नई दिल्ली. दुनिया के कई देशों में कोरोना वायरस की वजह से चल रहा लॉकडाउन हटाया जा रहा है. कोरोना वैक्सीनेशन की रफ्तार को वैश्विक तौर पर बढ़ाए जाने के प्रयास जारी हैं. इस बीच अमेरिकी टाइम मैगजीन में प्रकाशित एक स्टोरी में कहा गया है कि लोग वैक्सीनेशन के बावजूद भी नॉर्मल लाइफस्टाइल की तरफ वापस लौटने से कतरा रहे हैं. दरअसल बीते एक साल के दौरान कोरोना महामारी के प्रसार के कारण लोगों में एक झिझक पैदा हुई है.
टाइम की स्टोरी में कई अमेरिकी लोगों से बातचीत कर जाना गया है कि उनकी राय नॉर्मल लाइफस्टाइल को लेकर क्या है? दरअसल अमेरिका के सेंट्रल फॉर डिजीज कंट्रोल द्वारा कहा जा चुका है कि देश में वैक्सीन के दोनों डोज ले चुके लोगों को मास्क की जरूरत नहीं है. अमेरिका में अब तक 43 प्रतिशत लोगों का फुल वैक्सीनेशन पूरा हो चुका है. लेकिन टाइम की रिपोर्ट में कहा गया है कि वैक्सीनेशन करवा चुके लोगों में बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है जो अभी कोरोना से पहले वाली जिंदगी में लौटने से कतरा रहे हैं.
परस्पर मेल-जोल बढ़ाने से भी करता रहे हैं लोग, संक्रमण का भय
इससे पहले मार्च महीने में अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन द्वारा कराए गए सर्वे में सामने आया था कि लोग अब परस्पर मेल-जोल बढ़ाने से भी करता रहे हैं. उनके भीतर संक्रमण का भय बना रहता है. वहीं बीते महीने ‘यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन के इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थकेयर पॉलिसी एंड इनोवेशन’ द्वारा किए गए एक सर्वे में सामने आया था कि कोरोना का उम्रदराज लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर हुआ है. इस सर्वे में देखा गया कि मार्च 2020 से उम्रदराज लोगों के मानसिक स्वास्थ्य और नींद पर कोविड-19 महामारी का सबसे ज्यादा असर हुआ है. वहीं चार में से उम्रदराज व्यक्ति कोरोना काल के पहले के मुकाबले ज्यादा बैचेन और चिंतित दिखाई दिए.
रिसर्च में मानसिक स्वास्थ्य पर बुरे असर का होता रहा है जिक्र
कोरोना की पहली लहर के दौरान भी ऐसी कई रिसर्च सामने आ चुकी हैं कि लंबे समय तक महामारी का असर लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ेगा. लंबे समय तक लॉकडाउन के कारण घरों में बंद रहने और दुनियाभर से दुखद खबरें सुनने का नकारात्मक असर लोगों के जेहन पर पड़ा है. यही कारण है कि अब लोग पहले वाली सामान्य जिंदगी के बारे में सोचकर भी घबरा रहे हैं.