*प्रिज्म होलोग्राफी एंड सिक्योरिटी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड के फर्जी होलोग्राम बनवाने के बाद भी नोएडा में एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की?*
*प्रवर्तन निदेशालय के अभियुक्तों को अभयदान देने के कारण अब गवाहों की छत्तीसगढ़ छोड़ने की नौबत*
*अभियुक्तों के साथ भूपेश बघेल को मिला अवैध शराब घोटाले में अभयदान!*
*विजया पाठक
ईडी द्वारा छत्तीसगढ़ में अवैध शराब घोटाले से जुड़े अभियुक्तों को अभयदान देने की चर्चा जोर शोर से हो रही है। दरअसल प्रदेश में अवैध शराब कार्टेल 2019 से चलाया जा रहा, जिसे अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी, निरंजन दास और अनवर ढेबर मिलकर चला रहे थे। इस पर ईडी ने बड़ी चार्टशीट भी दाखिल की है। इसमें पृष्ठ क्रमांक 81-87 तक होलोग्राम की पूरी जानकारी दी गई है। होलोग्राम एक तरह से जेन्युटी डिसाइड करती है। एक होलोग्राम मतलब उस चीज का नाम, पता सब होलोग्राम ही होता है। अरुणपति त्रिपाठी ने वर्ष 2019 में नोएडा स्थित प्रिज्म होलोग्राफी एंड सिक्योरिटी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर विदु गुप्ता से फर्जी होलोग्राम बनाने को लेकर संपर्क किया। यह फर्जी होलोग्राम का उपयोग कर 70% फर्जी शराब छत्तीसगढ़ में बेची जाने लगी। एक शराब कार्टेल निर्मित हो गया, इस कार्टेल में प्रमुख अनिल टुटेजा और अनवर ढेबर रहे। ईडी चाहती तो 420 समेत अन्य धाराओं में केस नोएडा में रजिस्टर करती। जैसा कोयला में पहले बंगलौर और बाद में भोपाल में किया। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। यहां तक कि जिस दिन केस की सुनवाई चल रही थी उस दिन ईडी के वकील तुषार मेहता कोर्ट ही नहीं पहुंचे थे, उनकी जगह एस. व्ही. राजू वकील पहुंचे थे, जो सही तरीके से अपनी बात ही नही रख पाये। अब ऐसा क्यों किया गया। कह नहीं सकते हैं। केस पता नहीं किस दबाव में कमज़ोर बनाया गया। इसी टेक्निकेलिटी के कारण अनिल टुटेजा को जमानत मिल गई और इस मामले में सर्वोच्च अदालत ने स्टे भी लगा दिया है। वैसे अनिल टुटेजा को दाद देनी चाहिए जिस तरीके से पिछले 07 सालों से वे अदालतों की शरण से बचते आ रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक इस बार उनके बचने के पीछे किसी माननीय के साले का रोल भी सामने आ रहा है।
टुटेजा ही वो व्यक्ति है जिसने छत्तीसगढ़ में पत्रकारों के खिलाफ षडयंत्र कर रचा है। सूत्रों के मुताबिक मेरे जैसे असंख्य पत्रकारों के ऊपर पुलिसिया कार्यवाही का असली मास्टरमाइंड अनिल टुटेजा ही है। उनको मुख्यमंत्री का वरदस्त हासिल है और मुख्यमंत्री के पूरे काम वही संभाल रहे हैं। सवाल यह उठता है, एक प्रमोटी आईएएस इतनी ताकत कैसे रख सकता है। राज्य में उनके बगैर पत्ता भी नहीं हिल सकता, पुलिस कप्तान, आईजी, डीआईजी, डीजीपी सब उनके फरमान मानते हैं जबकि वो अब सेवानिवृत हो गए हैं।
सवाल यह उठता है आखिर किस कारण से ईडी ने अनिल टुटेजा अन्य को अभयदान दिया है। क्या जानबूझकर केस में तकनीकी खामियां छोड़ी गई। नोएडा में फर्जी होलोग्राम पर एफआईआर क्यों नहीं की गई। इस गलती के कारण आज अवैध शराब घोटाले से संबंधित सभी गवाह छत्तीसगढ़ छोड़ने को मजबूर हैं। वैसे अनिल टुटेजा भी कोई जादूगर से कम नहीं। सुप्रीम कोर्ट में इनके ऊपर 4-5 मामले चल रहे हैं और सब रिलीफ लेकर बैठे हैं। इस मामले में आगे जस्टिस कौल का क्या मत रहेगा, वो भी देखने की बात होगी।
खैर, अब मामला ईडी के हाथ से निकल गया है और जैसा अनुमान है एक दो महीने में कोयला और शराब से जुड़े सारे लोग बाहर भी आ जाए, पर इससे लोकतंत्र के वो प्रहरी जिन्होंने यह मामले उठाए जैसे पत्रकार, समाजसेवी या इन मामलों में गवाह अब अपने आपको ठगा हुआ से महसूस करते हैं।
*आखिर भूपेश बघेल खुद को और अपने भ्रष्टाचारी नुमाइंदों को कब तक बचा पायेंगे?*
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जब भी मौका मिलता है अपने साथी भ्रष्टाचारी नुमाइंदों को बचाने का पूरा प्रयास करते हैं। इनकी चांडाल चौकड़ी के सभी सदस्य जो किसी न किसी मामले में कानूनी कार्यवाही में उलझे हुए हैं और ज्यादातर जेल की हवा खा रहे हैं। बावजूद इसके एक तरफ भूपेश बघेल इन्हें बचाने की कोशिश करते हैं वहीं दूसरी ओर ये लोग भी कानून के साथ खिलवाड़ करते हुए रोज नये-नये कारनामों को अंजाम देने से बाज नहीं आते हैं। पूर्व में भी मैंने छापा था कि कैसे छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के नेतृत्व में भय, दमन और अत्याचार की सरकार चल रही है। पिछले कुछ सालों से इनके खिलाफ लिखने वाले पत्रकारों को जेल भेजने की योजना पर काम हो रहा है। छत्तीसगढ़ की सरकार सौम्या, सूर्यकांत, रानू साहू के जेल जाने के बाद विनोद वर्मा, आरिफ शेख और अनिल टुटेजा सरकार चला रहे हैं। जिसमें अनिल टुटेजा और विनोद वर्मा को सुप्रीम कोर्ट ने अलग-अलग मामलों में स्टे दे रखा है। भूपेश बघेल के पुत्र भी गिरफ्तारी की रडार पर हैं। चुनावों से पहले शायद भूपेश बघेल खुद ना गिरफ्तार हो जाए। आरिफ शेख के खिलाफ केंद्र में जांच चल रही है।