कान्ह नदी को गंदे पानी से मुक्त करने के लिए शहर में डेढ़ सौ करोड़ नाला टैपिंग प्रोजेक्ट पर खर्च हुए। शहर में आठ साल से यह काम जारी था और 400 आउट फाल्स बंद किए गए थे,लेकिन उसके बावजूद हालात नहीं बदले। नालों में आज भी गंदगी बह रही है और शहर में इस प्रोजेक्ट के तहत जहां पर बड़े चैंबर बनाए गए थे, वे भी तहस नहस हो चुके है।
शिप्रा नदी को गंदगी से मुक्त करने के लिए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने देवास, उज्जैन और इंदौर जिले के कलेक्टरों को जिम्मेदारी दी है। इसके बाद अब अफसर भी सक्रिय हो गए है। शिप्रा को मैला करने वाली कान्ह नदी इंदौर से बहती है और उज्जैन के पहले शिप्रा नदी में मिलती है।
नगर निगम ने शहर की सड़कों को खोद कर नाले किनारे बड़े पाइप बिछाकर नालों की तरफ जाने वाले सीवरेज को पाइपों से जोड़ा था, लेकिन बारिश के दिनों में वर्षाजल उन पाइपों में तेजी से जाता है और लाइन व चैंबर वर्षाजल का प्रेशर झेल नहीं पा रहे है।
कई स्थानों पर चैंबर टूट चुके है। नगर निगम ने सोमवार को टूटे चैंबरों के स्थान पर नए चैंबर बनाने के टेेंडर जारी किए है। सबसे ज्यादा हालत भागीरथपुरा से निरंजनपुर के बीच के हिस्से के चैंबरों की खराब हुई है। अब वहां फिर से नए चैंबर बनाए जाएंगे, ताकि पाइपों के जरिए सीवरेज का पानी सीधे कबीटखेड़ी ट्रीटमेेंट प्लांट तक पहुंच सके।
इस काम पर दो करोड़ रुपये की राशि खर्च होगी। आने वाले कुछ दिनों मेें यह काम जारी होगा। मेयर पुष्य मित्र भार्गव ने कहा कि इस नाला टैैंपिग प्रोजेक्ट की लाइन और चैैंबर जहां भी खराब हुए है। उसे ठीक किया जा रहा है।