लोकसभा चुनाव से पहले ‘पुरानी पेंशन बहाली’ की गेंद, अब सियासतदानों के पाले में जा सकती है। ओपीएस के लिए संघर्ष कर रहे केंद्र एवं राज्य सरकारों के कर्मचारी संगठन, भाजपा और कांग्रेस सहित विभिन्न राजनीतिक दलों से संपर्क करेंगे। अगर कोई राजनीतिक दल पुरानी पेंशन बहाली के लिए ठोस आश्वासन देता है, तो देशभर के दस करोड़ कर्मचारी, पेंशनर और उनके रिश्तेदार, उस पार्टी को समर्थन दे सकते हैं। इसके लिए संबंधित राजनीतिक दल को अपने चुनावी घोषणा पत्र में ‘पुरानी पेंशन’ बहाल करने का ठोस वादा, शामिल करना होगा। हालांकि इससे पहले केंद्र और राज्यों के कर्मचारी संगठन, अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा सकते हैं।
एआईडीईएफ के महासचिव सी. श्रीकुमार का कहना है, लोकसभा चुनाव से पहले ‘पुरानी पेंशन’ लागू नहीं होती है, तो भाजपा को उसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। कर्मियों, पेंशनरों और उनके रिश्तेदारों को मिलाकर यह संख्या दस करोड़ के पार चली जाती है। चुनाव में बड़ा उलटफेर करने के लिए यह संख्या निर्णायक है…
ओपीएस बहाली के लिए ठोस आश्वासन
ओपीएस के लिए गठित नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) की संचालन समिति के वरिष्ठ सदस्य और एआईडीईएफ के महासचिव सी. श्रीकुमार का कहना है, देखिये पुरानी पेंशन बहाली के लिए जो आंदोलन चल रहा है, वह गैर राजनीतिक है। कर्मचारी संगठनों ने सभी राजनीतिक दलों से अपील की है कि वे इस मामले में कर्मचारियों का साथ दें। कर्मचारी संगठनों ने केंद्र सरकार से हर तरह का आग्रह किया है, लेकिन सरकार ने अभी तक ओपीएस बहाली के लिए ठोस आश्वासन नहीं दिया है। मजबूर होकर सरकारी कर्मियों ने अब आठ जनवरी से 11 जनवरी तक ‘रिले हंगर स्ट्राइक’ शुरू की है। देशभर में विभिन्न जगहों पर यह स्ट्राइक हो रही है। इस हड़ताल के बाद जल्द ही नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) की बैठक होगी। उसमें अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की तिथि की घोषणा की जाएगी। अगर अनिश्चितकालीन हड़ताल होती है, तो देशभर में कामकाज ठप हो जाएगी। रेल के पहिये थम जाएंगे और रक्षा क्षेत्र के उद्योग बंद होंगे। साथ ही केंद्र एवं राज्यों के दूसरे विभागों में भी कलम छोड़ हड़ताल शुरू हो जाएगी।
अनिश्चितकालीन हड़ताल के लिए सहमति
एआईडीईएफ के महासचिव सी. श्रीकुमार का कहना है, लोकसभा चुनाव से पहले ‘पुरानी पेंशन’ लागू नहीं होती है, तो भाजपा को उसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। कर्मियों, पेंशनरों और उनके रिश्तेदारों को मिलाकर यह संख्या दस करोड़ के पार चली जाती है। चुनाव में बड़ा उलटफेर करने के लिए यह संख्या निर्णायक है। यही वजह है कि कर्मचारी संगठन, अब विभिन्न राजनीतिक दलों से संपर्क करेंगे। अगर वे कर्मचारियों की मांग मान लेते हैं, तो दस करोड़ वोटों का समर्थन संबंधित राजनीतिक दल के पक्ष में जा सकता है। सरकार को चेताने के लिए देशभर में 11 जनवरी तक ‘रिले हंगर स्ट्राइक’ की जा रही है। देश के दो बड़े कर्मचारी संगठन, रेलवे और रक्षा (सिविल) ने अनिश्चितकालीन हड़ताल के लिए अपनी सहमति दी है। स्ट्राइक बैलेट में रेलवे के 11 लाख कर्मियों में से 96 फीसदी कर्मचारी ओपीएस लागू न करने की स्थिति में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के लिए तैयार हैं। इसके अलावा रक्षा विभाग (सिविल) के चार लाख कर्मियों में से 97 प्रतिशत कर्मी, हड़ताल के पक्ष में हैं।
गारंटीकृत पुरानी पेंशन योजना बहाल करनी होगी
नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) के संयोजक शिव गोपाल मिश्रा के मुताबिक, ओपीएस पर केंद्र और सरकार के कर्मचारी लगातार अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं। कर्मचारी संगठनों ने रामलीला मैदान में रैलियां की हैं। सरकार के समक्ष कई प्लेटफॉर्म के माध्यम से ओपीएस की मांग उठाई गई है। हमने सरकार को स्पष्ट तौर पर बता दिया है कि कर्मचारियों को ओपीएस के अलावा कुछ भी मंजूर नहीं है। सरकार को एनपीएस खत्म करना होगा और गारंटीकृत पुरानी पेंशन योजना बहाल करनी पड़ेगी। एनपीएस में कर्मियों जो पेंशन मिल रही है, उतनी तो बुढ़ापा पेंशन ही है। एनपीएस स्कीम में शामिल कर्मी, 18 साल बाद रिटायर हो रहे हैं, उन्हें क्या मिला है। एक कर्मी को एनपीएस में 2417 रुपये मासिक पेंशन मिली है, दूसरे को 2506 रुपये और तीसरे कर्मी को 4900 रुपये प्रतिमाह की पेंशन मिली है। अगर यही कर्मचारी पुरानी पेंशन व्यवस्था के दायरे में होते, तो उन्हें प्रतिमाह क्रमश: 15250 रुपये, 17150 रुपये और 28450 रुपये मिलते। एनपीएस में कर्मियों द्वारा हर माह अपने वेतन का दस फीसदी शेयर डालने के बाद भी उन्हें रिटायरमेंट पर मामूली सी पेंशन मिलती है।