दो साल होने को आए, मगर रजिस्ट्रार के पास आवेदन पड़ा है लंबित, अब उषादेवी ने खटखटाया हाईकोर्ट का दरवाजा
इन्दौर। महाराजा होलकर द्वारा बनवाए गए खासगी ट्रस्ट और उसकी जमीनों को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। ट्रस्ट की अवैध रूप से बिकी बेशकीमती सम्पत्तियों का जिसमें इन्दौर हरिद्वार से लेकर कई अन्य सम्पत्तियां शामिल हैं। 138 से अधिक मंदिरों, घाटों और कई धर्मशालाओं सहित अन्य सम्पत्तियों का रखरखाव भी ट्रस्ट द्वारा किया जाता रहा। लगभग दो साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्रार आफ पब्लिक ट्रस्ट के समक्ष आवेदन कर मध्यप्रदेश ट्रस्ट एक्ट के तहत पब्लिक ट्रस्ट के रूप में नए सिरे से रजिस्ट्रेशन कराने के निर्देश दिए थे। मगर रजिस्ट्रार ने अभी तक इसका पंजीयन नहीं किया, क्योंकि संभागायुक्त सहित अन्य जिम्मेदारों के हस्ताक्षर नहीं हो पाए। अब महारानी उषादेवी ने इन्दौर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिस पर हाईकोर्ट नेे नोटिस जारी कर 6 हफ्ते में जवाब मांगा है।
इन्दौर के ही कई मंदिरों के साथ-साथ अन्य जमीनें देशभर में फैली हैं। खासगी ट्रस्ट की 246 सम्पत्तियों में 138 मंदिर, 18 धर्मशालाएं, दो दर्जन बगीचे और कुंड के अलावा 34 घाट भी हैं। जिनकी वर्षों से देखभाल ट्रस्ट द्वारा ही की जाती रही है। मप्र सहित 26 राज्यों में ट्रस्ट की सम्पत्तियां फैली है। कुछ वर्ष पूर्व हरिद्वार कुशवर्त घाट की सम्पत्ति बिकन के बाद हल्ला मचा और हाईकोर्ट ने इस मामले में कार्रवाई की और तत्कालीन कलेक्टर आकाश त्रिपाठी खुद हरिद्वार भी गए और वहां कोर्ट में शासन का पक्ष रखा। उसके बाद शासन-प्रशासन ने खासगी ट्रस्ट की बिकी जमीनों की जांच शुरू करवाई और फिर यह मामला हाईकोर्ट भी पहुंचा। इन्दौर हाईकोर्ट की डीबी ने यह सभी सम्पत्तियां शासन के अधीन ही मानी, जिसे फिर बाद में खासगी ट्रस्ट ने सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी और 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने खासगी ट्रस्ट की सम्पत्तियों को राज्य शासन के कब्जे में लेने के आदेश पर रोक लगा दी और यह निर्णय दिया कि इसके लिए मप्र पब्लिक ट्रस्ट एक्ट के तहत नए सिरे से ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन किया जाए और फिर उस ट्रस्ट द्वारा इन तमाम सम्पत्तियों का रखरखाव किया जाए। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक महीने का समय भी तय किया था, मगर अभी तक रजिस्ट्रार आफ पब्लिक ट्रस्ट ने नए ट्रस्ट का गठन नहीं करवाया, जबकि रजिस्ट्रार के समक्ष आवेदन कर दिया गया था।
दरअसल संभागायुक्त के अलावा लोक निर्माण विभाग और केंद्र से नियुक्त प्रतिनिधि सहित अन्य इस नए ट्रस्ट में शामिल किए गए, मगर उन्होंने अभी तक अपने हस्ताक्षर नहीं किए, जबकि इसी बीच तीन संभागायुक्त बदल भी गए। अब होलकर विरासत की महारानी उषादेवी ने इन्दौर हाईकोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद ट्रस्ट का गठन न होने देने की बात कही गई है, जिस पर हाईकोर्ट ने 6 हफ्ते में जवाब मांगा है।