अग्नि आलोक

खुद की परछाईं से डर जाता है….वो तानाशाह है

Share

वो बच्चों के काले लिबास से डर जाता है
वो तानाशाह है
खुद की परछाईं से डर जाता है.
खरीदता है तोप गोले और
तमाम बम वर्षक विमान
एक बात ये भी है कि
वो तानाशाह है
कलम से डर जाता है
लगाकर भीड़ करता है कांव-कांव
हर चुनावी रैलियों में
सुनता नहीं किसी की
वो तानाशाह है
मन की बात कर जाता है
न जाने किस को दिखाता है हाथ
न जाने किसको दिखाता है लाल आंखें
वो दुश्मन को ललकारता है, मगर
वो तानाशाह है
सवालों से डर जाता है
वो करता है मेकअप
वो सजाता है दिन में पांच बार
छपवाता है अपने ही इश्तेहार, मगर
वो तानाशाह है
आईने से डर जाता है.

Exit mobile version