कोरोना वायरस के प्रकोप ने अमेरिका और यूरोप की बड़ी तेल कंपनियों के कारोबार को बुरी तरह प्रभावित किया है। बीते 12 महीनों में उनकी हालत बहुत अधिक बिगड़ी है। पश्चिमी देशों की पांच बड़ी कंपनियों के बाजार मूल्य में 25 लाख करोड़ रुपए से अधिक गिरावट आई है। वे नौकरियों और पूंजी खर्च में 15% कटौती की चर्चा करती हैं। शैल ने दूसरे विश्व युद्ध के बाद पहली बार अपना लाभांश कम किया है। बीपी का कहना है, वह लंदन स्थित अपना मुख्यालय बेचेगी। एक्सॉनमोबिल अगस्त मेंं डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल औसत से बाहर ही हो गई। एसएंडपी 500 कंपनियों में ऊर्जा कंपनियों की हिस्सेदारी 3% से कम रह गई है। यह 2011 में 13% थी।
दुनियाभर में निवेशक ऊर्जा के साफ-सुथरे स्रोतों में पैसा लगाने की वकालत लंबे समय से कर रहे हैं। लेकिन, एक्सॉनमोबिल जैसी बड़ी कंपनियां अपने हिसाब से चल रही थीं। उसने 2025 तक 25% अधिक तेल,गैस उत्पादन की योजना बनाई थी। लेकिन, कोरोना वायरस से उठे तूफान ने उसके इरादों पर असर डाला है। कंपनी ने अपने भंडार में 1.25 लाख करोड़ रुपए से 1.47 लाख करोड़ रुपए कटौती करने की घोषणा की है। वह 2022-25 तक पूंजी खर्च एक तिहाई घटाएगी। उसने पांच साल में कार्बन उत्सर्जन 20% घटाने का वादा किया है।
यह घोषणाएं एक्सॉनमोबिल पर बढ़ते दबाव का संकेत हैं। जनवरी और नवंबर के बीच उसका बाजार मूल्य आधा रह गया। निवेशक कोविड-19 के बाद की स्थितियों पर गौर कर रहे हैं। विश्व की सबसे बड़ी एसेट मैनेजर कंपनी ब्लैकरॉक ने एक्सॉन के सीईओ डेरेन वुुड्स को चेयरमैन पद से हटाने के प्रस्ताव का समर्थन किया है। पश्चिमी तेल कंपनियों का रास्ता जोखिम से परे नहीं है। यदि तेल की मांग कंपनियों के अनुमान से अधिक तेजी से घटी तो पूंजी लागत में बढ़ोतरी और सऊदी अरब की विराट तेल कंपनी सऊदी अरामको या अमीराती कंपनियों से कड़ी प्रतिस्पर्धा के कारण उन्हें संघर्ष करना पड़ेगा। एक्सॉनमोबिल जीवाश्म ईंधन पर बहुत अधिक खर्च और आय में कमी के खतरे से जूझ रही है।
2020 में उसके पास नगद पैसे की आमद नहीं रही। इसलिए उसे यूरोपीय कंपनियों के विकल्प को अपनाना पड़ेगा। इन कंपनियों ने पुराने कारोबार में खर्च घटाने, उत्पादन बढ़ाने और ग्रीन एनर्जी जैसे नए क्षेत्रों में जाने का रास्ता पकड़ा है। इसके बावजूद निवेशकों को संदेह है। बीपी ने जब सितंबर में 2030 तक स्वच्छ ऊर्जा में दस गुना निवेश बढ़ाने और तेल,गैस का उत्पादन 40% घटाने का इरादा जताया तो शेयर बाजार ने स्वागत नहीं किया। बीपी का बाजार मूल्य अक्टूबर में 26 साल के सबसे न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया था। गनीमत है, वैक्सीन के सफल ट्रायल के बाद तेल के मूल्य बढ़े हैं।
मुनाफे में 12 साल से लगातार गिरावट आ रही
तेल कंपनियों को बीते कई वर्षों से निवेश पर बहुत अधिक मुनाफा नहीं हो रहा है। 2014 तक उन्होंने उत्पादन वृद्धि पर बहुत अधिक पैसा लगाया था। 2008 से 2019 के बीच पांच बड़ी पश्चिमी कंपनियों- एक्सॉनमोबिल, रॉयल डच शैल, शेवरॉन,बीपी और टोटल की पूंजी पर रिटर्न में तीन चौथाई गिरावट आई। 2019 में बड़ी अमेरिकी कंपनियों के एसएंडपी 500 सूचकांक में ऊर्जा सेक्टर का प्रदर्शन सबसे बदतर रहा। 2014,2015, 2018 में भी यही स्थिति रही।
ग्लोबल वार्मिंग घटी तो तेल की मांग आधी रह जाएगी
कोविड-19 वैक्सीन आने के कारण 2021 में तेल की मांग बढ़ने की संभावना है। वैसे, विश्व के दो सबसे बड़े तेल बाजारों चीन और अमेरिका ने कार्बन उत्सर्जन घटाने की इच्छा जताई है। दूसरी ओर रूस और संयुक्त अरब अमीरात जैसे तेल उत्पादक देश उत्पादन में कटौती नहीं करना चाहते हैं। एसेट मैनेजर लीगल, जनरल इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट का मानना है कि ग्लोबल वार्मिंग अगर दो डिग्री सेंटीग्रेड पर सीमित रखी गई तो दस साल में तेल की मांग आधी रह जाएगी। हालांकि, इसकी संभावना कम ही है।