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*सहकारिता चुनाव दलीय आधार पर ना हो, इससे गांवों में आपसी रंजिश बढ़ेगी और मनमुटाव भी होगा*

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 *सहकारिता नेता अग्रवाल ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र*

इंदौर मध्य प्रदेश सरकार ने सहकारिता चुनाव की घोषणा करदी है। गांव-गांव में मौजूद प्राथमिक सहकारी संस्थाओं से लेकर राज्य स्तर तक की संस्थाओं के चुनाव होना है। सहकारिता सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय के उद्देश्य से काम करने का एक मंच है ,इसलिए सहकारिता आंदोलन के संस्थापकों ने इसे गैर दलीय बने रहने दिया है और अभी तक अलग अलग राजनीतिक दलों में काम करने वाले कार्यकर्ता भी सहकारिता चुनाव में दलीय स्थिति से ऊपर उठकर चुनाव लड़ते रहे हैं ,लेकिन पहली बार देखा जा रहा है कि होने वाले सहकारिता चुनाव में कांग्रेस और भाजपा दोनों दलीय आधार पर तैयारी में जुट गए हैं ।

प्रदेश के सहकारिता नेता और अपेक्स बैंक के पूर्व संचालक रामबाबू अग्रवाल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि गांव से लेकर शहर तक होने वाले इन चुनाव में दलीय हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अभी तक मध्य प्रदेश की सहकारी राजनीति में सुभाष यादव ,बापू सिंह मंडलोई, शिव शंकर पटेल सहित जितने भी नेता हुए हैं, उन्होंने अलग-अलग दलों में काम करते हुए भी सहकारिता को राजनीतिक कुश्ती का अखाड़ा नहीं बनने दिया । जिसके चलते सहकारिता अपने उद्देश्यों में सफल रही है लेकिन इस बार के घोषित चुनाव में राजनीतिक दलों की हिस्सेदारी और दलीय आधार पर चुनाव की तैयारी  को देखते हुए लगता है कि यह चुनाव भी गांव में आपसी रंजीश शोर मनमुटाव बढ़ाने वाला चुनाव सिद्ध होगा ।आपने अपने पत्र में मुख्यमंत्री से मांग की है कि सहकारिता की अब तक की परंपरा के अनुसार प्राथमिक से लेकर जिला और राज्य स्तर तक के सहकारिता चुनाव गैरदलीय आधार पर ही कराए जाएं । यह सहकारिता के मूल सिद्धांतों को मजबूती भी देगा और हमारे सहकारी नेताओं के सपने को भी पूरा करेगा। मिलजुल कर चुनाव होंगे तो सहकारी संस्थाओं के सदस्यों का ज्यादा भला हो पाएगा।

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