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102 सीटों पर  फैसला आज- भाजपा-कांग्रेस कहां-कितनी मजबूत

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नई दिल्ली: लोकसभा के पहले चरण का चुनाव शुक्रवार को होना है। 21 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की लोकसभा की 102 सीटों पर चुनावी जंग लड़ रहे उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला देश के मतदाता करेंगे।
लोकसभा चुनाव के फर्स्ट फेज में तमिलनाडु (39 सीटें), राजस्थान (12 सीटें), उत्तर प्रदेश (8 सीटें), मध्य प्रदेश (6 सीटें), महाराष्ट्र (5 सीटें), असम (5 सीटें), मणिपुर (2 सीटें), मेघालय (2 सीटें), मिजोरम (1 सीट), सिक्किम (1 सीट), नगालैंड (1 सीट), त्रिपुरा (1 सीट), उत्तराखंड (5 सीटें), पश्चिम बंगाल (3 सीटें), अरुणाचल प्रदेश (2 सीटें), बिहार (4 सीटें), अंडमान-निकोबार (1 सीट), जम्मू-कश्मीर (1 सीट), लक्षद्वीप (1 सीट), पुडुचेरी (1 सीट), छत्तीसगढ़ (1 सीट) पर वोटिंग होनी है। इन सीटों पर एनडीए गठबंधन के लिए मुकाबला आसान नहीं माना जा रहा है। इन सीटों पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी समेत आठ केंद्रीय मंत्री, दो पूर्व सीएम और एक पूर्व राज्यपाल समेत 1,625 प्रत्याशियों की किस्मत तय होनी है। डिब्रूगढ़ से जहाजरानी मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, मुजफ्फरनगर से संजीव बालियान, उधमपुर से जितेंद्र सिंह, अलवर से भूपेंद्र यादव, बीकानेर से अर्जुन राम मेघवाल और नीलगिरि से एल मुरुगन मैदान में हैं।

2019 के चुनाव में किसने कहां से हासिल की थी जीत
2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 40 सीटें जीती थीं। वहीं द्रमुक ने 24, जबकि कांग्रेस ने 15 सीटें जीती थीं। 102 सीटों में से 21 को स्विंग सीट कहा जा रहा है, जहां द्रमुक ने 2009 और 2019 में 13 सीटें जीती थीं। वहीं, 2014 में स्थिति पलट गई थी। इनमें से 12 सीटें तो अन्नाद्रमुक ने जीतीं, मगर पीएमके ने धरमपुरी की एक सीट अपने खाते में डाल ली।

तमिलनाडु में टेढ़ी खीर है भाजपा के लिए सीटें निकालना
दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर डॉ. राजीव रंजन गिरि बताते हैं कि भाजपा भले ही ये दावे करे, मगर उसके लिए इन 102 सीटों पर दबदबा कायम करना आसान नहीं है। बात अगर तमिलनाडु की सीटों की करें तो वहां भले ही भाजपा ने अपनी ताकत झोंकी है। खुद पीएम नरेंद्र मोदी वहां पर कई रैलियां कर चुके हैं, लेकिन वहां का मतदाता उन्हें कितना भाव देता है, ये वोटर ही बता सकता है। संभव है कि इस मशक्कत से भाजपा को वहां 2 सीटें मिल जाएं, मगर यह आसान नहीं होगा। वहां पर इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार ज्यादा सशक्त नजर आते हैं।

पश्चिमी यूपी की राह भी भाजपा के लिए आसान नहीं
जहां तक पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बात है तो किसान आंदोलनों की वजह से किसान भाजपा से ज्यादा खुश नहीं है। भले ही रालोद इस बार साथ में है, मगर जाट बहुल इलाके में जाटों को अपने पक्ष में करना उतना आसान नहीं है।

2019 में 8 में से 5 सीटें हारी थी भाजपा
2019 के लोकसभा चुनाव में पहले चरण की आठ में से पांच सीटों पर भाजपा हार गई थी। सहारनपुर सीट 2019 में बसपा के फजलुर्हमान ने सपा-रालोद के सहयोग से भाजपा के राघव लखनपान से छीन ली थी। 2019 में भाजपा के प्रदीप चौधरी कैराना से जीत गए थे, जो दोबारा मैदान में हैं। कांग्रेस के सहयोग से सपा के टिकट पर 27 साल की इकरा हसन इस बार दम लगा रही हैं।

बालियान के समक्ष है ठाकुरों की नाराजगी
मुजफ्फरनगर पर भाजपा के डॉ. संजीव बालियान 2014 से चुनाव जीतते आ रहे हैं। लेकिन इस बार उनके सामने ठाकुरों की नाराजगी बड़ी चुनौती है। सपा प्रत्याशी हरेंद्र मलिक मुस्लिम, जाट और बालियान से नाराज वोटरों को साधने में जुटे हैं।
बिजनौर में भाजपा के सहयोग से रालोद के टिकट पर लड़ रहे चंदन चौहान मजबूती में हैं। वहीं, नगीना में भाजपा के ओमकुमार तो आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर भी मैदान में हैं। मुरादाबाद सीट 2019 में डा. एसटी हसन ने भाजपा के सर्वेश सिंह से छीन ली थी। भाजपा ने फिर सर्वेश को उतारा, पर सपा ने आजम खान के दबाव में हसन का टिकट काटकर बिजनौर की पूर्व विधायक रुचि वीरा को दे दिया।


पीलीभीत सीट पर लड़ाई है जटिल
रामपुर में भाजपा ने सांसद घनश्याम लोधी को फिर उतारा है। 35 साल से पीलीभीत सीट मेनका व वरुण गांधी के पास रही। हालांकि, इस बार भाजपा ने योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे जितिन प्रसाद को चुनावी मैदान में उतारा है। उनके सामने सपा के भगवत सरन और बसपा के अनीस अहमद हैं। अगर यहां मुस्लिम वोटों में बंटवारा होता है तो कमल खिलने की उम्मीद बढ़ सकती है।

फर्स्ट फेज में जीत का अंतर भी जानना महत्वपूर्ण है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार ज्यादातर सीटों पर जीत का अंतर 10 फीसदी से कम ही है। इसे ऐसे समझते हैं-
इन सीटों पर जीत का अंतर
27 सीटों पर जीत का अंतर 10% से कम

ये हैं वीआईपी सीट, गडकरी, नकुलनाथ और चिराग पर सबकी नजरें
फर्स्ट फेज के चुनाव में नागपुर से नितिन गडकरी, अरुणाचल वेस्ट से किरेन रिजिजू, शिवगंगा से कार्ति पी चिदंबरम, छिंदवाड़ा से नकुल नाथ और हाजीपुर से चिराग पासवान चुनावी मैदान में हैं।

2019 में कांग्रेस ने अन्नाद्रमुक से छीनी थीं सीटें

2009 और 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने शिवगंगा, पुड्डुचेरी, अरनी और विरुधनगर की सीटें जीत ली थीं। वहीं, 2014 में इन सीटों को अन्नाद्रमुक और ऑल इंडिया एनआर कांग्रेस ने छीन ली थीं।

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