Site icon अग्नि आलोक

मध्य प्रदेश के इन तीन जिलों में ही बचा है उग्रवाद

Share

नई दिल्ली: सरकार नक्सलियों का प्रभाव कम करने के लिए जोरदार प्रयास कर रही है. इसके लिए सरकार सशस्त्र अभियानों के अलावा विकास के जरिए भी वामपंथी उग्रवाद को पराजित करने की कोशिश कर रही है. इसमें उसे उल्लेखनीय सफलता भी मिल रही है.

सरकार वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों के लिए सुरक्षा संबंधी व्यय योजना चला रही है. इसमें मध्य प्रदेश के तीन जिले बालाघाट, मंडला और डिंडौरी शामिल है. इसका एक अर्थ यह भी हुआ मध्य प्रदेश के ये तीन जिले ही वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित हैं. यह जानकारी केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में दी है.

देश में कितना घटा वामपंथी उग्रवाद
सरकार ने बताया है कि 2015 में वामपंथी उग्रवाद (LWE) से निपटने के लिए राष्ट्रीय नीति और कार्ययोजना का अनुमोदन किया था. इसमें सुरक्षा संबंधी उपायों के साथ-साथ विकास की पहल और स्थानीय समुदाय के अधिकार और हक सुनिश्चित करना शामिल है. सरकार ने बताया है कि इसकी वजह से देश में वामपंथी उग्रवाद में काफी कमी आई है.

सरकार की ओर पेश आंकड़ों के मुताबिक 2010 की तुलना में 2022 में वामपंथी उग्रवाद संबंधी हिंसा की घटनाओं में 77 फीसदी की कमी आई है. सरकार का कहना है कि इस तरह की हिंसा में होने वाली मौतों (सुरक्षा बलों और आम नागरिकों) में 90 फीसदी की कमी आई है.सरकार के मुताबिक वामपंथी उग्रवाद से जुड़ी हिंसा की घटनाओं में 2010 में 1005 मौतें हुई थीं. जबकि 2022 में इस तरह की हिंसा में केवल 98 लोगों की मौत हुई.

देश के कितने पुलिस थानाक्षेत्रों में फैला है वामपंथी उग्रवाद
सरकार ने बताया है कि 2010 में देश के 96 जिलों के 465 पुलिस थानों में वामपंथी उग्रवाद की घटनाएं हुई थीं. जबकि 2022 में केवल 45 जिलों के 176 पुलिस थानों में ही इस तरह के हिंसा की घटनाएं हुईं. इस वजह से सुरक्षा संबंधी व्यय योजना में आने वाले जिलों की संख्या में भी गिरावट आई है. सरकार के मुताबिक 2018 में 126 जिले इस योजना में शामिल थे, जबकि जुलाई 2021 में इनकी संख्या घटकर 70 रह गई.

सुरक्षा संबंधी व्यय (SRE) योजना में सबसे अधिक 16 जिले झारखंड के शामिल हैं. इसके बाद छत्तीसगढ़ के 14 और बिहार के 10 जिले हैं.इसमें मध्य प्रदेश के केवल तीन जिले बालाघाट, मंडला और डिंडौरी शामिल हैं. इस योजना में सरकार सुरक्षा बलों के परिचालन, आत्मसमर्पण करने वाले उग्रवादियों के पुनर्वास, कम्युनिटी पुलिसिंग और अनुग्रह राशि आदि पर खर्च करती है. इस योजना के तहत केंद्र सरकार ने 2018-19 से अबतक राज्य सरकारों को 1446 करोड़ रुपये दिए हैं.

Exit mobile version