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नेशनल हाइवे के मुआवजे से असंतुष्ट किसानाें ने दुलवा से खातेगांव तक 12 किमी का निकाला पैदल मार्च, तहसीलदार काे दिया ज्ञापन

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देवास

नेशनल हाइवे में अधिग्रहित हो रही जमीनों की कम मुआवजा राशि आवंटित होने पर असंतुष्ट किसान 30 जून से दुलवा फाटे पर धरना दे रहे हैं। धरने के 13वें दिन सोमवार काे सभी आंदोलनकारी दुलवा से खातेगांव तक करीब 12 किमी का पैदल मार्च कर अपनी मांगों का ज्ञापन देने एसडीएम कार्यालय पहुंचे। नेमावर, गुराड़िया, दुलवा, रामनगर, संदलपुर, ननासा आदि जगह से आए लाेगाें में महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। एसडीएम की गैरमौजूदगी में तहसीलदार जीएस पटेल ग्रामीणों का ज्ञापन लेने और उनसे बात करने पहुंचे। शुरुआत में तो आंदोलनकारी इस बात से नाराज हो गए कि एसडीएम को सूचना करने के बाद भी वे ज्ञापन लेने नहीं आए। तहसीलदार पटेल और टीआई सज्जनसिंह मुकाती ने समझाया कि एसडीएम छुट्टी पर हैं।

तब कहीं जाकर वे बात करने को राजी हुए। तहसीलदार काे राज्यपाल के नाम ज्ञापन साैंपा। अशोक गुर्जर व सदासुख यादव ने बताया कि पिछले 3 माह से हम अलग-अलग कार्यालयों तथा अधिकारियों को आवेदन और ज्ञापन देकर थक गए हैं। धरना स्थल पर अधिकारी आते हैं और आश्वासन देकर चले जाते हैं, लेकिन धरातल पर कुछ नहीं हाे रहा है। हाइवे में जा रही जमीनों के मुआवजे में भारी अनियमितता और गड़बड़ी हुई है। इसी बीच एडीएम का तहसीलदार के पास फोन आया और उन्होंने बुधवार को खातेगांव आने की बात कही। तहसीलदार ने ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि प्रशासन इस मामले को गंभीरता से ले रहा है। किसी किसान या ग्रामीण के साथ अन्याय नहीं होगा। नायब तहसीलदार आरके गुहा ने कहा जब तक सभी संतुष्ट नहीं हो जाते तब तक हाइवे नहीं बनेगा।

​​​​​​​ग्रामीणों की ये हैं प्रमुख मांगें – जो भवन राजमार्ग से प्रभावित हुए हैं वह 2-3 मीटर के दायरे में हैं, उन्हें संपूर्ण निर्माण का शासकीय गाइडलाइन से निर्माण का पूरा पैसा दिया जाए। जो निर्माण सर्वे में छूट गए हैं, उन्हें पुनः जोड़ा जाए। 40 वर्ष से जो लोग यहां पर रहे हैं वह स्थान अभी तक उनके नाम पर नहीं हुई है उस जगह का मुआवजा भूमि/भवन स्वामी को ही दिया जाए। जितने भी भवन बने हैं उन्हें आवासीय डायवर्शन के हिसाब से मुआवजा दिया जाए। 2018 के बाद जो मकान बने हैं उन्हें भी इसमें शामिल किया जाए अादि मांगे शामिल हैं।

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