खरगोन : एमपी के कई मेडिकल स्टूडेंट अभी भी खारकीव में फंसे हुए हैं। वीडियो संदेश के जरिए वहां से परिवार को अपना हाल बता रहे हैं। खरगोन स्थित बड़वाह की रहने वाली जाह्ननवी यादव ने परिवार को खारकीव से वीडियो भेजा है। जाह्नवी ने कई इलाकों से वीडियो शूट ) किया है। इसमें उसके कॉलेज का बेसमेंट, मेट्रो स्टेशन पर बने बंकर हैं, जहां उसके कॉलेज से लड़के-लड़कियां आई हैं। जाह्नवी के वीडियो में बम की आवाजें आ रही हैं। इस दौरान लड़कियां डर से बिलख रही हैं। बेटी का दर्द का देखकर बड़वाह में माता-पिता भगवान की शरण में पहुं गए हैं।
दरअसल, एमपी के खरगोन में रूस और यूक्रेन के युद्ध के चलते जिले के तीन स्टूडेंट जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। बड़वाह निवासी जाह्नवी यादव खारकीव के हॉस्टल में फंसी हैं। यूक्रेन में बर्फबारी होने से जाह्नवी बुखार से तप रही है। बेटी के स्वास्थ्य को लेकर मां और पूरा परिवार चिंतित है। अब परिवार के लोग भगवान से बेटी की सुरक्षित वापसी के लिए प्रार्थना कर रहे हैं।
जाह्नवी यादव ने वहां से जो वीडियो भेजे हैं, उसे देखकर परिवार के लोगों का हाल बुरा है। अपने बच्चों की वापसी के लिए परिवार के लोग भारत सरकार से गुहार लगा रहे हैं। जाह्नवी की मां बबीता अग्रवाल ने बताया कि कल रात में ही जान्हवी से बात हुई थी। स्नोफॉल होने से ठंड बढ़ गई है। इससे बेटी को सर्दी और बुखार आ रहा है। उसके पास गुजरात की चार और सहेलियां हैं। सोने का कोई साधन नहीं है।
परिवार ने बताया कि रात भर बैठे-बैठे ही नींद ले रही है। ऐसे में उनकी हालत खराब है। जाह्नवी ने बताया कि जल्दबाजी में कई सामग्री हॉस्टल में ही छूट गई। इसलिए दवाइयां भी नहीं हैं। जिस स्थान पर वे रुके हैं, वहां पर आम नागरिक भी हैं। तेज बुखार के चलते एक महिला ने फीवर की टैबलेट दी है। जाह्नवी की मां का कहना है बेटी के सुरक्षित घर लौटने के लिए रोजाना ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं। हर समय बेटी की चिंता लगी रहती है।
इसके साथ ही मां बबीता यादव ने बताया कि दो बेटियां हैं। बड़ी बेटी आयुषी यूके में जॉब कर रही है लेकिन जाह्नवी के यूक्रेन में फंसे होने के चलते उसे भी घर बुला लिया है। जाह्नवी के पिता कॉपरेटिव सोसाइटी में जॉब करते हैं। परिवार के सभी लोग चिंतित हैं।
खारकीव में घुस चुकी है रशियन आर्मी, भाई बंकर में छिपा है… आसमान से गोलियां चल रही हैं’, विशाखा ने बयां किया रूह कंपा देने वाला मंजर
पटना : सर हम बिहार के छात्र हैं, इस वक्त हम यूक्रेन के ओदीशा में हैं। हमारे हॉस्टल (Ukraine Under Attack) के चारों तरफ से गोलियों की आवाज आ रही है। हमें लगता है हम लोग घिर गए हैं… जो वीडियो आपको भेजी है वो अभी की है… रशियन आर्मी (Russian Troops) आगे बढ़ रही है… जो वीडियो आपको भेजी है उसमें गोलियों की आवाज आ रही है… शहर में टैंक घूम रहे हैं… हमें नहीं पता हम अभी कितने सुरक्षित हैं… लेकिन हम लोगों ने खुद को कमरे में बंदकर लिया है। लाइट्स ऑफ कर ली है। हम डरे हुए हैं।
भारतीयों से नस्ली नफरत भी है करते हैं रशियंस
सर हमारी कुछ मदद कीजिए। ये मदद की गुहार बिहार के पूर्वी चंपारण के केसरिया की विशाखा यादव के हैं। विषाखा बहुत घबराई हुई है। विषाखा ने बताया कि उसे पता नहीं सड़क पर टैंक और बूटों की आवाज किसकी है। लेकिन वो कहती हैं कि … रशियन आर्मी नागरिकों को निशाना नहीं बना रही है ये राहत की बात है। साथ ही विषाखा ये भी कहती हैं कि सर हम यहां रहते हैं हमें पता है यूक्रेन में रहने वाले रशियंस भारतीयों से नफरत भी करते हैं। घबराई हुई विषाखा कहती हैं कि अब हमें पता नहीं कि बाहर जो लोग हैं वो इंडियंस के साथ कैसा व्यवहार करेंगे।
खत्म हो रहा खाना, खत्म हो रहा पैसा
विषाखा कहती हैं, हमारे पास पैसे भी खत्म हो रहे हैं… हमने बिस्कुट चाय पी है… खाने पीने का सामान मिल नहीं रहा है… बाहर कर्फ्यू लगा है… दुकानें बंद हैं। हम खाने पीने का सामान भी नहीं ला सकते हैं। हमने सामान पैक कर लिया है। हमें दूतावास से यही बताया गया है आप अपना सामान पैक कर लें। लेकिन यहां तो गोलियां चल रही हैं। हमने कई बार भारतीय दूतावास से संपर्क करने का प्रयास और जानकारी लेने की कोशिश की है।
हम फोन करते हैं तो फोन नहीं उठाता भारतीय दूतावास, बच्चे परेशान
विषाखा कहती हैं ‘आपको यहां के हालात बताती हूं। मेरा भाई यहां से 400 किलोमीटर दूर खारकीव में फंसा है। सर प्लीज सर … हम इंडियन एंबेसी फोन करते हैं तो फोन लोग फोन नहीं उठाते क्या करें? सर सॉरी आपको को ये बताना चाहूंगी कि यहां के हालात बहुत खराब हैं। इंडियन एंबेसी ने हाथ खड़े कर लिए हैं। कल एक प्लेन आएगा … उसमें कितने लोग बैठ सकते हैं? यहां 20 हजार छात्र फंसे हुए हैं।’
भाई फंसा 400 किलो मीटर दूर, बंकर में छिपे हैं सारे छात्र
सर इंडियन एंबेसी ने कहा कि है कि आप लोग यूक्रेन के बॉर्डर पर पहुंचिए …. अब आप ही बताएं हम कैसे वहां पहुंचेंगे गाडि़यां चल नहीं रहीं हैं… जो टैक्सी वाले हैं 80 हजार रुपए मांग रहे हैं… हमारे पास इतने पैसे नहीं हैं कि उन्हें दे पाएं… जहां पर हम लोग फंसे हैं वहां से रोमानिया 400 किलोमीटर है। एटीएम बैंक सब बंद हैं पैसे खत्म हो रहे हैं। हम चारों तरफ से मुश्किलों से घिरे हुए हैं। मेरा भाई वैभव जहां है वहां भारतीय छात्र बंकर में छिपे हुए हैं।
रशियन आर्मी शहर खारकीव में घुसी
मैं आपको वहां की वीडियो भेज रही हूं। ये खारकीव की ही वीडियो है… वहां भारतीय बच्चे बंकर में छिपे हुए हैं। भाई ने बताया है कि रशियन आर्मी शहर में घुस चुकी है। सभी परेशान और डरे हुए हैं। यहां के हालत भी बहुत खराब हैं। लगातार गोलियां बरसाई जा रही हैं। हम लोग देख पा रहे हैं। रूसी जहाज से अब शहर और मकानों को निशाना बनाया जा रहा है। यहां आसमान से गोलियां चल रहीं हैं। यहां से कैसे निकलें… आप लोग वहां है कोशिश कीजिए… कोई मदद हम तक पहुंच पाए।