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 बिना डरे बिना किसी भय के अपनी बात रखते थे डॉ वेदप्रताप वैदिक : सनत कुमार जैन

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हिंदी पत्रकारिता के विकास में डॉ वेदप्रताप वैदिक का योगदान विषय पर व्याख्यान का आयोजन::


इन्दौर एक्सप्रेस मिडिया सर्विस, इन्दौर प्रैस क्लब और मातृभाषा उन्नयन संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में स्थानीय प्रेस क्लब परिसर के राजेंद्र माथुर सभागृह में डॉ वेदप्रताप वैदिक जन्मजयंती समारोह के तहत हिंदी पत्रकारिता के विकास में डॉ वेदप्रताप वैदिक का योगदान विषय पर केन्द्रित गरिमापूर्ण व्याख्यान का आयोजन किया गया। इंदौर प्रेस क्लब के राजेंद्र माथुर सभागृह आयोजित इस व्याख्यान कार्यक्रम में मुख्य अतिथि इन्दौर के सांसद शंकर लालवानी तथा विशेष अतिथि ईएमएस के सनत कुमार जैन, डॉ संजय द्विवेदी, और अरविंद तिवारी ने स्व डॉ वेदप्रताप वैदिक के संस्मरणों के साथ भारतीय पत्रकारिता विशेष कर हिन्दी पत्रकारिता और हिंदी के उत्थान के लिए किए गए उनके अभूतपूर्व कार्यों को याद किया। इन्दौर प्रेस क्लब अध्यक्ष अरविंद तिवारी ने व्याख्यान की शुरुआत करते कार्यक्रम आयोजन की रूपरेखा बताते कहा कि इन्दौर प्रेस क्लब के संस्थापक सदस्यों में शामिल वैदिक जी हिन्दी में हस्ताक्षर अभियान के प्रेरक रहें । इन्दौर प्रेस क्लब को जब भी उनके मार्गदर्शन की आवश्यकता पड़ी वे सदैव तत्पर रहते थे। वे जब भी इन्दौर आते थे तब किसी एक विशेष विषय पर हमसे चर्चा जरूर करते थे।
ईएमएस के चेयरमैन सनत कुमार जैन ने डॉ वेदप्रताप वैदिक की स्मृति में आयोजित इस कार्यक्रम के लिए आभार प्रकट करते डॉ वेदप्रताप वैदिक के ईएमएस से जुड़ने और उसके साथ अंत बने रहने के भावपूर्ण प्रसंग को बताया। श्री जैन ने कहा कि डॉ वेदप्रताप वैदिक इतने बड़े पत्रकार होने के बाद भी हर किसी की मदद सहजता और सरलता से कर देते थे। किसी भी विषय पर बिना डरे बिना किसी भय के अपनी बात रखते थे, एक बार उन्होंने ही एक बार एक संगोष्ठी भाजपा, मुसलमान और हिन्दुत्व विषय पर आयोजित कर तकरीबन ढाई घंटे के अपने उद्बोधन में सभी को संतुष्ट किया । विचारों की अभिव्यक्ति के साथ संबंध बनाए रखने के मामले में डॉ वेदप्रताप वैदिक का विकल्प ही शायद दूसरा कोई हो। श्री जैन ने कहा कि यह अपने आप में भी अभूतपूर्व है कि कट्टर हिन्दू होने और मूर्ति पूजा के विरोधी होने के बावजूद दुनिया भर के मुस्लिम राष्ट्रों से उनके संबंध बहुत अच्छे रहे। दुनिया के तकरीबन सभी इस्लामिक राष्ट्रों ने भारत की विदेश नीति को एक नये आयाम पर ले जाने में मदद की। श्री जैन ने डॉ वेदप्रताप वैदिक से अपना व्यक्तिगत अनुभव बताते कहा कि डॉ वैदिक के साथ पच्चीस साल रहते हुए मैंने हमेशा महसूस किया कि उनमें से जैसे प्रेम का झरना बहता था। श्रीं जैन ने कहा कि हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के उनके अभियान पर भी कई बार उसकी कमी बेशी पर भी हमारी खुल कर चर्चा हो जाती थी और ये उनका बड़प्पन ही था कि कमियों को वे सहर्ष स्वीकार कर लेते थे।
भारतीय जनसंचार संस्थान नईदिल्ली के पूर्व महानिदेशक भोपाल के डाक्टर संजय द्विवेदी ने डॉ वेदप्रताप वैदिक से हैदराबाद में हुईं अपनी पहली मुलाकात के साथ अनवरत शुरू हुए मुलाकात के सिलसिले को विभिन्न संस्मरणों के साथ सुनाया। उन्होंने कहा कि हालांकि वैदिक जी दिल्ली में रहे परन्तु थे इन्दौरी ही, महफिले जमाना मजमा लगाना, जो एक बार उनकी जिंदगी में आ गया फिर वापस नहीं लौट सकता। डा. संजय द्विवेदी ने कहा कि ऐसे बिरले व्यक्तित्व जो इतने बड़े स्थानों पर रहते हुए भी अपनी जड़ों को अपने संस्कारों को नहीं सिमटने दें। भारत को भारत की दृष्टि से व्यक्त करने वाले वे पहले पत्रकार थे।
कार्यक्रम के समापन पूर्व डॉ वेदप्रताप वैदिक के तमाम लेखों के संकलन और प्रकाशन पर भी चर्चा हुई जिस पर इन्दौर प्रेस क्लब के अध्यक्ष अरविंद तिवारी और मातृभाषा उन्नयन संस्थान के अर्पण जैन ने इसके लिए सहमति जताई। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में उपस्थित पत्रकार, साहित्यकार और बुद्धिजीवियों का आभार डा. अर्पण जैन ने जताया।

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