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हरदा में किसान और युवा तय करेंगे जीत-हार

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भोपाल। हरदा विधानसभा सीट पर इस बार भी भाजपा और कांग्रेस में कांटे का मुकाबला होने के आसार हैं। कांग्रेस में हरदा सीट भाजपा से वापस छीनने के लिए छटपटाहट है। इस सीट पर प्रत्याशी के भाग्य का फैसला जातिगत समीकरण, किसान और युवा तय करेंगे। किसानों में आक्रोश और युवाओं में बेरोजगारी को लेकर गुस्सा क्या गुल खिलाएगा यह तो भविष्य में पता चलेगा। भारतीय किसान संघ की भी यहां पैठ है, जिसका भाजपा को फायदा मिलता रहा है। प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना जिले से शुरू कराने का श्रेय भी स्थानीय विधायक को जाता है। ड्रोन से आबादी की भूमि का सर्वे कर भू अधिकार देने की इस योजना का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया था। इसके साथ ही कृषि के क्षेत्र में प्रदेश का दूसरा सेंटर ऑफ एक्सीलेंस शुरू करने की योजना के क्रियान्वयन की शुरुआत भी पटेल की प्रमुख उपलब्धियों में है।
हरदा विधानसभा सीट हरदा जिले के अंतर्गत आती है। हरदा जिला 1988 में अस्तित्व में आया। हरदा में वोटर्स 4 लाख के करीब हैं। हरदा में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही रहता है। फिलहाल हरदा विधानसभा सीट पर भाजपा का कब्जा है और राज्य के कृषि मंत्री कमल पटेल यहां से विधायक हैं। हरदा से छह बार कांग्रेस, छह बार भाजपा, एक बार जनसंघ व एक बार किसान मजदूर प्रजा पार्टी का उम्मीदवार जीता है।
हरदा भाजपा का गढ़
वैसे तो हरदा भाजपा का गढ़ बना हुआ है। लेकिन यहां के मतदाता कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस के उम्मीदवार को जिताते आए हैं। इस सीट पर 7 बार कांग्रेस और 6 बार भाजपा ने जीत हासिल की है। 1951 में यहां पर हुए पहले चुनाव में किसान मजदूर पार्टी के महेश दत्त ने जीत हासिल की। 1957 में ये सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गई। इसके बाद कांग्रेस के गुलाब रामेश्वर ने चुनाव जीता। 1962 में यह सीट एक बार फिर सामान्य हो गई। सीट पर कांग्रेस का कब्जा बरकरार रहा। 1993 में भाजपा के कमल पटेल पहली बार चुनाव जीते और 20 साल तक इस सीट पर जीतते रहे। कमल पटेल शिवराज सरकार में मंत्री हैं। पुलिस की नौकरी छोडक़र राजनीति में आए राम किशोर दोगने ने 2013 के चुनाव में भाजपा के दिग्गज कमल पटेल को हराया था। दोगने को 74607 वोट मिले थे तो वहीं, भाजपा के कमल पटेल को 69956 वोट मिले थे। इससे पहले 2008 के चुनाव में भाजपा के कमल पटेल ने जीत हासिल की थी। उन्होंने कांग्रेस के हेमंत टाले को 8 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था।
कुछ वादे पूरे, कुछ अधूरे
हरदा में विकास के वादे कुछ पूरे हुए तो कुछ अधूरे रह गए। हरदा शहर, खिरकिया शहर एवं खंडवा-नर्मदापुरम स्टेट हाईवे पर भिरंगी में रेलवे के ओवरब्रिज अब तक नहीं बन पाया है। विधायक कमल पटेल का जनता से किया कृषि महाविद्यालय खोलने का वादा भी पूरा नहीं हो सका है। हालांकि विधायक एवं कृषि मंत्री कमल पटेल का कहना है कि हरदा को हर क्षेत्र में नंबर वन बनाने का संकल्प लिया है। इसके लिए कई विकास कार्य किए गए हैं। इसमें प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना जिसकी शुरुआत हरदा जिले से हुई। जल्द हरदा जिला शत प्रतिशत सिंचाई वाला प्रदेश का पहला जिला बनने वाला है। सडक़ों का जाल बिछा रहे हैं। जो कहा सो किया। वहीं पूर्व विधायक डा. आरके दोगने का कहना है कि क्षेत्र के विधायक और सरकार के कृषि मंत्री कमल पटेल सिर्फ विकास की बात करते हैं। वे न तो कृषि महाविद्यालय खुलवा पाए, न खिरकिया शासकीय कॉलेज खुलवा पाए, न ही हरदा के शासकीय आदर्श महाविद्यालय और केंद्रीय विद्यालय का भवन बनवा पाए। इसके अलावा वे हरदा, खिरकिया और भिरंगी में रेलवे ओवरब्रिज अब तक नहीं बनवा सके। जो जनता की अनिवार्य आवश्यताएं हैं। वहीं विधानसभा क्षेत्र के ग्राम बिछौलामाल के युवा नर्मदा प्रसाद यादव बताते हैं कि विधायक पटेल का कार्यकाल अच्छा रहा है।
हरदा में जातिगत समीकरण
हरदा सीट में सामान्य वोटर्स बड़ी भूमिका निभाते हैं। गुर्जर समाज भी काफी प्रभाव रखता है। यहां के सत्ता निर्धारण में हरदा जिले की बात करें, तो यहां क्षत्रिय ब्राह्मण करीब 35 हजार हैं। भाजपा मजबूत स्थिति में तो लग रही है। अगर कांग्रेस गुटबाजी से ऊपर उठ सके तो भाजपा को टक्कर दे सकती है। रामकिशोर दोगने के अलावा कांग्रेस में लक्ष्मीनारायण पंवार का भी काफी बोलबाला है। अभी कांग्रेस की हरदा की भारत जोड़ों यात्रा की उपयात्रा उन्हीं के संरक्षण में निकाली गई है। यहां विकास का मुद्दा बनना तय है। प्रदेश के कद्दावर नेताओं में शुमार मंत्री पटेल राजनीति में वर्ष 1989 से सक्रिय हैं। वे क्षेत्र के विधायक पहली बार वर्ष 1993 में चुने गए। इसके बाद लगातार वर्ष 1998, 2003, 2008 में विधायक बने।
रोजगार की समुचित व्यवस्था नहीं
हरदा को पिछड़ा तो नही कहा जा सकता, पर विकास क्षमता के अनुरूप नहीं हुआ है। कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था वाले विधानसभा क्षेत्र हरदा खिरकिया से कमल पटेल अपनी विधायकी के 25 वर्ष पूरे करने वाले हैं। वे प्रदेश सरकार में कृषि मंत्री हैं, लेकिन उनके क्षेत्र में किसानों को कृषक सुविधाओं और संसाधओं का इंतजार है। कृषकों के तकनीकी प्रशिक्षण तक की व्यवस्था नहीं है। वहीं खाद एवं बीज की गुणवत्ता को लेकर नियंत्रण के कोई प्रभावी कदम नजर नहीं आ रहे हैं। कृषि उपज की प्रोसेसिंग, पैकेजिंग के लिए उद्योग इकाई एवं कोल्ड स्टोरेज की कमी भी खलती है। इलाके में हंडिया क्षेत्र के नहर के अंतिम छोर के किसानों को सिंचाई के लिए पानी की समस्या का सामना करना पड़ता है। खिरकिया विकासखंड में लंबे समय से शासकीय महाविद्यालय की मांग की जा रही है वहीं जिला मुख्यालय पर विधि महाविद्यालय की मांग भी अब तक अधूरी है।

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