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दलित और ओबीसी के छात्र हो रहे परेशान,यह तीसरा साल जब छात्रों को छात्रवृत्ति नहीं मिली

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अफसरशाही मस्त और जनता त्रस्त वाली कहावत दलित और आदिवासी छात्रों की छात्रवृत्ति के मामले में पूरी तरह से सही साबित हो रही है। दरअसल सरकार द्वारा स्कूल शिक्षा विभाग और जनजातीय कार्य विभाग को इसके लिए नौ सौ करोड़ की राशि दिए जाने के बाद भी उनके द्वारा छात्रवृत्ति का वितरण नहीं किया जा रहा है। यह दोनों विभाग इस राशि पर कुंडली मारकर बैठे हुए हैं। यह तीसरा साल है जब छात्रों को छात्रवृत्ति नहीं मिली है। ऐसे में कई छात्र तो पढ़ाई करने के बाद स्कूलों की जगह महाविद्यालयों में पहुंच चुके हैं, लेकिन उन्हें छात्रवृत्ति नहीं मिल सकी है। यह दोनों विभाग इस मामले में पूरी तरह से लापरवाह बने हुए हैं। इसकी वजह से करीब आठ लाख छात्र और छात्राएं परेशान हो रही हैं। यह हाल तब हैं,जबकि, छात्रवृत्ति के लिए करीब 300 करोड़ की राशि स्कूल शिक्षा और 600 करोड़ की राशि ओबीसी डिपार्टमेंट को उपलब्ध कराई जा चुकी है। अब मामले में सरकार ने मंत्रियों की एक समिति गठित की है। शिवराज सरकार के कार्यकाल से प्रदेश के करीब 8 लाख आदिवासी, अनुसूचित जाति और ओबीसी के छात्र विभिन्न योजनाओं में मिलने वाली छात्रवृत्ति के लाभ से वंचित है। इस मामले में तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह ने भी समीक्षा कर अधिकारियों को समय-सीमा में छात्रवृत्ति बांटने के निर्देश दिए थे। लेकिन जाति प्रमाण पत्रों का सत्यापन फील्ड के अफसरों द्वारा नहीं किए जाने सहित कई कारणों से छात्रवृत्ति के वितरण में दिक्कतें आ रही थी। अब मोहन सरकार चेती है और सभी प्रकार की छात्रवृत्तियों का वितरण करने छात्रवृत्ति योजनाओं का सरलीकरण, एकरुपता लाने एवं छात्रावास व्यवस्था में सुधार लाने के लिए जनजातीय कार्य मंत्री  विजय शाह की अध्यक्षता में समिति गठित की है। ये समिति एक सप्ताह के भीतर अपना प्रतिवेदन सरकार को प्रस्तुत करेगी।
इन्हें बनाया समिति का सदस्य
अनुसूचित जाति कल्याण मंत्री नागर सिंह चौहान, स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह, उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार, पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री कृष्णा गौर, चिकित्सा शिक्षा राज्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल को सदस्य बनाया है। इसके अलावा समिति मे एसीएस चिकित्सा शिक्षा, एसीएस पिछड़ा वर्ग, एसीएस उच्च शिक्षा, पीएस अनुसूचित जाति कल्याण, सचिव स्कूल शिक्षा, सचिव तकनीकी शिक्षा और पीएस जनजातीय कार्य को समिति का संयोजक नियुक्त किया है।
आठ लाख छात्रों की अटकी स्कॉलरशिप
स्कूल शिक्षा विभाग के पोर्टल के मुताबिक एससी-एसटी विद्यार्थियों की कुल संख्या सत्र 2022-23 में 7.84 लाख और 2023-24 में 6.81 लाख थी, जिनमें, 2022 सत्र के 3.36 लाख और 2023 के 4.64 लाख छात्रों की स्कॉलरशिप अटक गई है। जबकि दोनों सत्र में 8.26 लाख छात्रों को छात्रवृत्ति स्वीकृत की गई थी।
डीपीआई ने डीईओ को लिखा पत्र
इस संबंध में राज्य लोक शिक्षण संचालनालय (डीपीआई) के संचालक ने संभागीय संयुक्त संचालकों सहित जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) को आदेश जारी कर कहा है कि कई बार निर्देश देने के बाद भी भुगतान असफल होना खेदजनक है। अब 2023-24 की असफल भुगतान की छात्रवृत्ति की राशि फिर से विद्यार्थियों के संशोधित बैंक खातों में ट्रांसफर की जाएगी। इस वजह से संबंधित विद्यार्थियों के बैंक खाते अपडेट करने के लिए कहा गया है। अगर तय समय सीमा में खाते अपडेट नहीं किए जाते हैं, तो इसकी जिम्मेदारी संबंधित संभाग या जिला शिक्षा अधिकारी की होगी।
यह योजनाएं हैं संचालित
अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़े वर्ग के विद्यार्थियों के स्कॉलरशिप के लिए 357 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान है। पहली से 12वीं तक के विद्यार्थियों के लिए शासन की ओर से 20 तरह की विभिन्न योजना संचालित की जाती हैं। इसके तहत विद्यार्थियों को 50 रुपये से लेकर 550 रुपये तक की छात्रवृत्ति मिलती है। प्रदेश में एक दर्जन से भी ज्यादा छात्रवृत्ति योजनाएं संचालित हैं। जिनमें प्रमुख रूप से निशक्तजन छात्रवृत्ति योजना, राज्य शासन की अनुसूचित जाति छात्रवृत्ति, राज्य शासन अनुसूचित जनजाति छात्रवृत्ति, पितृहीन कन्याओं की छात्रवृत्ति, प्री- पोस्ट मैट्रिक योजना, सुदामा प्री-मैट्रिक योजना, स्वामी विवेकानंद पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति एवं इकलौती बेटी को शिक्षा विकास छात्रवृत्ति योजनाएं शामिल हैं।
हर साल 400 करोड़ की छात्रवृत्ति  
बता दें कि हर साल करीब 12 लाख एससी-एसटी सहित विभिन्न वर्ग के विद्यार्थियों को करीब 400 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है। इसमें 20 प्रकार की छात्रवृत्ति होती है। इस संबंध में लोक शिक्षण संचालनालय (डीपीआई) की ओर से सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि इस बार फेल ट्रांजेक्शन की स्थिति निर्मित नहीं होनी चाहिए। इसका सीधा असर विद्यार्थियों पर पड़ता है। अब सभी विद्यार्थियों के खाते अपडेट किए जाएंगे। अब तक स्कूल शिक्षा विभाग के शिक्षा पोर्टल पर प्रोफाइल अपडेट किया जाता था। अब शासन की ओर से एमपीटास के माध्यम से डाटा अपडेट किया जा रहा है। इसकी प्रक्रिया इतनी लंबी है कि प्रोफाइल अपडेट नहीं हो पा रही और विद्यार्थियों की संख्या स्वीकृत नहीं हो पा रही। इसमें सभी विद्यार्थियों के खातों को आधार से लिंक करना है। इसमें आधार, समग्र आइडी और जाति प्रमाण पत्र में जन्मतिथि मिलाकर प्रोफाइल अपडेट करना है। अब तक पोर्टल पर विद्यार्थियों का डाटा अपडेट नहीं हो पाया, इस कारण भुगतान नहीं हो पाया है।

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