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GeM पोर्टल के जरिये 4 लाख करोड़ से ज्यादा की वस्तुएं और सेवाएं खरीदी गई

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सरकार का सार्वजनिक खरीद प्लेटफॉर्म जेम (Government e-Marketplace- GeM) अब सामान सीधे ग्राहकों को बेचने पर विचार कर रहा है। जेम के मुख्य कार्याधिकारी प्रशांत कुमार सिंह ने कहा कि ई-मार्केटप्लेस के जरिये प्रयोग के तौर पर ग्राहकों को सीधे उत्पाद बेचे जाएंगे।

जेम सरकार के साथ कारोबार करने का प्लेटफॉर्म है। यह एंड-टु-एंड मार्केटप्लेस यानी बाजार का काम करता है, जहां केंद्र, राज्य और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम जरूरी, आम तौर पर इस्तेमाल होने वाली वस्तुएं और सेवाएं पारदर्शी तथा ऑनलाइन तरीके से खरीदते हैं।

इस बारे में चर्चा शुरू हो गई है और शीर्ष स्तर पर मंजूरी मिलने के बाद इसे चालू किया जा सकता है। सिंह ने कहा, ‘हां, हम इस पर विचार कर रहे हैं और इसकी तैयारी में लगे हैं। अगर सरकार ऐसा चाहती है तो हमें इसके लिए तैयार रहना चाहिए। व्यावहारिक लगा और मंजूरी मिली तो हम प्रायोगिक तौर पर इसकी शुरुआत कर सकते हैं।’

सिंह ने कहा कि इसका मकसद एमेजॉन या फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स दिग्गजों को टक्कर देना नहीं है बल्कि यह छोटे व्यवसायों और कारीगरों की मदद करने और उन्हें बढ़ावा देने के लिए है। उन्होंने कहा कि इसके जरिये उन क्षेत्रों में पहुंच बढ़ाना है जहां बड़ी ऑनलाइन कंपनियों की गहरी पैठ नहीं है।

चालू वित्त वर्ष में जेम पोर्टल के जरिये 4 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की वस्तुएं और सेवाएं खरीदी गई हैं, जो पिछले साल की तुलना में 100 फीसदी अधिक हैं।

सिंह ने कहा, ‘जेम पोर्टल के जरिये सेवाओं की खरीद से सकल मर्चंडाइज मूल्य में इजाफा हुआ है। पोर्टल के कुल सकल मर्चंडाइज मूल्य में सेवाओं की खरीद की हिस्सेदारी करीब 50 फीसदी है। कुल मिलाकर जेम पोर्टल के जरिये सेवाओं की खरीद पिछले साल के मुकाबले 205 फीसदी रही।’

बाजार तक पहुंच बनाकर जेम पोर्टल ने स्थापित और जाने-माने सेवा प्रदाताओं की सांठगांठ तोड़ने का काम किया है और देसी उद्यमियों के लिए सरकारी निविदाओं में हिस्सा लेने की राह आसान की है। जेम पर सेवाओं के विशाल भंडार ने राज्यों को ऐसे नवीन समाधान प्राप्त करने में सक्षम बनाया है जो उनकी सभी बदलती जरूरतें पूरी करते हैं।

गुजरात, उत्तर प्रदेश और दिल्ली जैसे राज्यों से भी भागीदारी बढ़ी है और खरीद में काफी इजाफा हुआ है। मंत्रालयों और केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा खरीद होने से सकल मर्चंडाइज मूल्य बढ़ाने में मदद मिली है। चालू वित्त वर्ष में इन सरकारी संगठनों का 4 लाख करोड़ रुपये के सकल मर्चंडाइज मूल्य में 85 फीसदी योगदान रहा है। कोयला, बिजली और पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस मंत्रालयों और उनकी इकाइयों के द्वारा सबसे ज्यादा खरीदारी की गई है।

सिंह ने कहा कि सरकार सार्वजनिक खरीद पोर्टल के जरिये ठेका देने के प्रस्ताव पर भी काम कर रही है। अगर ऐसा होता है तो समय की बचत होगी और ठेका कार्य में सुगमता आएगी। कार्य अनुबंध या ठेके में सेवा के साथ-साथ वस्तुओं का हस्तांतरण भी शामिल है।

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