भोपाल। राज्य आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो ईओडब्ल्यू ने जल संसाधन विभाग के बहुचर्चित एडवांस पेमेंट घोटाले में प्रकरण दर्ज कर प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है। यह घोटाला 877 करोड रुपए का है और इसमें टेंडर की शर्तों में बदलाव कर कुछ चुनिंदा कंपनियों को एडवांस भुगतान किया गया था। यह जांच प्रदेश के मुख्य सचिव रहे आईएएस अफसर एम गोपाल रेड्डी की परेशानी बढ़ा सकती है।
कमलनाथ के मुख्यमंत्री काल में हुए इस घोटाले के दौरान आईएएस अफसर एम गोपाल रेड्डी जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव थे और उन्हीं के निर्देश पर नियमों के विरुद्ध टेंडर की शर्तों में उस वक्त बदलाव किया गया जब संबंधित कंपनियों को वर्क आर्डर जारी कर दिए गए थे। रेड्डी बाद में कुछ समय के लिए मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव भी रहे और जैसे ही शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने उन्हें इस पद से हटा दिया गया था।
यह घोटाला कमलनाथ सरकार के जाने और शिवराज सिंह चौहान के फिर मुख्यमंत्री बनने के बाद उजागर हुआ था और सरकार ने ईओडब्ल्यू को पत्र लिखकर इस मामले की जांच के लिए कहा था। ईओडब्ल्यू के डीजे अजय शर्मा ने जांच प्रकरण दर्ज होने की पुष्टि करते हुए कहा कि शासन के पत्र में उल्लेखित बिंदु के आधार पर यह जांच प्रारंभ की गई है और जैसे ही हमें इस मामले से संबंधित दस्तावेज प्राप्त होंगे जांच को आगे बढ़ाया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि जल संसाधन विभाग ने 3300 करोड़ के काम सात कंपनियों को टेंडर करके दिए थे और बाद में अपर मुख्य सचिव की पहल पर शर्तों में बदलाव का 877 करोड रुपए का एडवांस पेमेंट कुछ कंपनियों को कर दिया गया। जिस वक्त यह एडवांस पेमेंट किया गया था तब इनमें से तीन प्रोजेक्ट होता, बांदा और गौंड डेम लिए तो जमीन अधिग्रहण भी नहीं हुआ था।
ईओडब्ल्यू द्वारा शुरू की गई इस जांच से पूर्व मुख्य सचिव की परेशानी बढ़ती नजर आ रही है वह पहले से ही पूछ केंद्रीय जांच एजेंसियों के निशाने पर है और अग्रिम जमानत के लिए प्रयासरत भी हैं।