किसानों ने सांवेर में निकाली रैली, एसडीएम कार्यालय पर किया प्रदर्शन
घोड़ा रोज़ के आतंक के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा का दूसरा प्रदर्शन
इंदौर । मध्यप्रदेश में मालवा क्षेत्र के किसानघोड़ा रोज से बेहद परेशान हैं. किसानों का कहना है कि नीलगाय का बढ़ता प्रकोप उनकी फसलों के लिए बेहद नुकसानदेह साबित हो रहा है. रोजाना कई एकड़ फसल घोडारोज रौंदकर बर्बाद कर रहा है । इस समस्या को लेकर किसानों के बढ़ते आक्रोश को आवाज देने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा मैदान में उतरा है । 24 जनवरी को देपालपुर तहसील में किसानों के बड़े प्रदर्शन और एसडीएम कार्यालय के घेराव के बाद आज किसानों ने सांवेर तहसील कार्यालय का घेराव किया ,प्रदर्शन किया और ज्ञापन देकर घोडारोज की समस्या से किसानों को मुक्ति दिलाने की मांग की ।
प्रदर्शन से पूर्व किसान सांवेर कृषि उपज मंडी में इकट्ठा हुए थे तथा यहां से जुलूस बनाकर एसडीएम कार्यालय पहुंचे ।करीब दो किलोमीटर लंबे मार्ग पर किसान हाथों में तख्ती लिए घोड़ा रोज़ से मुक्ति दिलाने की मांग करते हुए नारेबाजी करते रहे । करीब 1 घंटे तक एसडीएम कार्यालय पर भी प्रदर्शन किया प्रदर्शन का नेतृत्व संयुक्त किसान मोर्चा के रामस्वरूप मंत्री, बबलू जाधव, चंदन सिंह बड़वाया ,शैलेंद्र पटेल, सोहन यादव,लाखन सिंह डाबी आदि ने किया । प्रदर्शन में सांवेर तहसील के 50 से ज्यादा गांव से करीब 400 से ज्यादा किसानों ने एसडीएम कार्यालय पहुंचकर जुलूस, प्रदर्शन में बदल गया। ज्ञापन का वाचन शैलेंद्र पटेल ने तथा आभार चंदन सिंह बडवाया ने माना । घोड़ा रोज़ की समस्या को लेकर नागदा से भोपाल तक की पदयात्रा कर मुख्यमंत्री के सामने समस्या को प्रस्तुत करने वाले किसान नेता अशोक गुर्जर भी नागदा से आज इस प्रदर्शन में शामिल होने आए थे । उन्होंने भी किसानों से आग्रह किया कि इस समस्या से निपटने के लिए पूरी ताकत से सड़क पर उतरना होगा।
यहां पर हुई सभा को संबोधित करते हुए विभिन्न किसान नेताओं ने कहा किमध्य प्रदेश के कई हिस्सों में घोडारोज किसान के लिए बड़ी परेशानी का सबब बन गए हैं. मध्यप्रदेश में मालवा क्षेत्र के किसान घोडारोज से बेहद परेशान हैं. किसानों का कहना है कि नीलगाय का बढ़ता प्रकोप उनकी फसलों के लिए बेहद नुकसानदेह साबित हो रहा है. रोजाना कई एकड़ फसल रोजडा रौंदकर बर्बाद कर रही है. इंदौर,रतलाम, नीमच, मंदसौर में अब किसान आंदोलन की ओर अग्रसर हो रहे हैं, अगर इस समस्या का समाधान जल्दी ही नहीं किया गया तो इस क्षेत्र का किसान आने वाले दिनों में बड़ा आंदोलन कर सकता है.
वक्ताओं ने कहा कि घोडारोज को आम भाषा में घोड़ा रोज़ कहा जाता है. ये वन्य पशु और आमतौर पर झुंड में चलते हैं. सैकड़ों की तादाद में नीलगाय आकर कई एकड़ खेत बर्बाद करके चली जाती हैं किसानों के तमाम प्रयास हुए फेल
किसान घोड़ा रोज़ से पीड़ित हैं. इनकी खेत में लगी सब्जी और गेहूं की फसल को घोड़ा रोज़ ने उनकी आंखों के सामने बर्बाद कर दिया. किसानों का कहना है कि नीलगाय खाती कम है लेकिन इसके दौड़ने से फसल का नुकसान ज्यादा होता है. इनके गांव में करीब सभी किसान इस समस्या से जूझ रहे हैं.
कई किसानों ने बाड़ लगाकर इन्हें रोकने की कोशिश की लेकिन नीलगाय 6 फीट तक फांद जाती है इसीलिए उसका कोई फायदा नहीं हुआ. वहीं कुछ किसानों ने बाड़ में करंट लगाकर भी इन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन उसकी चपेट में आकर पालतू गाय, भैंस और बकरी की मौत हो गई इसलिए यह तरीका भी कारगर नहीं है. खेतों की रखवाली करना बहुत आसान नहीं है,
क्षेत्र के हजारों किसान इस समस्या से पीड़ित हैं और इसे लेकर एक बड़े आंदोलन की तैयारी है. 24 जनवरी को संयुक्त किसान मोर्चा ने देपालपुर पर बड़ा प्रदर्शन कर एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन दिया है आज 2 फरवरी को सांवेर एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन दिया गया है ।आंदोलन अभी शुरुआती स्तर पर है और यदि सरकार नहीं चेतती है तथा किसानों को घोड़ा रोज़ की समस्या से मुक्त करने के लिए सार्थक कदम नहीं उठाती है तो किसान बड़ा आंदोलन करने की योजना बना रहे हैं ।
किसानों का कहना है कि घोडारोज को मारने की अनुमति दी जानी चाहिए या फिर इसे जंगल के अंदर रखने का कोई प्रबंध होना चाहिए.
साल 2000 से शिकार पर पाबंदी
इसी मामले में वन विभाग ने नीलगाय और जंगली सूअर को मारने की अनुमति देने के लिए राज्य सरकार को एक प्रस्ताव बनाकर भेजा है. इसमें वन विभाग की ओर से नियमों का सरलीकरण करने के लिए कहा गया है, जिसके तहत किसानों को नीलगाय और जंगली सूअर मारने के लिए लाइसेंस दिया जा सकेगा.
नीलगाय का असर खेती के साथ ही अन्य क्षेत्रों पर भी पड़ रहा है. बुधवार को जयपुर मुंबई ट्रेन में एक नील गाय फंसने से गाड़ी करीब 1 घंटा देर से चली. इन जिलों के अलावा उज्जैन, इंदौर, पन्ना, छतरपुर और रीवा क्षेत्र में नीलगाय की बड़ी आबादी है जबकि खंडवा, होशंगाबाद, इटारसी, मंडला, डिंडोरी में जंगली सूअर फसल बर्बाद करता है. साल 2000 में नीलगाय और साल 2003 में जंगली सुअर के शिकार पर पाबंदी लगा दी गई थी.
यूं तो किसानों के लिए नीलगाय की समस्या कोई नई बात नहीं है. देश के कई इलाकों में किसान इस समस्या से जूझ रहा है, लेकिन सरकार इस मामले में अगर वक्त रहते कदम उठाती है तो किसानों को एक बडी मुश्किल से बचाया जा सकता है.एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम दिए गए ज्ञापन में मांग की गई है कि.घोड़ा रोज़ रोज़डा को समूल नष्ट करने के लिए सरकार युद्ध स्तर पर कार्रवाई करें ।.घोड़ा रोज़ से जिन किसानों की फसलें बर्बाद हुई है उन्हें तत्काल नियम आरबीसी 6-4 के तहत मुआवजा दिया जाए। घोड़ा रोज़ को भगाने के लिए और अपनी खेती बचाने के लिए किसानों को बंदूक के लाइसेंस दिए जाएं तथा रोजडा को नष्ट करने के अधिकार दिए जाएं । रोजडा के आतंक से खेती को बचाने के लिए वन विभाग को सख्त निर्देश दिए जाएं तथा प्रत्येक वन विभाग की रेंज में वन कर्मियों को गस्त करने का आदेश दिया जाए ।इंदौर जिले के 186 किसानों के 2 करोड़ 74 लाख रु का भुगतान तत्काल मंडी निधि से किया जाएं।
प्रदर्शन कारियों ने ज्ञापन के माध्यम से राज्य सरकार को चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने शीघ्र कोई कार्रवाई नहीं की तो किसानों को बड़ा आंदोलन करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
प्रदर्शन में प्रमुख रूप से जनपद सदस्य पवन पटवारी, जनपद सदस्य मोहन मुकाती, पदम पटेल, अरविंद राठौड़ ,अर्जुन सांखला, गोकुल सांखला, वीरेंद्र सिंह खामोद, महेश देथलिया, मुकेश पटेल ,जीवन सांखला, रविंद्र पटेल ,हीरालाल चौधरी ,जय नारायण, आशिक पटेल, जितेंद्र गौड़, रूदन सिंह गौड़ ,विकास यादव, दिनेश डाबी, विनोद राठौड़, अंकित पवार, शिवराज सिंह पानोड़, सुनील पटेल ,राजेश पटेल ,जितेंद्र मुकाती, दशरथ पटेल, शुभम पवार, राधेश्याम गुरान सहित कई किसान नेता और संगठनों से जुड़े कार्यकर्ता शरीक थे ।
संयुक्त किसान मोर्चा के रामस्वरूप मंत्री और बबलू यादव में प्रदेश सरकार से मांग की है कि किसानों को घोड़ा रोज़ की समस्या से अन्यथा संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में पूरे मालवांचल के किसान बड़े आंदोलन को बाध्य होंगे।