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बिलकिस केस…अदालत की फटकार के बाद सरकार दोषियों की रिहाई की फाइलें दिखाने को राजी

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नई दिल्ली

गैंगरेप के दोषियों की रिहाई के खिलाफ बिलकिस बानो की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। इस दौरान दोषियों की रिहाई से जुड़ी फाइलें न दिखाने पर कोर्ट ने केंद्र और गुजरात सरकार को फटकार लगाई। जस्टिस केएम जोसेफ ने कहा कि आप चाहते ही नहीं है कि बेंच इस मामले पर सुनवाई करे।

जस्टिस जोसेफ ने कहा कि 16 जून को मैं रिटायर हो जाऊंगा। उस दौरान मैं छुट्टी पर रहूंगा, इसलिए मेरा लास्ट वर्किंग-डे 19 मई है। हमने यह साफ कर दिया था कि मामले को निपटारे के लिए सुना जाएगा। आप केस जीत सकते हैं या हार हार सकते हैं, लेकिन कोर्ट के प्रति अपने कर्तव्य को मत भूलना। इसके बाद केंद्र-गुजरात सरकार ने 11 दोषियों की रिहाई से जुड़ी फाइलें कोर्ट में पेश करने पर सहमति जताई है।

मामले में अगली सुनवाई 9 मई को होगी। उस दिन कोर्ट अगली सुनवाई के बारे में निर्देश जारी करेगी। नई बेंच का गठन होने के बाद अगली सुनवाई जुलाई के दूसरे सप्ताह में होगी। अभी जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की बेंच मामले की सुनवाई कर रही है।

सरकार का आरोप- बिलकिस ने कोर्ट में झूठ बोला
उधर, केंद्र और गुजरात सरकार की ओर से कोर्ट में पेश हुए वकील ने बिलकिस की याचिका को फर्जी बताते हुए कहा कि उन्होंने अपने हलफनामे में झूठ बोला है। सरकार के वकील ने कहा कि रिहा हुए 11 दोषियों में से कुछ को बिलकिस की ओर से नोटिस नहीं दिया गया।

इसके बाद भी बिलकिस ने कोर्ट में दाखिल हलफनामे में बताया कि सभी दोषियों को नोटिस दे दिया गया है। इसके लिए बिलकिस बानो के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। बानो की ओर से कोर्ट में पेश एडवोकेट शोभा गुप्ता ने इसका जवाब दिया। मैंने सभी दोषियों को मेल पर नोटिस भेज दिया था।

गुजरात सरकार को बिलकिस की याचिका पर आपत्ति
गुजरात सरकार ने 11 दोषियों की रिहाई के मामले में सुभाषिनी अली और महुआ मोइत्रा की ओर से दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई का भी विरोध किया। वकीलों ने कहा उनकी याचिकाओं का केस से कोई संबंध नहीं है। साथ ही हमें बानो की याचिका पर आपत्ति है। इस पर सुनवाई की तो यह भानुमती का पिटारा खोलने जैसा होगा।

बिलकिस ने अपनी याचिका में गुजरात सरकार पर अपने मामले के दोषियों को समय से पहले रिहा करने का आरोप लगाया है। उन्होंने 11 दोषियों को रिहा किए जाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

इस मामले में पिछली सुनवाई 18 अप्रैल को हुई थी। बेंच ने सरकार से दोषियों की रिहाई की वजह पूछी थी। कोर्ट ने कहा था- आज यह बिलकिस के साथ हुआ, कल किसी के साथ भी हो सकता है।

याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने केंद्र और गुजरात सरकार से दोषियों को समय से पहले रिहाई देने से जुड़ी फाइलें पेश करने के लिए कहा था। कोर्ट ने कहा था कि अगर आप दोषियों को रिहा करने की वजह नहीं बताते हैं तो हम अपना निष्कर्ष निकालेंगे।

SC ने पूछा- दोषियों को रिहा करके आप क्या संदेश दे रहे हैं?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह एक ऐसा मामला है, जहां एक गर्भवती महिला के साथ गैंगरेप किया गया और उसके सात रिश्तेदारों की हत्या कर दी गई। आप सेब की तुलना संतरे से कैसे कर सकते हैं? आप एक व्यक्ति की हत्या की तुलना सामूहिक हत्या से कैसे कर सकते हैं? यह एक समुदाय और समाज के खिलाफ अपराध है। हमारा मानना है कि आप अपनी शक्ति और विवेक का इस्तेमाल जनता की भलाई के लिए करें। दोषियों को रिहा करके आप क्या संदेश दे रहे हैं?

15 अगस्त को रिहा हुए थे दोषी
2002 में हुए गोधरा कांड के दौरान बिलकिस बानो से रेप किया गया था और उनके परिवार के लोगों की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में 11 लोगों को दोषी ठहराया गया था। पिछले साल 15 अगस्त को गुजरात सरकार ने सभी दोषियों को जेल से रिहा कर दिया।

इसके बाद बिलकिस बानो ने 30 नवंबर 2022 को इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए याचिका दायर की थी। इसके अलावा सामाजिक कार्यकर्ता सुभाषिनी अली और TMC सांसद महुआ मोइत्रा ने मामले के 11 दोषियों को रिहा करने के गुजरात सरकार के आदेश को रद्द करने की मांग की थी।

अपने पति याकूब रसूल के साथ बिलकिस बानो।

बिलकिस ने दाखिल की थीं दो याचिकाएं
बिलकिस बानो ने 30 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दाखिल की थीं। पहली याचिका में 11 दोषियों की रिहाई को चुनौती देते हुए उन्हें तुरंत वापस जेल भेजने की मांग की थी। वहीं, दूसरी याचिका में कोर्ट के मई में दिए आदेश पर फिर से विचार करने की मांग की थी, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि दोषियों की रिहाई पर फैसला गुजरात सरकार करेगी। इस पर बिलकिस ने कहा कि जब केस का ट्रायल महाराष्ट्र में चला था, फिर गुजरात सरकार फैसला कैसे ले सकती है?

गोधरा कांड के बाद भड़के दंगों में बिलकिस का गैंगरेप हुआ
गुजरात में गोधरा कांड के बाद 3 मार्च 2002 को दंगे भड़के थे। दंगों के दौरान दाहोद जिले के लिमखेड़ा तालुका में रंधिकपुर गांव में उग्र भीड़ बिलकिस बानो के घर में घुस गई। दंगाइयों से बचने के लिए बिलकिस अपने परिवार के साथ एक खेत में छिपी थीं। तब बिलकिस की उम्र 21 साल थी और वे 5 महीने की गर्भवती थीं।

दंगाइयों ने बिलकिस का गैंगरेप किया। उनकी मां और तीन और महिलाओं का भी रेप किया गया। इस दौरान हमलावरों ने बिलकिस के परिवार के 17 सदस्यों में से 7 लोगों की हत्या कर दी। वहीं, 6 लोग लापता हो गए, जो कभी नहीं मिले। हमले में सिर्फ बिलकिस, एक शख्स और तीन साल का बच्चा ही बचे थे।

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