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वास्तविक मीटर रीडिंग के आधार पर हर माह भेजे जाएं बिजली बिल 

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घरेलू उपभोक्ताओं को नहीं मिल रहा प्रतिमाह ₹100 के रियायती बिल का लाभ : अजय खरे

मीटर खराब नहीं तो फिर नए मीटर जबरिया क्यों लगाए जा रहे 

रीवा 10 जुलाई । प्रदेश में घरों एवं दुकानों पर विद्युत कंपनियों के द्वारा बिजली के नए मीटर जबरिया लगाए जा रहे हैं। पुराने मीटरों में कोई शिकायत नहीं होने के बावजूद उन्हें बदला जा रहा है। बिजली कंपनियों की ऐसी कार्यवाही को लेकर आम बिजली उपभोक्ताओं को आपत्ति है। उनका कहना है कि जब मीटर सही हालत में है तो उसे बदलने की क्या जरूरत है। आखिरकार नए मीटर लगाने का खर्चा आम उपभोक्ताओं की जेब से ही वसूला जाने वाला है। 22 वर्ष से अधिक समय हो गया दिग्विजय सिंह सरकार के समय भी बड़े पैमाने पर नए मीटर लगाने का अभियान चलाया गया था। अच्छी हालत में चल रहे मीटरों को भी बदल दिया गया था। इस अभियान का जमकर विरोध हुआ। आखिरकार 2003 में जनता ने जन विरोधी नीतियों के चलते दिग्विजय सरकार को बदल दिया था। प्रदेश की मोहन सरकार ऐसी गलती करने से बाज आए।

मध्यप्रदेश में वर्ष 2018-19 में कमलनाथ सरकार के समय सभी घरेलू बिजली उपभोक्ताओं को प्रतिमाह 100 यूनिट तक की बिजली खपत पर अधिकतम ₹100 देने की नीति बनाई गई थी। जो सरकार बदलने के बाद अभी भी लागू है। लेकिन यह देखने में आ रहा है कि बहुत सी जगह हर माह नियमित रूपसे मीटर रीडिंग नहीं ली जा रही है। जिस माह रीडिंग नहीं ली जाती वहां औसत रीडिंग के दर्शाने के बजाय शून्य रीडिंग के आधार पर ₹100 के आसपास का बिल थमा दिया जाता है। ऐसी स्थिति में एक माह रीडिंग नहीं होने पर दोनों माह की वास्तविक बिजली खपत के आधार पर अगले माह अधिक बिल आएगा। बिजली विभाग द्वारा दो या अधिक माह की बिजली की खपत एक साथ जोड़कर अधिक बिल भेजा जाता है। किसी उपभोक्ता के यहां पहले माह की रीडिंग 90 यूनिट है। उक्त उपभोक्ता के यहां मीटर रीडिंग नहीं होने पर बिजली विभाग द्वारा उस माह की मीटर रीडिंग शून्य दर्शाकर ₹100 के आसपास का बिल भेज दिया जाता है। जब दूसरे माह रीडिंग होती है तो उसमें पहले माह की रीडिंग जोड़कर बिल भेजा जाता है। यदि पहले माह की खपत 90 यूनिट है और अगले माह की खपत 95 यूनिट है तो दोनों माह की कुल खपत 185 यूनिट होगी जिसका बिल 2000 के आसपास बनेगा। यदि उपभोक्ता के मीटर की नियमित रीडिंग होती तो उसे हर माह अधिकतम केवल ₹100 ही देने होते। लेकिन यहां पहले शून्य रीडिंग पर ₹100 वसूल लिए जाते हैं और अगले माह 185 यूनिट पर करीब ₹2000 वसूले जाते हैं। इस तरह से उपभोक्ता को दो माह में कुल ₹2100 बिल के अदा करने होते हैं। जबकि नियमित मीटर रीडिंग होने पर उसे प्रतिमाह केवल ₹100 ही देने होंगे।

समता संपर्क अभियान के राष्ट्रीय संयोजक लोकतंत्र सेनानी अजय खरे ने कहा है कि विद्युत कंपनियों के द्वारा मनमाने तरीके से उपभोक्ताओं को लूटने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। विद्युत कंपनियों की कोशिश है कि 100 यूनिट तक की खपत वाले उपभोक्ताओं को छूट का लाभ नहीं मिले। इसके चलते हर माह रीडिंग नहीं ली जा रही है। पहले माह शून्य रीडिंग दर्शाकर ₹100 का बिल वसूल लिया जाता है और फिर अगले माह 2 माह की रीडिंग के आधार पर बिल भेजे जा रहे हैं जिसके चलते उपभोक्ताओं को किसी तरह की छूट नहीं मिल पा रही है। लगाए जा रहे नए मीटर को लेकर शिकायतें सुनने को मिल रही है कि यह तेज भाग रहे हैं। इसके चलते हर माह वास्तविक खपत से अधिक बिल आ रहा है। लगाए जा रहे मीटर सही हैं या नहीं इसकी जानकारी उपभोक्ता को नहीं हो पाती है। जब अधिक बिल आता है तो उसे लगता है कि कहीं ना कहीं गड़बड़ है। अधिकांश लोगों के द्वारा घरों एवं दुकानों में कम खपत वाले एलईडी बल्ब लगाए गए हैं। फिर भी बढ़ चढ़कर बिल भेजे जा रहे हैं। श्री खरे ने कहा कि यदि कोई उपभोक्ता मीटर रीडिंग अधिक आने की शिकायत करता है तो संबंधित मीटर की जांच तत्काल कराई जाना चाहिए। मीटर खराब पाए जाने पर उसे तत्काल बदला जाए एवं उपभोक्ता से अधिक वसूली गई राशि को भी बिजली कंपनी के द्वारा वापस किया जाना चाहिए।

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