ग्वालियर: लोकसभा चुनाव के इतिहास में मध्यप्रदेश की ग्वालियर सीट का एक अलग ही वर्चस्व रहा है। इस सीट ने देश को अधिकांश बड़े नेता दिए हैं। फिर चाहे वो पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई हों या देश की राजनीति में अलग छाप छोड़ने वाली स्वर्गीय राजमाता सिंधिया। इस सबके बीच एक खास बात यह भी है कि इस सीट का इतिहास कहीं ना कहीं ग्वालियर की राजघराना सिंधिया परिवार के इर्द-गिर घूमता नजर आता है।
अब तक हुए लोकसभा चुनावों में से अधिकांश में इस सीट पर सिंधिया परिवार की दावेदारी देखी गई है। फिर चाहे वह उनके परिवारीजनों के रूप में हो या फिर उनके समर्थकों के रूप में। इस सीट पर सिंधिया परिवार का वर्चस्व ही देखा गया है।
गौरतलब है कि सिंधिया परिवार ने लंबे समय तक ग्वालियर की पृष्ठभूमि पर अपना शासन चलाया है। यह शासन उस समय के हिसाब से काफी विकसित शासन में शुमार था। इस कारण ग्वालियर लोकसभा सीट की जनता का भी सिंधिया परिवार को लेकर एक अलग ही रुझान है। लोगों की मानें तो एक लंबे समय तक उन्होंने महल के नाम पर ही वोट दिए हैं, क्योंकि कहीं ना कहीं उनका विश्वास इस सीट पर और सिंधिया परिवार पर जमा हुआ था।
वर्ष | विजेता | दल |
1952 | वीजी देशपांडे | हिंदू महासभा |
1952 | नारायण भास्कर खरे | हिंदू महासभा |
1957 | सूरज प्रसाद | कांग्रेस |
1962 | विजया राजे सिंधिया | कांग्रेस |
1967 | रामअवतार शर्मा | जनसंघ |
1971 | अटल बिहारी बाजपेयी | जनसंघ |
1977 | नारायण शेजवलकर | जनता पार्टी |
1980 | नारायण शेजवलकर | जनता पार्टी |
1984 | माधवराव सिंधिया | कांग्रेस |
1989 | “ | कांग्रेस |
1991 | “ | कांग्रेस |
1996 | माधवराव सिंधिया | मध्य प्रदेश विकास कांग्रेस |
1998 | माधवराव सिंधिया | कांग्रेस |
1999 | जयभान सिंह पवैया | बीजेपी |
2004 | रामसेवक सिंह | कांग्रेस |
2007 | यशोधरा राजे सिंधिया | बीजेपी |
2009 | यशोधरा राजे सिंधिया | बीजेपी |
2014 | नरेंद्र सिंह तोमर | बीजेपी |
2019 | विवेक शेजवलकर | बीजेपी |
हालांकि बीते कुछ दशकों में यह मैसेज अब टूटा हुआ नजर आ रहा है। क्योंकि एक लंबे समय से सिंधिया परिवार के लोगों की पकड़ से यह सीट दूर है। हाल ही में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर कयास लगाए जा रहे थे कि वह इस सीट से चुनाव लड़कर एक बार फिर महल के नाम इस सीट को करेंगे। लेकिन गुना से चुनाव होने की घोषणा के बाद लोगों की यह उम्मीद अभी टूट गई है। ग्वालियर लोकसभा सीट से भरत सिंह कुशवाहा को बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया है। कुशवाहा को नरेंद्र सिंह तोमर का करीबी माना जाता है।
इस मामले को लेकर कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश उपाध्यक्ष आरपी सिंह का कहना है कि निश्चित ही सिंधिया परिवार ने एक लंबा समय ग्वालियर की जनता के साथ गुजारा है। उनका तालमेल भी काफी अच्छा रहा है। हालांकि लोगों की सोच और विचारधारा अब बदल चुकी है। अब लोग विकास और प्रगति पर अपनी मोहर लगाते हैं।
भाजपा के प्रदेश मंत्री लोकेंद्र पाराशर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहते हैं कि सिंधिया परिवार सदैव से ही एक विकास और दूरगामी सोच रखने वाला परिवार रहा है। ऐसे में लोगों ने उनकी इस सोच का लाभ भी एक लंबे समय तक उठाया है। ग्वालियर में मेट्रो जैसी रेल सुविधा सिंधिया स्टेट के टाइम पर हुआ करती थी। जनता वहीं मोहर लगाती है, जहां उन्हें अपने नेता पर विश्वास होता है और सिंधिया परिवार ने यह विश्वास सदैव कायम रखा है।