मध्यप्रदेश की औद्योगिक राजधानी इंदौर की विधानसभा क्षेत्र क्रमांक एक सीट प्रदेश की सबसे हॉट सीट बनी हुई है। इस सीट पर चुनावी मुकाबला भाजपा-कांग्रेस के बीच न होकर ‘पिता-पुत्र’ के बीच हो गया है। कांग्रेस के उम्मीदवार संजय शुक्ला भाजपा उम्मीदवार कैलाश विजयवर्गीय को पिता तुल्य बताते हैं, तो भाजपा उम्मीदवार भी कांग्रेस प्रत्याशी को अपने पुत्र जैसा कह चुके हैं। मुकाबले में भले ही अब चंद घंटे बचे हुए हैं, लेकिन इस सीट पर चुनावी गर्मी कम होने का नाम नहीं ले रही है। कैलाश विजयवर्गीय शिफ्ट में काम करते हुए दिख रहे हैं। कभी वे सुबह इंदौर में होते हैं, तो शाम को मालवा-निमाड़ में। कभी वे सुबह मालवा-निमाड़ में प्रचार करते है, तो शाम को इंदौर में अपने लिए वोट मांगते हुए नजर आते हैं। जबकि उनके विरोधी संजय शुक्ला पूरे समय अपनी ही विधानसभा क्षेत्र में पूरा समय देते हैं। वे सुबह से शाम तक प्रचार करते हैं। देर रात कार्यकर्ताओं की बैठक लेते हैं।
लगातार हो रहे भंडारे
इंदौर की हॉट सीट पर ठेठ इंदौरी अंदाज में ही चुनाव की गहमा-गहमी चल रही है। हर प्रमुख मंदिरों और चौराहों पर भंडारे चल रहे हैं। कार्यकर्ताओं की हर तरह से आवभगत की जा रही है। उनके सुख और दुख का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। चुनावी मैदान में डटी हुई महिला कार्यकर्ताओं की भी दोनों दलों की तरफ से पूछ-परख हो रही है। बूथों की कमान संभालने वालों से लेकर पार्षदों तक को हर तरह के संसाधन मुहैया करवाएं जा रहे हैं। हर गली और चौराहों को साधने के लिए रणनीति तैयार की जा रही है।
चुनाव में भाजपा जहां कैलाश विजयवर्गीय के नाम, काम और चुनावी मैदान में अजेय योद्धा वाली छवि के साथ मैदान में है। जबकि कांग्रेस अपने उम्मीदवार के सरल व्यवहार, सतत संपर्क और धार्मिक यात्रा और अनुष्ठान के आधार पर मैदान में हैं। विजयवर्गीय को जहां पार्टी और संगठन का भरपूर सहयोग मिला है, तो संजय को पार्टी के साथ-साथ परिवार और मित्रों का साथ मिला है। शुक्ला जहां घर घर दस्तक दे रहे हैं, तो विजयवर्गीय क्षेत्र में सामाजिक ताना-बाना बुनने में मेहनत कर रहे हैं। भाजपा को यहां आरएसएस के मजबूत नेटवर्क की मदद मिल रही है। जबकि कांग्रेस ने इस बार भी बूथ मैनेजमेंट पर फोकस किया हुआ है। कांग्रेस इस बार भी बूथ पर मजबूत पकड़ बनाने में लगी है।
विजयवर्गीय के लिए मोदी-राजनाथ, संजय के लिए सिर्फ प्रियंका
क्षेत्र क्रमांक एक में अब तक राजनाथ सिंह से लेकर कई केंद्रीय मंत्रियों की आमद हो चुकी है। पीएम नरेंद्र मोदी भी क्षेत्र में रोड शो कर चुके हैं। जबकि कांग्रेस की तरफ से अब तक अकेले संजय ही अपनी टीम के संग लड़ रहे हैं। उनके लिए प्रियंका गांधी ने एक छोटा रोड शो जरूर किया। लेकिन प्रदेश का कोई बड़ा नेता अब तक नजर नहीं आया। कमलनाथ जरूर आए थे, लेकिन नामांकन दाखिल कराने के बाद पलटकर अब तक नहीं आए।
इस सीट पर अल्पसंख्यक वोटरों की भरमार होने से कांग्रेसी खुश हैं। जबकि भाजपा के लिए यह चुनौती बनी हुई है। क्षेत्र के सिरपुर, गीता नगर, चंदन नगर, जिंसी, जूना रिसाला, बड़वाली चौकी जैसे इलाके कांग्रेस के केंद्र है। भाजपा का फोकस भी इन क्षेत्रों पर है, लेकिन वो वोट से ज्यादा वोटिंग प्रतिशत से जुड़ा है। इन इलाकों में की जा रही मेहनत का मतदान वाले दिन खुलासा होगा। कांग्रेस की रणनीति ने काम किया, तो तेज वोटिंग नजर आएगी। अगर वोटिंग प्रक्रिया धीमी रही, तो समझा जाएगा कि भाजपाई रणनीति कारगर रही। ये 17 नवंबर को अल्पसंख्यक इलाकों में लगने वाली कतारों पर ही निर्भर होगा।