मध्यप्रदेश में सरकारी कर्मचारियों, अधिकारियों के वेतन पर संकट आ गया है। पोर्टल से करीब डेढ़ लाख नाम हट जाने के कारण यह स्थिति निर्मित हुई है।
मध्यप्रदेश में सरकारी कर्मचारियों, अधिकारियों के वेतन पर संकट आ गया है। पोर्टल से करीब डेढ़ लाख नाम हट जाने के कारण यह स्थिति निर्मित हुई है। विभागीय अधिकारी अब पोर्टल दुरुस्त करने की कवायद में लगे हैं। इसके साथ ही जिम्मेदार अधिकारी, कर्मचारियों पर कार्रवाई की बात भी कही जा रही है। बताया जा रहा है कि कर्मचारियों की मृत्यु हो जाने, सेवानिवृत्त होने, बर्खास्त किए जाने या फिर इस्तीफे दे देने के कारण पोर्टल से नाम डिएक्टिव किया गया लेकिन इस प्रक्रिया में कई कार्यरत कर्मचारियों, अधिकारियों के नाम भी निष्क्रिय कर दिए गए। पोर्टल से डिएक्टिव होने से ऐसे कर्मचारियों के वेतन की प्रक्रिया भी प्रभावित हो गई है।
मप्र स्कूल शिक्षा विभाग के शिक्षा पोर्टल पर से ये नाम हटे हैं। पोर्टल से कई टीचर्स व अन्य कर्मचारियों, अधिकारियों को निष्क्रिय कर दिया गया है जिससे इनका वेतन बनाने में दिक्कत खड़ी हो गई है। शिक्षा पोर्टल में प्रदेशभर के 146333 टीचर्स व अधिकारियों, कर्मचारियों को निष्क्रिय कर दिया है।
करीब डेढ़ लाख निष्क्रिय नामों में से हजारों ऐसे टीचर्स, अधिकारी, कर्मचारी भी शामिल हैं जोकि अभी कार्यरत हैं। अब लोक शिक्षण संचालनालय ने प्रदेशभर के जिला शिक्षा अधिकारियों को निष्क्रिय किए गए टीचर्स,अधिकारी,कर्मचारियों के नामों का परीक्षण करने को कहा है।
शिक्षा पोर्टल पर निष्क्रिय किए गए टीचर्स, अधिकारी, कर्मचारियों की सूची में करीब 102637 सेवानिवृत्त हुए जबकि 22500 की मौत हो गई। 2781 को सस्पेंड किया गया, 18243 कर्मचारियों ने इस्तीफा दिया। ऐसे कर्मचारियों को पोर्टल से निष्क्रिय करने के साथ ही कई कार्यरतों को भी निष्क्रिय कर दिया गया जिससे उनके वेतन नहीं बन पा रहे हैं।
मप्र शिक्षक संघ और शासकीय शिक्षक संगठन सहित शिक्षा विभाग के कर्मचारी संगठनों ने निष्क्रिय किए गए टीचर्स व कर्मचारियों के परीक्षण कर उनके नाम फिर से एक्टिव किए जाने की मांग की है। इस संबंध में भोपाल के जिला शिक्षा अधिकारी एनके अहिरवार ने बताया कि निष्क्रिय किए कर्मचारियों का परीक्षण किया जा रहा है। जो कार्यरत हैं, उनके नाम दोबारा एक्टिव कर रहे हैं।