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करोड़ों रुपए की दवाइयों का गबन

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– मेडिकल स्टोर संचालक, मध्यस्थ और 45 कार्ड धारकों पर गबन का आरोप, एम्स व निजी अस्पताल के चिकित्सक जांच के दायरे में
– तीन जगहों पर छापे, अनेक दस्तावेज, कम्प्यूटर जब्त, दवा दुकानदार गिरफ्तार, सेल्समैन हिरासत में

जोधपुर।
सरकारी कर्मचारियों के नि:शुल्क इलाज के लिए लागू राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना (आरजीएचएस) की आड़ में मेडिकल स्टोर व मध्यस्थ ने करोड़ों रुपए की दवाइयों का बिल उठाकर गबन (RGHS Scam) कर लिया। एक वृद्धा के स्तन कैंसर के इलाज के नाम पर निजी अस्पताल में इलाज और जालोरी गेट के भीतर दवाइयों की एक दुकान से लगातार कीमती दवाइयाें के बिल बनने पर योजना के क्लेम प्रोसेसिंग व ऑडिट करने वाली कम्पनी ने जांच की तो बड़ा घोटाला उजागर हो गया। बासनी थाना पुलिस ने गबन व धोखाधड़ी की एफआइआर दर्ज कर औषधी नियंत्रक विभाग के साथ दवा दुकानदार के तीन ठिकानों पर बुधवार को छापेमारी कर आरजीएचएस योजना से जुड़े अनेक दस्तावेज व कम्प्यूटर जब्त किए। दुकानदार की दुकान व मकान में एक कमरा सील किया गया है।
पुलिस के अनुसार आरजीएचएस के संयुक्त परियोजना निदेशक अभिषेकसिंह किलक जालोरी गेट के भीतर झंवर मेडिकल एजेंसीज के संचालक, बतौर मध्यस्थ उमेश परिहार और 44 कार्ड धारक व लाभार्थियों के खिलाफ धोखाधड़ी व गबन का मामला दर्ज करवाया। थानाधिकारी जितेन्द्रसिंह व अतिरिक्त औषधी नियंत्रक व टीम के साथ दवाइयों की दुकान, संचालक की बासनी स्थित हैण्डीक्राफ्ट फैक्ट्री व लालसागर के आदर्श नगर में मकान में दबिश दी। दवाइयों की दुकान व फैक्ट्री में ऑफिस से अनेक दस्तावेज और कम्प्यूटर आदि जब्त किए गए हैं। इनमें आरजीएचएस संबंधी बिल, चिकित्सकों की पर्चियां आदि शामिल हैं। मकान में बंद कमरे को सील किया गया है। जिसकी बाद में जांच व तलाशी ली जाएगी।
राज्य सरकार ने इण्डिया हैल्थ इंश्योरेंस प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी से इकरार कर रखा है। जो आरजीएचएस के क्लेम प्रोसेसिंग व पोस्ट ऑडिट की जांच करती है। इस कमपनी की जांच में यह घोटाला उजागर हुआ।
दवा दुकानदार गिरफ्तार, सेल्समैन की भूमिका की जांच
थानाधिकारी जितेन्द्रसिंह ने बताया कि तलाशी व जांच के दौरान दवाईयों की दुकान से अस्पताल की कई फर्जी मोहरें जब्त की गईं हैं। झंवर मेडिकल एजेंसीज के मालिक लसागर में आदर्श नगर निवासी जुगल पुत्र पूनमचंद झंवर को गिरफ्तार किया गया। उसकी दुकान सील की गई है।
ऐसे उजागर हुआ करोड़ों रुपए का घोटाला…
गांठ-मानसिक बीमारी, कार्ड से उठाते रहे कैंसर की दवाइयां
आरजीएचएस कार्ड धारक मोहन कंवर (87) का मेडिकल पल्स अस्पताल से स्तन कैंसर का लगातार इलाज होने का पता लगा। जालोरी गेट के अंदर झंवर मेडिकल से कीमती दवाइयां ली जा रही थी। कम्पनी के राज्य प्रमुख डॉ प्रशांत क्षत्रिय ने जांच के आदेश दिए। जांच के लिए कम्पनी वृद्धा के घर पहुंची, जहां पोते अजीतसिंह से जांच की। पोते ने बताया कि छह माह पहले दादी को मथुरादास माथुर अस्पताल व महात्मा गांधी अस्पताल ले गए थे। जांच में निजी अंग में गांठ व मानसिंह बीमारी बताई गई थी। दूसरी कोई बीमारी नहीं है। कभी कभार आरजीएचएस से दवाइयां लेते हैं। पिता दवाइयां लेने गए तो दवाइ दुकान पर काम करने वाले उमेश परिहार से सम्पर्क हुआ था। उसके कहने पर दादी के आरजीएचएस कार्ड से दवाइयां लेने के लिए ओटीपी आते थे। जो पिता उमेश को बताते थे। वह दादी के कार्ड से दवाइयां उठा लेता था। निजी अस्पताल में जांच की गई। अस्पताल ने पहली बार वृद्धा के अस्पताल आने की जानकारी दी। दूसरी रिपोर्ट में वृद्धा के अस्पताल आना बताया, लेकिन सील व डॉक्टर का नाम फर्जी बता दिया। मरीज के अटेंडर पर गलत सूचना देने का आरोप लगाया।
एम्स चिकित्सकों के नाम की 35 पर्चियां फर्जी निकलीं
जांच कमेटी ने झंवर मेडिकल एजेंसीज में जांच की तो एम्स की अनेक पर्चियां संदिग्ध मिली। जिनके बारे में एम्स में जांच की गई। डॉ आकांक्षा गर्ग, डॉ गोपाल कृष्ण बोहरा, डॉ महेन्द्रसिंह, डॉ प्रमोद कुमार ने 35 लाभार्थियों की पर्चियों को फर्जी व कूटरचित हस्ताक्षर और साइन वाली बताई। एम्स के डॉ नवीन के विदेश में होने से उनके नाम की पर्चियों की जांच नहीं हो पाई।
कैंसर मरीज ने एएसओ व पासवर्ड कैमिस्ट को दिए
एक अन्य कार्ड धारक बंशीधर से जांच की गई। एमडीएम अस्पताल में एएओ बंशीधर कैंसर मरीज हैं। एम्स में इलाज चल रहा है। उन्होंने अपनी एसएसओ आइडी व पासवर्ड झंवर मेडिकल के कैमिस्ट को देना बताया। पर्चियां मेडिकल स्टोर की ओर से बनाई गई थी।
40 प्रतिशत मरीज व 60 प्रतिशत दुकानदार लेता
टीम आरजीएचएस कार्ड धारक बख्तावरसिंह के घर पहुंची। जो आरपीटीसी में हेड कांस्टेबल है। उन्हें जून 2021 में ब्रेन हेमरेज हो गया था। पुत्र से जांच में सामने आया कि झंवर मेडिकल से दवाइयां लेते हैं। अन्य सामान व रुपए भी लेते थे। दुकान के कर्मचार तूषार ने लेन-देन का सम्पर्क कराया था। दवाइयों के बदले 40 प्रतिशत कार्ड धारक का बेटा व 60 प्रतिशत दुकानदार रखता था।
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अस्पताल ने दर्ज करवा रखी है एफआइआर
निजी अस्पताल के डॉ जितेन्द्र व्यास के नाम से वृद्धा मोहन कंवर के इलाज की पर्चियां बनी थी। अस्पताल ने इन पर्चियों को फर्जी व कूटरचित बताया। हस्ताक्षर भी फर्जी बताए। अस्पताल का आरोप है कि पर्ची की सील झंवर मेडिकल या वृद्धा ने बनवाई होगी। अस्पताल की ओर से बासनी थाने में एफआइआर दर्ज करवाई थी। जिसमें पांच लाभार्थियों व झंवर मेडिकल एजेंसी का नाम लिया गया था।

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