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शरदपूर्णिमा पर चांद की चमक को कम करेगी पृथ्वी, एक घंटे 17 मिनट तक रहेगा चंद्रग्रहण

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चमकीली चांदनी के लिए जाना जाने वाला शरद पूर्णिमा का चांद आज (28 अक्तूबर) मध्यरात्रि में अपनी चमक को खोता नजर आएगा। पृथ्वी से इस समय लगभग 3 लाख 69 हजार 425 किमी दूर स्थित चंद्रमा, आंशिक चंद्रग्रहण की घटना के कारण कुछ घंटे पृथ्वी के साए में रहेगा। नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने चंद्रग्रहण के वैज्ञानिक तथ्यों को बताने विद्या विज्ञान कार्यक्रम का आयोजन किया।

सारिका ने बताया कि इस चंद्रग्रहण की शुरुआत उपछाया ग्रहण से आज (28 अक्तूबर) रात 11 बजकर 31 मिनट के कुछ बाद होगी। लेकिन महसूस होने वाला आंशिक ग्रहण मध्यरात्रि के बाद एक बजक कर पांच मिनट आरंभ होगा, जो कि रात एक बजकर 44 मिनट पर अधिकतम ग्रहण की स्थिति होगी। यह आंशिक ग्रहण रात लगभग दो बजकर 23 मिनट पर समाप्त हो जाएगा, लेकिन इसके बाद भी उपछाया ग्रहण तो चलता रहेगा जो कि पूरी तरह 3 बजकर 57 मिनट पर समाप्त होगा। सारिका ने बताया कि इस तरह वैज्ञानिक रूप से ग्रहण की कुल अवधि 4 घंटे 25 मिनट होगी। लेकिन महसूस होने वाले आंशिक ग्रहण की कुल अवधि 1 घंटे 17 मिनट होगी।

सारिका ने बताया कि पृथ्वी जब चंद्रमा और सूर्य के बीच होती है तो इसके द्वारा सूर्य का प्रकाश रोक लिया जाता है और सूर्य का पूरा प्रकाश चंद्रमा पर नहीं पड़ता है अर्थात चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया पड़ती है। इसे चंद्रग्रहण कहा जाता है, जब चंद्रमा, पृथ्वी की उपछाया में होता है तो उस समय उपछाया ग्रहण होता है। जब चंद्रमा का कुछ भाग पृथ्वी की घनी छाया वाले भाग में आता है तो आंशिक चंद्रग्रहण होता है । इस बार यह दोनों स्थितियां बन रही हैं।

चंद्रग्रहण की यह घटना भारत सहित एशिया, आस्ट्रेलिया, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका सहित हिन्द महासागर के अधिकांश भागों से दिखाई देगा। इस तरह गणितीय अनुमान के अनुसार उपछाया ग्रहण का कुछ न कुछ भाग इस विश्व की लगभग 92.14 प्रतिशत जनसंख्या और आंशिक ग्रहण को 87.07 प्रतिशत जनसंख्या देख पाएगी।

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