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इंदौर के मास्टर प्लान को भी नम्बर वन बनाने की कवायद

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इंदौर । मास्टर प्लान-2035 की कवायद इंदौर से लेकर भोपाल तक चल रही है। नगर तथा ग्राम निवेश ने बेसमैप तैयार कर भेज दिया था। उसके बाद मैदानी सर्वे भी हो गया। दूसरी तरफ इंदौर के जागरूक नागरिकों, विशेषज्ञों ने स्वच्छता की तर्ज पर नम्बर वन मास्टर प्लान इंदौर का हो उस पर भी विगत कई महीनों से लगातार काम किया और इंदौर उत्थान अभियान के तहत मास्टर प्लान के प्रावधानों को तैयार किया है, जिसका कल पॉवर पाइंट प्रजेंटेशन प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन नीरज मंडलोई के समक्ष किया जाएगा। कल दोपहर 3 बजे स्मार्ट सिटी के नेहरू पार्क स्थित कार्यालय पर यह बैठक रखी गई है। इस अवसर पर प्रमुख सचिव स्वच्छ भारत सर्वेक्षण की समीक्षा भी निगम अधिकारियों के साथ करेंगे।

प्रमुख सचिव श्री मंडलोई को वैसे तो आज 5 मई को इंदौर आना था। मगर स्वच्छ भारत सर्वेक्षण की बैठक भी उन्हें लेना है। लिहाजा अब वे कल 6 मई को इंदौर रहेंगे और मास्टर प्लान पर चर्चा के साथ स्वच्छता सर्वेक्षण के साथ निगम अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों से चर्चा करेंगे। दूसरी तरफ इंदौर उत्थान अभियान द्वारा लगातार आगामी मास्टर प्लान पर काम किया जा रहा है, जिसके अध्यक्ष अजीतसिंह नारंग का कहना है कि हमारा प्रयास है कि जिस तरह स्वच्छता में इंदौर लगातार 6 बार अव्वल और नम्बर वन रहा है, उसी तरह इसका मास्टर प्लान भी ऐसा बने जो देश में मिसाल साबित हो और शहरी नियोजन का समग्र विजन उसमें नजर आए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इंदौर की प्रशंसा कर चुके हैं और मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के तो ये सपनों का शहर है ही।

लिहाजा उसके लिए जो आगामी मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है वह भी सर्वश्रेष्ठ बने। पिछले दिनों श्री नारंग के साथ भोपाल जाकर इंदौर उत्थान अभियान से जुड़े विशेषज्ञों ने विभागीय मंत्री भूपेन्द्र सिंह से भी चर्चा की और उन्हें मास्टर प्लान को लेकर तैयार की गई योजनाओं से अवगत कराया। श्री नारंग का कहना है कि इंदौर कुछ ही वर्षों में देश के बड़े महानगरों को पीछे छोड़ देगा। तमाम आईटी कम्पनियों से लेकर अन्य उद्योग तेजी से इंदौर आ रहे हैं। लिहाजा आवासीय, व्यवसायिक, औद्योगिक गतिविधियों से लेकर शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन सहित नागरिक सुविधाओं से जुड़े तमाम मुद्दों को इस मास्टर प्लान में शामिल किया गया है, जिसमें जल प्रदाय, सीवरेज, जल निकासी, ठोल अपशिष्ट प्रबंधन, यातायात के साथ-साथ अनियंत्रित विकास और निर्माण की गतिविधियों को किस तरह व्यवस्थित किया जाए उसकी पूरी प्लानिंग की गई है। कल प्रमुख सचिव के समक्ष इंदौर उत्थान अभियान के तहत विशेषज्ञों द्वारा तैयार किए गए मास्टर प्लान के प्रावधानों का पॉवर प्रजेंटेशन दिया जाएगा, जिसमें इंदौर को मेट्रो पोलिटन सिटी के रूप में विकसित करने पर भी विशेष जोर दिया गया है। हालांकि शासन स्तर पर भी इसकी बात लगातार की जाती रही है।

नहीं कोई मालामाल बने और ना हो कंगाल
इंदौर का मास्टर प्लान वैसे तो हमेशा ही विवादित रहा है। यही कारण है कि तय समय पर कभी भी मास्टर प्लान अमल में नहीं लाया जा सका। वर्तमान मास्टर प्लान भी दिसम्बर 2021 में ही समाप्त हो गया और अभी 2023 के भी चार महीने बीत चुके हैं। मगर उसका प्रारुप प्रकाशन ही नहीं हो सका। मास्टर प्लान में ग्रीन बेल्ट से लेकर कृषि जमीनों को आवासीय, व्यवसायिक करने के भी खेल होते रहे हैं। लिहाजा अब उद्देश्य यह है कि ऐसा प्लान बने कि जिससे ना कोई माला माल हो ना कोई कंगाल।

देवास, धार, उज्जैन, पीथमपुर को भी करें शामिल
इंदौर मेट्रो पोलिटन सिटी के रूप में घोषित कर उसके आसपास के शहरों को भी मास्टर प्लान में समाहित करने के प्रयास लगातार किए जाते रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी मेट्रो पोलिटन सिटी के रूप में इंदौर को घोषित करने की कवायद शुरू की थी। अब विशेषज्ञों का भी कहना है कि इंदौर के मास्टर प्लान को इस तरह बनाया जाए जिसमें देवास, धार, पीथमपुर, उज्जैन को भी शामिल किया जाए, क्योंकि आसपास के इन सभी शहरों का केन्द्र इंदौर ही है।

निगम भी बना रहा है वार्डवार मास्टर प्लान
महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने अपने बजट भाषण में 85 वार्डों के मास्टर प्लान की घोषणा की है। वहीं 29 गांवों और बिजलपुर के लिए भी अलग से बजट रखा गया है। कल वार्ड 82 के बनाए गए मॉडल प्लान पर चर्चा की गई, जिसके चलते अब सभी 85 वार्डों के मास्टर प्लान बनाने और उस पर अमल करने का दावा निगम कर रहा है। वार्डों की इस मास्टर प्लानिंग में अंदरुनी रोड, सीवरेज, पानी की लाइन, उद्यानों, प्रकाश व्यवस्था के साथ अवैध निर्माण, अतिक्रमणों को रोकने की प्रक्रिया शामिल रहेगी।

टीडीआर पॉलिसी आई, रिसीविंग झोन के पते नहीं
शासन स्तर पर जहां मास्टर प्लान लम्बित है, वहीं भूमि विकास नियम से लेकर अन्य संशोधन भी लम्बित पड़े हैं। जिन मकानों-दुकानों को सडक़ चौड़ीकरण सहित अन्य विकाय कार्यों के लिए तोड़ा गया उसके बदले निगम ने मुआवजे के स्थान पर टीडीआर सर्टिफिकेट दिए हैं। इसके लिए शासन ने पॉलिसी तो घोषित कर दी, मगर रिसीविंग झोन अभी तक तय नहीं किए हैं, जिसके चलते टीडीआर सर्टिफिकेट का इस्तेमाल कैसे और किन क्षेत्रों में होगा यह ही तय नहीं किया जा सका है।

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