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महाराष्ट्र की राजनीति में पवार का पावर कम होने की आशंका

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2019 में भाजपा ने जीती थी 25 में से 23 सीट
मुंबई, । 2024 के चुनाव में शरद पवार की ही पावर कम होने की आशंका जताई जा रही है। 2019 में भाजपा ने 25 में से 23 सीटों पर जीत हासिल की थी और तब उसके साथ लड़ी शिवसेना भी 18 सीटें जीत गई थी।
पवार की पार्टी एनसीपी के खाते में महज 4 सीटें आई थीं, जिनमें से एक बारामती है, जो शरद पवार का गढ़ रही है। फिलहाल यहां से उनकी बेटी सुप्रिया सुले सांसद हैं। तब से अब तक 5 साल बीत गए हैं, लेकिन शरद पवार की एनसीपी के सामने खड़ा संकट कम होने की बजाय बढ़ ही गया है। बीते 5 सालों में महाराष्ट्र की राजनीति में बहुत फेरबदल हुए हैं और भाजपा के साथ लड़ी शिवसेना अब बंट गई है। एक धड़ा उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन में है तो वहीं बड़ा गुट एकनाथ शिंदे की सरकार में है। वहीं एनसीपी भी बंट गई है और शरद पवार के भतीजे अजित पवार भी डिप्टी सीएम बन चुके हैं। इस तरह इंडिया गठबंधन में आधी शिवसेना आई है तो आधी एनसीपी चली भी गई है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि वोटर किस खेमे की एनसीपी और किस गुट की शिवसेना को चुनाव में पसंद करते हैं।


शरद पवार का संकट यह है कि उनके भतीजे 53 में से 30 विधायकों के साथ महाराष्ट्र सरकार का हिस्सा हैं। उनका खुद बारामती में भी बड़ा असर रहा है। ऐसे में टूट के चलते एनसीपी के गढ़ वाली यह सीट भी खतरे में है और संभव है कि शरद पवार का वर्चस्व यहां भी टूट जाए। भाजपा ने यहां उम्मीदवार उतारने की बात कही है, जो यहां हमेशा से मुख्य प्रतिद्वंद्वी रही है। ऐसे में यदि शरद पवार की पार्टी के खिलाफ खुद भतीजे भाजपा कैंडिडेट के समर्थन में उतर आए तो मुश्किल होगी। महाराष्ट्र के शहरी क्षेत्रों में भाजपा का अच्छा जनाधार रहा है, जबकि एनसीपी ग्रामीण इलाकों की पार्टी कही जाती रही है। इस बार अजित पवार खेमा भाजपा की मदद ग्रामीण क्षेत्रों में भी कर सकता है। हालांकि शरद पवार लगातार ग्रामीण इलाकों का दौरा कर रहे हैं और किसानों पर संकट की बात दोहरा रहे हैं। ऐसे में यह देखना रोचक होगा कि एनसीपी की ताकत 2019 के मुकाबले कितनी रहती है।
खैर, संकट भाजपा और एकनाथ शिंदे के आगे अधिक होगा। एक तरफ भाजपा अपनी 23 सीटों की जीत को दोहराना चाहेगी तो वहीं एकनाथ शिंदे गुट के लिए यह मुश्किल होगा। एकजुट शिवसेना ने 2019 में 18 सीटें जीती थीं। अब उसमें विभाजन और भावनाएं यदि उद्धव ठाकरे के साथ दिखीं तो फिर एकनाथ शिंदे के लिए मुश्किल होगी। इस तरह महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव एनसीपी, शिवसेना के साथ ही कई नेताओं के भविष्य को भी तय करने वाला इलेक्शन होगा। बता दें कि महाराष्ट्र की राजनीति और इंडिया गठबंधन में शरद पवार का कद भीष्म पितामह सरीखा है। वह इस गठबंधन के सबसे वरिष्ठ और कद्दावर नेता हैं।

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