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आर्थिक संकट के बीच पाकिस्तान की सियासत में भूचाल

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भारतीय मीडिया के पत्रकार इन दिनों देश में चल रहे लोकसभा चुनाव में व्यस्त हैं। उनके पास या तो समय नहीं है या पाकिस्तानी मीडिया में फूटे बम में उन्हें कोई दिलचस्पी नहीं है। ‘दुबई अनलॉक्ड’ शीर्षक से छपी अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट में उन लोगों के नाम उजागर किए गए हैं, जिन्होंने दुबई में संपत्तियां खरीदीं।बदहाल पाकिस्तान में ‘दुबई अनलॉक्ड’ रिपोर्ट ने तहलका मचा रखा है। इससे पता चला है कि ऐसे समय में, जब मुल्क आर्थिक संकट से गुजर रहा है और आईएमएफ से दूसरे बेलआउट पैकेज के लिए गुहार लगा रहा है, पाकिस्तानियों ने दुबई में 11 अरब डॉलर की संपत्ति खरीदी है।

कम से कम पाकिस्तान में ‘दुबई अनलॉक्ड’ प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, दोनों में सुर्खियों में है और आने वाले हफ्तों में इस पर बहस होगी। इस रिपोर्ट से पता चलता है कि ऐसे समय में जब मुल्क आर्थिक संकट से गुजर रहा है और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से दूसरे बेलआउट पैकेज के लिए गुहार लगा रहा है, पाकिस्तानियों ने विदेश में 11 अरब डॉलर की संपत्ति खरीदी है। हालांकि दुबई अनलॉक्ड को ध्यान से पढ़ने पर पता चलता है कि भारतीय करोड़पतियों ने दुबई में निवेश के मामले में पाकिस्तानियों को पछाड़ दिया है। 29,700 भारतीय नागरिकों ने 17 अरब डॉलर की 35,000 संपत्तियां दुबई में खरीदी हैं।

वैसे यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि पाकिस्तान के बाहर संपत्ति खरीदना अवैध नहीं है। कई लोगों ने विदेशों में संपत्ति खरीदी है या कर चुकाई गई आय का उपयोग संपत्ति खरीदने में किया है। संपत्ति की वैधता तय करना संबंधित देश के कर अधिकारियों पर निर्भर है। लेकिन पाकिस्तान में सबसे दिलचस्प बात यह है कि कई मामलों में सैन्य और असैन्य अभिजात वर्ग ने अपने आयकर रिटर्न में दुबई की इन संपत्तियों का उल्लेख नहीं किया है, खासकर राजनेता, जिनके आयकर रिटर्न सार्वजनिक हैं।

गौरतलब है कि पाकिस्तान में नागरिकों के बीच भारी असमानता है, जहां उच्च मुद्रास्फीति और बेरोजगारी के कारण हजारों पाकिस्तानियों के लिए भोजन जुटाना मुश्किल हो रहा है। दूसरी ओर पाकिस्तानी समाज के हर तबके में यह अभिजात वर्ग है, जिसने इतनी संपत्ति जमा कर ली है कि उनके पास दुबई में महल तक हैं। 

पाकिस्तान की पिछली सरकारों ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के अधिकारियों से इकामा (प्रवास वीजा) हासिल करने वाले पाकिस्तानी नागरिकों की संख्या और वहां किए गए निवेशों के नाम और विवरण पाने की कोशिश की थी, लेकिन यूएई अधिकारी इन विवरणों को साझा करने में अनिच्छुक रहे हैं। एक दर्जन से अधिक सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों एवं उनके परिजनों सहित बैंकरों एवं नौकरशाहों ने दुबई के महंगे इलाकों में संपत्तियां खरीदी हैं। इनमें जनरल परवेज मुशर्रफ और कई अन्य जनरल शामिल हैं। राजनेताओं में पाकिस्तान तहरीक-ए इंसाफ (पीटीआई) नेता इमरान खान की बहनें, राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी का परिवार और यहां तक कि मौजूदा गृहमंत्री मोहसिन नकवी और इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी की करीबी दोस्त शामिल हैं। जैसा कि एक टिप्पणी में कहा गया है कि एक विकासशील देश, जो आर्थिक पतन के कगार पर है, अंतरराष्ट्रीय ऋणदाताओं और मित्र देशों से भीख मांग रहा है, वहां के नागरिकों का विदेशों में इतनी भारी मात्रा में निवेश आश्चर्यजनक है।

इसके अलावा, पाकिस्तान में इन दिनों मुल्क की ताकतवर सेना और सुप्रीम कोर्ट के बीच तनाव की चर्चा है। पिछले नौ महीने से रावलपिंडी की अदियाला जेल में बंद पीटीआई नेता इमरान खान ने हाल ही में कोर्ट में एक पेशी के दौरान संदेश दिया कि वह सैन्य नेताओं से बात करना चाहते हैं। लेकिन उनके संदेश का खंडन किया गया और इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस के महानिदेशक ने चुप रहने के लिए कहा। उन्होंने एक मीडिया सम्मेलन में कहा कि अगर इमरान खान बात करना चाहते हैं, तो उन्हें राजनीतिक दलों से संपर्क करना चाहिए, न कि सेना से।

अब इमरान खान जिद पर अड़े हुए हैं और कहते हैं कि वह सेना प्रमुख को पत्र लिखेंगे, लेकिन पत्र का मजमून क्या होगा, इसका खुलासा नहीं करते। वह मुख्य राजनीतिक दलों, जिनमें से कई सरकार में शामिल हैं, से बात करने से इन्कार करते हैं, क्योंकि उनका कहना है कि वे ‘शक्तिहीन’ हैं और असली ताकत रावलपिंडी में है। हालांकि सैन्य जनरल यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी अभी जेल में रहेंगे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले ने संकेत दिया है कि उन्हें राहत मिलेगी और यहां तक कि उन्हें सभी मामलों में जमानत देकर जेल से बाहर रहने की इजाजत दी जाएगी।

फिलहाल एक बड़े घटनाक्रम में सुप्रीम कोर्ट ने इमरान खान को अदियाला जेल से वीडियो लिंक के माध्यम से अपने मामले की पैरवी करने पर मंजूरी दी है। हाल में सभी अदालती मामलों का सुप्रीम कोर्ट से सीधा प्रसारण किया जा रहा है और इससे आम पाकिस्तानी को पहली बार देश की शीर्ष अदालत से लाइव कार्यवाही देखने का मौका मिला है।

पिछले नौ महीनों से इमरान खान की कोई भी तस्वीर सार्वजनिक नहीं की गई है, इसलिए कोई नहीं जानता कि वह बदल गए हैं या नहीं। हालांकि उनके वकीलों, पार्टी नेताओं और परिवार को उनसे मिलने की अनुमति है, लेकिन फोटोग्राफी की अनुमति नहीं है। यदि मामला अगले सप्ताह टेलीविजन पर लाइव दिखाया जाता है, तो सुप्रीम कोर्ट सेना के अलिखित आदेशों की अवहेलना करेगी, जिसने जनता को उनकी कोई भी छवि देखने से मना किया है। इस बीच बिना नेतृत्व के इमरान खान के समर्थकों की रुचि भी घटती जा रही है और हाल ही में जब जुलूस और रैलियां निकालने का आह्वान किया गया, तो उपस्थिति नगण्य थी। पीटीआई के भीतर की अंतर्कलह खुलकर सामने आ गई है और सरकार की सख्ती के कारण कई पीटीआई कार्यकर्ता जेल में हैं और कुछ पर सैन्य मुकदमा चल रहा है, जिससे पार्टी सबसे कमजोर नजर आ रही है।

इस बीच राजनेताओं द्वारा एक गोलमेज सम्मेलन कर मुल्क की अर्थव्यवस्था तथा लगातार आतंकवादी हमलों से संबंधित तात्कालिक चुनौतियों पर चर्चा करने की कोशिश की जा रही है। इस सम्मेलन में कई लोग पीटीआई को लाने की कोशिश कर रहे हैं, जहां राजनीतिक मतभेदों से परे मुल्क की स्थिरता के लिए एक न्यूनतम सहमति वाला कार्यक्रम तैयार किया जा सके। कई लोग सेना को भी आगाह कर रहे हैं कि उसे पीटीआई के प्रति भी उदार रुख अपनाना होगा और हाल के चुनावों में एक मजबूत वोट बैंक के साथ मजबूत होकर उभरने के बाद उसे जगह देनी होगी। उसे जनादेश से वंचित करने से केवल गतिरोध ही पैदा होगा।

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