भावनानुरूप ही काम किया है। केके भी अहिल्योत्सव समिति से जुड़ा है वो समझ तो ले हम चंपतरायजी को क्यों दे रहे हैं सम्मान।
इस पुरस्कार की स्थापना वर्ष 1996 में की गई थी। पहला पुरस्कार 1996 में नानाजी देशमुख को तत्कालीन प्रधान मंत्री अटलबिहारी वाजपेयी द्वारा प्रदान किया गया था। अभी तक 21 व्यक्तित्व को यह पुरस्कार प्रदान किया जा चुका है। पुरस्कार प्राप्त करने वालों में राजमाता सिंधिया, पाण्डुरंग शास्त्री आठवले, पद्मश्री डॉ रघुनाथ अनंत माशलेकर, सुधा मूर्ति, साध्वी ऋतम्भरा, डॉ प्रणव पंड्या आदि प्रमुख हैं।पुरस्कार प्रदान करने वालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कल्याणसिंह, डॉ मुरली मनोहर जोशी, स्वामी अवधेशानंद, सुषमा स्वराज, शिवराजसिंह चौहान जैसे व्यक्तित्व सम्मिलित हैं।
फकीरे राम मंदिर को शिफ्ट कराने का है आरोप
अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट की ओर से खरीदी जा रही जमीनों में घोटाले का आरोप लगने के अब अब राय के खिलाफ अयोध्या की सिविल कोर्ट में मुकदमा दायर किया गया है। अदालत ने उन्हें नोटिस भी जारी किया है। फकीरे राम मंदिर की खरीद-फरोख्त को लेकर शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने यह वाद दायर कराया है।
दरसअल, राम मंदिर में परकोटा सीधा करने के लिए फकीरे राम मंदिर को खरीदा गया था। इस मंदिर को दूसरी जगह बनवाने के लिए ट्रस्ट ने फकीरे राम मंदिर को दूसरी जगह जमीन और पैसा भी दिया है। मुकदमा दायर कर यह मांग की गयी है कि मंदिर को न तोड़ा जाए और यहां भगवान को राग- भोग और आरती पहले की तरह संचालित होती रहे।
फकीरे राम मंदिर के महंत रघुवर शरण, फकीरे राम मंदिर के ट्रस्ट के सदस्य राम किशोर सिंह, मंदिर पर दावा करने वाले कृपा शंकर दास, फकीरे राम मंदिर को खरीदने वाले श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय को इस मुकदमें में पार्टी बनाया गया है।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की तरफ से न्यायालय में अधिवक्ता रणजीत लाल वर्मा और तरुणजीत लाल वर्मा ने न्यायालय में अपील की थी। अधिवक्ता रणजीत लाल वर्मा और तरुण जीत लाल वर्मा ने ही राम मंदिर विवाद में निर्मोही अखाड़ा के पक्ष में न्यायालय में की थी पैरवी।
जमीन खरीद घोटाले को लेकर संघ के सामने दे चुके हैं सफाई
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय गुरुवार को चित्रकूट में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत से मिलकर राम मंदिर जमीन घोटाले पर अपनी सफाई दे चुके हैं। इससे पहले चंपत राय मुंबई में गत माह हुई ट्रस्ट की बैठक में संघ के वरिष्ठ नेता भैया जी जोशी को अपनी रिपोर्ट दे चुके हैं। जमीन घोटाले पर आरोप लगने के बाद संघ प्रमुख से राय की चित्रकूट में मुलाकात हुई थी।
जमीन घोटाले को लेकर महंथ नाराज
बताते चलें कि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट पर लगे जमीन घोटाले के आरोपों के बाद से यूपी की सियासत गरमाने लगी है। आप सांसद संजय सिंह, सपा के प्रवक्ता तेज नारायण पांडे पवन के साथ-साथ निर्वाणी अनी अखाड़ा के श्री महंत धर्मदास, रघुवंश संकल्प सेवा संस्थान के अध्यक्ष दिलीप दास, जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद व उनके शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद आदि घोटाले का आरोप लगा चुके हैं। उन्होंने नाराजगी भी जताई है।