पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय , तत्कालीन मंत्री राजा पटेरिया, ने मुख्यमंत्री एवं मंत्री पद के समय जो शपथ ली उसकी धज्जियां उड़ाई,
राधावल्लभ शारदा
एक बार सलकनपुर में मां भगवती के मंदिर में मैंने अपनी बात मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को को बताई तब उन्होंने अपने सहायक अधिकारी श्रीवास्तव जी के हबाले कर दिया तब श्रीवास्तव जी ने मुझसे कहा था कि फोन कर बुलाऊंगा मैं उस फोन का इंतजार कर रहा हूं।
प्रकरण में टेक्निकल एजुकेशन विभाग के अधिकारियों,
राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो के अधिकारियों एवं कर्मचारियों,
शासकीय अधिवक्ता
से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचने तक सभी को लाभान्वित किया।
आर के डी एफ यूनिवर्सिटी के सुनील कपूर ने इस प्रकरण से संबंधित सभी लोगों को भरपूर रुप से भ्रष्टाचार की गंगा में स्नान कराया और भ्रष्टाचार रुपी प्रसादी बांटी।
मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि मामला 2018 का है अब कुछ नहीं हो सकता। मैंने उनसे उनके निवास पर बाहर सड़क पर बात करते हुए एफआईआर दर्ज करने का निवेदन किया था।
इस सब से ऐसा लगता है कि मध्यप्रदेश सरकार में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है और अनैतिक कार्य में सभी भागीदार है।
* मामला क्या है *
आर के डी एफ यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष सुनील कपूर
2004 के पूर्व से फर्जी सर्टिफिकेट का कारोबार कर रहे हैं।
श्री सुनील कपूर का पुराना इतिहास देखें तो ये मंडीदीप में एक छोटा सा किलिनिक चलाते थे। दो रुपए या 5 रुपए में बीमारी का प्रमाण पत्र देते थे।
आज सुनील कपूर की कई यूनिवर्सिटी चल रही है आखिर कैसे?
इंजीनियरिंग कॉलेज में अनाधिकृत रूप से प्रवेश दिया।
नियम कहते हैं कि पहली और दूसरी गलती मतलब अनाधिकृत रूप से प्रवेश देने पर विभाग जुर्माना लगाता है परन्तु
तीसरी बार जब अनाधिकृत रूप से प्रवेश दिया तब कालेज की मान्यता निरस्त कर दी जाती है
तीसरी गलती होने पर कालेज जो अब यूनिवर्सिटी है कि मान्यता निरस्त कर दी जानी चाहिए थी।
तत्कालीन मुख्य सचिव आदित्य विक्रम सिंह ने अपनी टीप में विरोध दर्ज कराया और लिखा कि संदेश अच्छा नहीं जायेगा।
मान्यता निरस्त होने के स्थान पर रुपए 24 लाख का जुर्माना लगाया गया जिसे पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने रुपए 5 लाख कर दिया इतना ही नहीं इस प्रकरण में आर के डी एफ यूनिवर्सिटी के साथ सत्य साईं इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी का नाम जुड़ गया।
प्रश्न यह उठता है कि सत्य साईं इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ने क्या ग़लती की है।
मैंने राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में शिकायत दर्ज कराई है।
जिस जांच एजेंसी ने प्रकरण दर्ज किया न्यायालय में उसी जांच एजेंसी ने प्रकरण बापिस लें लिया क्योंकि पुनः कांग्रेस सरकार बनी।
परन्तु सुप्रीम कोर्ट ने केश में संज्ञान लेते हुए क्रिमिनल केस दर्ज किया है।
डायरी नंबर 8459 – 2000 ,2 मार्च 2020
एस एल पी,( क्रिमिनल ) नंबर 00469 / 2020
क्रिमिनल मेटर 1405 है।
जब मामला भोपाल न्यायालय में विचाराधीन था तब रात्रि लगभग 8 बजे दो लोग मेरे एफ 88/19 सेकंड स्टाप तुलसीनगर भोपाल में आकर दो लोगों ने टेविल पर पिस्टल रख कर प्रकरण से हटने की धमकी दी न हटने पर जान से मार दिया जाएगा कि धमकी दी।
मैं इतना भयभीत हो गया था कि तत्काल टी टी नगर थाने नहीं गया और दूसरे दिन एक लिखित शिकायत एफआईआर दर्ज करने हेतु डाक से भेजा जिसकी प्रति मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, गृह मंत्री को डाक के द्वारा भेजी।
मेरे द्वारा शासन से सुरक्षा की मांग शासकीय स्तर पर मांगी। लम्बी लिखा पढ़ी के बाद टी टी नगर थाने से पत्र द्वारा सूचना दी गई जिसमें लिखा गया की पुलिस कि आप अपने व्यय पर सुरक्षा ले सकते हैं इसका मतलब है कि मुझे जान का खतरा है।
प्रकरण में मैं एक मात्र व्यक्ति हूं और यदि मैं मारा जाता हूं तो ये तीनों वरी हो जायेंगे इतना ही नहीं व्यापम से भी बड़ा भ्रष्टाचार दफ़न हो सकता है। व्यापम से बड़ा इसलिए कि एक पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह,एक मंत्री राजा पटेरिया, राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो के तत्कालीन डीजीपी, प्रकरण वापिस लिया उस समय मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार थी तब बगैर मुख्यमंत्री कमलनाथ की सहमति के वगैर राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो के डी जी पी प्रकरण न्यायालय से वापिस नहीं लेते क्योंकि प्रकरण पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय तत्कालीन मंत्री राजा पटेरिया से संवधित था।
इस पूरे प्रकरण में आर के डी एफ यूनिवर्सिटी के मालिक सुनील कपूर ने भरपूर रुप से भ्रष्टाचार की गंगा बहाई।
यहां मैं एक बात और बताना चाहता हूं कि सुनील कपूर तत्कालीन चेयरमैन आर के डी एफ एजूकेशन सोसायटी भोपाल पर वर्ष 2017 में भी एक क्रिमिनल मेटर डायरी नंबर 14144 – 2017 , 1 – 8 – 17 , 1405 क्रिमिनल मेटर से संबंधित सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।
आदतन गलत काम करने वाले सुनील कपूर के संस्थान आर के डी एफ यूनिवर्सिटी के फर्जी सर्टिफिकेट जारी करने का मामला हैदराबाद में भी दर्ज है जिसमें हैदराबाद पुलिस ने आर के डी एफ यूनिवर्सिटी के जिम्मेदार लोगों को पकड़ कर ले गई थी।
कोरोना काल के समय से मैं जिस समाचार पत्र में काम करता था बह बंद हो गया । आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण
एक पत्रकार अपने व्यय पर सुरक्षा कैसे ले सकता है विचारणीय विषय है।
मेरी देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से निवेदन है कि इस पूरे मामले की जांच मध्यप्रदेश के किसी अधिकारी से न कराएं क्योंकि आपके कार्यालय को भी पत्र लिखा था उस पर अमल नहीं किया गया या आपके कार्यालय में भी भ्रष्ट अधिकारी हैं जो पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को बचाना चाहते हैं।
मुझ पर आरोप लगाया गया है कि मुझे कांग्रेस विधायक श्री पी सी शर्म ने प्रकरण न्यायालय से वापिस लेने के लिए लाखों रुपए दिए तो इसका जवाब श्री पी सी शर्मा ही दें सकते हैं।
राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के खिलाफ आरकेडीएफ इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एण्ड टेक्नालाजी, भोपाल को जुर्माने में रियायत देने के मामले में एफआईआर दर्ज की है। सिंह के साथ पूर्व तकनीकी शिक्षा मंत्री राजा पटेरिया, आरकेडीएफ एजुकेशन सोसायटी के कार्यकारी अध्यक्ष सुनील कपूर को भी आरोपी बनाया है।
सिंह पर आरोप है कि उन्होंने कॉलेज पर लगे जुर्माने की रकम 24 लाख को घटाकर ढाई लाख कर दी थी। इससे शासन को साढ़े 21 लाख की क्षति हुई। उधर, पटेरिया ने इसे बदले की भावना से उठाया गया कदम करार दिया है।
ब्यूरो अधिकारियों ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और तत्कालीन तकनीकी शिक्षा मंत्री राजा पटेरिया ने पद का दुरुपयोग करते हुए कॉलेज को लाभ पहुंचाया। इसी संस्था के एक अन्य संस्थान श्री सत्यसांई इंस्टीट्यूट आफ टेक्नालाजी सीहोर को बिना किसी प्रस्ताव के 2.50 लाख रुपए समझौता शुल्क में कटौती करने का अनुमोदन भी किया।
आरकेडीएफ इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एण्ड टेक्नालोजी, भोपाल के 21 छात्रों के प्रवेश को नियमित करने के लिए एक कूटरचित पत्र राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय को भेजा गया। इसकी जानकारी मिलने के बावजूद सिंह और पटेरिया ने कार्रवाई के लिए निर्देश नहीं दिए। ब्यूरो ने भारतीय दण्ड विधान की धारा 420, 467, 468, 471, 120बी के साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)डी और 13(2) के तहत अपराध क्रमांक 35/15 बुधवार को पंजीबद्ध किया गया।
उधर, पूर्व तकनीकी शिक्षा मंत्री पटेरिया ने बताया कि उस दौर में निजी कॉलेज खुल रहे थे। उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए कैबिनेट निर्णय के बाद कुछ रियायत दी गई। सभी काम नियमानुसार किए गए थे। सरकार व्यापमं घोटाले में फंस चुकी है और रतलाम उपचुनाव में बीजेपी की पोल खुल गई है। इसलिए बदले की भावना से कार्रवाई की जा रही है।
क्या था मामला:- आरकेडीएफ इंस्टीट्यूट आफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, भोपाल ने 2000-2001 और 2001-2002 में 12 छात्रों को अनध्ािकृत तौर पर प्रवेश दिया था। तकनीकी शिक्षा विभाग ने गलत प्रवेश देने पर कॉलेज पर 24 लाख रुपए के जुर्माने का प्रस्ताव दिया था।
तत्कालीन तकनीकी शिक्षा एवं जनशक्ति नियोजन मंत्री राजा पटैरिया ने प्रस्तावित जुर्माने को 24 लाख से घटाकर 5 लाख रुपए करने का प्रस्ताव तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को भेजा था, जिसे उन्होंने अनुमोदित कर कॉलेज को लाभ पहुंचाया।
कोर्ट से वापस हो चुका केस:- राधावल्लभ शारदा ने ब्यूरो में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व तकनीकी शिक्षा मंत्री राजा पटेरिया पर पद का दुरुपयोग करके आरकेडीएफ कॉलेज संचालक सुनील कपूर को अवैध लाभ्ा पहुंचाने की शिकायत की थी। ब्यूरो ने प्राथमिक जांच दर्ज कर राधावल्लभ शारदा से पूछताछ की और बयान दर्ज किए। इसमें उन्होंने आरोपों की पुष्टि करते हुए आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। शारदा ने कोर्ट में निजी परिवाद भी लगाया पर इसे बाद में वापस ले लिया। ब्यूरो की जांच में भ्रष्टाचार और पद के दुरूपयोग कर अनुचित लाभ पहुंचाने के सबूत मिले हैं।
ब्यूरो अधिकारियों ने बताया कि संज्ञेय अपराध घटित होने के प्रथम दृष्टया साक्ष्य मिलने के कारण उच्चतम न्यायालय के विभिन्न् न्याय दृष्टांतों में प्रथम सूचना प्रतिवेदन के संबंध में जारी निर्देशों के मद्देनजर अपराध पंजीबद्ध किया गया है। ब्यूरो इस मामले में तत्कालीन तकनीकी शिक्षा मंत्री राजा पटेरिया के बयान दर्ज कर चुका है और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को पक्ष रखने के लिए अंतिम नोटिस दिया गया है।