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मध्य प्रदेश का हरदा शहर सांप्रदायिक सौहार्द की है मिसाल, हिन्दू करते हैं दरगाह की देखभाल

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हरदा . देश में सांप्रदायिक तनाव की खबरों के बीच कुछ ऐसी भी कहानियां हैं, जो देश में धार्मिक सद्भाल और प्रेम का संदेश दे रही हैं. इस तरह की एक कहानी मध्य प्रदेश के हरदा जिले की है. यहां देश में खुशहाली और भाईचारे की फरियाद हिंदू और मुस्लिम समुदाय एक साथ मिलकर करते है. दरअसल, हरदा शहर के गढ़ीपुरा में दरगाह और मंदिर एक ही जगह पर है. इन दोनों धर्मस्थलों की दीवार भी एक है. यहां के 119 वर्ष पुराने पट्टाभिराम मंदिर में पूजा और दरगाह में इबादत एक साथ होती है.

मंदिर के पुजारी का परिवार करता है दरगाह की देखरेख

मंदिर के पुजारी और हिन्दू परिवार ही दरगाह की देखरेख करते है. मंदिर में आने वाले हिन्दू अनुयायी मंदिर में दर्शन के बाद दरगाह में भी सिर झुकाने जाते हैं.
सांप्रदायिक सौहार्द की है मिसाल

एक और देश में धर्म के नाम पर बहस छिड़ी हुई है. वही, दूसरी और हरदा शहर हिन्दू-मुस्लिम एकता की पहचान बना हुआ है. हरदा में हिन्दू परिवार दरगाह शरीफ की पूजा पाठ और देखतख कर सामाजिक एकता की मिसाल पेश कर रहे है. 119 वर्ष पुराने पट्टाभिराम मंदिर का पुजारी परिवार और मंदिर के सामने रहनेवाले दुबे परिवार के सदस्य मंदिर के अधीन दरगाह शरीफ की देखरेख करते है. मंदिर में सुबह होने वाली पूजा के साथ ही दरगाह में भी फूल चढ़ाये जाते है. यह सब मुस्लिम नहीं हिन्दू धर्म के लोग करते है.

मंदिर के साथ ही है ये दरगाह

पट्टाभिराम मंदिर के पुजारी दिलीप गोडबोले ने कहा की यह दरगाह मंदिर के साथ ही बनी हुई है मंदिर प्रबंधन के अधीन ही है और वह खुद और उनका परिवार दरगाह की देखरेख करता है. दरगाह में दर्शन करने वाले लोग मंदिर में दर्शन करते है और जो लोग मंदिर आते है वि दरगाह जरूर जाते हैं. धार्मिक एकता का इससे अच्छा उदाहरण देखने को नहीं मिलेगा.
हिन्दू-मुस्लिम एकता की है पहचान

हिन्दू-मुस्लिम त्यौहार कमेटी के अध्यक्ष सईद खान मुन्ना पटेल ने कहा की दरगाह की देखरेख पट्टाभिराम मंदिर प्रबंधन और पास ही रहने वाले ब्राह्मण परिवार कर रहा है. इस दरगाह पर मुस्लिम आते जरूर है लेकिन हिन्दू भाई पूजापाठ और देखरेख करते है

38 वर्षो से रोज कर रहे दरगाह शरीफ की देखरेख

पिछले 38 वर्षों से मंदिर में आने वाले ब्राह्मण दुबे परिवार के सदस्य दरगाह शरीफ की उसी शिद्धत से इबादत करते है जितनी श्रद्धा से वे पूजा करते है. इस परिवार के सदस्य अशोक कुमार दुबे ने बताया कि उनके दादा और परिवार विगत 38 वर्षो से दरगाह की पूजा और देखरेख करते है. गुरुवार को हिन्दू और मुस्लिम बड़ी संख्या में इस दरगाह पर आते है.

कौमी एकता के हैं अनेकों उदाहरण

हरदा निवासी अखिलेश पाराशर ने कहा की पूरे प्रदेश में कृषि प्रधान जिले के रूप में पहचाने जाने वाले हरदा को कौमी एकता की मिसाल के तौर पर देखा जाता है.

300 साल से ब्राह्मण परिवार बनवा रहा है ताजिया

यहां रहने वाला एक ब्राह्मण परिवार 300 साल से तजिया बनवा रहा है. इसके साथ ही ताजिया निर्माण करने वाले मुस्लिम शाह परिवार का भरणपोषण भी कर रहा है. शहर के गढ़ीपुरा, खेड़ीपुरा, मानपुरा, इमलीपुरा, कुलहरदा दूधडेरी जैसे इलाके हैं, जहां आज भी हिन्दू और मुस्लिम परिवार पीढ़ियों से एक साथ रहकर एक-दूसरे के सुखदुख में सहभागी बने हुए हैं.

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