अग्नि आलोक

*शहर में अवैध बिल्डिंगों के निर्माण, कैसे और किसके इशारे पर?*

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*शहर को इस जंगलराज से घोर तबाही का जिम्मेदार कौन – सिसौदिया*

शहर में एक और तो बढ़ते वाहनों के कारण बेतरतीब व जानलेवा, अस्त-व्यस्त यातायात के कारण इन्दौर के आमजन, खासकर व्यापारी व शहर में निवासरत नागरिक हैरान-परेशान हैं, वहीं नगर निगम, गरीब बस्तियों से लेकर कालोनियों एवं व्यापारिक क्षेत्रों में अवैध निर्माण व ओटलों के कब्जे हटाने के लिए अतिक्रमण मुहीम चलाकर लोगों के आशियाने को उजाड़ने की नोटंकी के लिए निगम प्रशासन से लेकर निगम आयुक्त व महापौर काफी सक्रिय नजर आ रहे हैं, लेकिन विडम्बना यह है कि शहर की कई वैध – अवैध कालोनियों व शहर सघन बैसकीमती क्षेत्रों, बाजारों में भवन अधिकारी, दरोगा एवं अनेक जिम्मेदार अधिकारी व रसूखदार नेताओं के संरक्षण में 70 से 120% अवैध मल्टी व बिल्डिंगों का निर्माण धड़ल्ले से बिना किसी भय व खोफ के हो रहा है, बावजूद इसके जिला प्रशासन, निगम प्रशासन, निगम आयुक्त, महापौर से लेकर पार्षद व अन्य जिम्मेदार जनप्रतिनिधि आंखें मूंद कर तमाशबीन बने हुए हैं, आखिर शहर को सीमेंट, क्रांकिट का जंगलराज कौन, कैसे और किसके साये में खड़ा रहा है, इसके लिए कौन है जवाबदार? इसी बात को लेकर इन्दौर के जनहितैशी एव जागरुक भाजपा ही पूर्व पार्षद परमानंद सिसौदिया ने शहर में निर्माणाधीन अवैध मल्टी एवं बिल्डिंगों को लेकर कलेक्टर, महापौर, निगम आयुक्त से अपने शिकायती पत्रों का जवाब मांगा है।

शहर के जागरुक जनप्रतिनिधि पार्षद रहे परमानंद सिसौदिया ने इस प्रतिनिधि से चर्चा करते कहा कि वे भाजपाई भू-माफिया अशोक डागा व दिलीप जैन के छोटा बांगड़दा स्थित लीड्स मल्टी टाऊन के अवैध अम्बाला पर माननीय न्यायालीन कार्यवाही के तर्ज पर ही इन सभी मामलों को भी याचिका के माध्यम से माननीय न्यायालय में मजबूरीवस उठाएंगे।

इन्दौर । मय दस्तावेजो के पुरी जिम्मेदारी के साथ प्रमाणित तथ्यों के आधारों पर यह गंभीर सवाल उठाया हैं, भाजपा से ही नगर के पूर्व पार्षद एवं एम.आई.सी. सदस्य रहे परमानंद सिसोदिया ने?

श्री सिसौदिया ने इन्दौर के महापौर, निगम की आयुक्त, जिला कलेक्टर और संभाग आयुक्त को इन सहित अनेक निर्माणों के शेशवकाल से ही किये ओर करवाये जा रहे स्वीकृत नक्षों एवं नियम प्रावधानों के खिलाफ जानलेवा अवैध निर्माणों को अविलंब रोकने, हटाने एवं इसके मुल दोषियों पर निगम विधान की धारा 401 के तहत लिखित शिकायतें करने के बावजूद इनके मूल दोषियों के एवं जानलेवा असीमित अवैध निर्माणों के अंबारों के खिलाफ निगम विधान की धारा 292 सी., 292 जी., 292 डी.ए. एवं भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा 13 (1) 13 (1डी) तथा 120 बी आदि के तहत आज दिनांक तक भी कोई ठोस कार्यवाहियां क्यूं नहीं की गई है? जब कि इन अवैध निर्माण-कार्यों का किसी भी कानून से कम्पाउण्डिग भी नहीं हो सकता है! 

श्री सिसौदिया ने विधि के ज्ञाता रहे महापौर व अन्य इन तीनों ही प्रमुख लोक सेवकों के सामने उदाहरण स्वरूप कुछ शिकायती प्रमाण रखे हैं, जैसे (1) भवन क्र. 11. 24, 25 माडल टाउन कालोनी (2) भ.क्र. 1, 25, 26, 27 श्रीराम नगर (3) भ.क्र. 8, 350, 351, नया 30, बड़ा सराफा, (4) भ.क्र. 4, 15, 16, 21, 22 छोटा सराफा (6) भ.क्र. 1, 9, 16 6/2 शक्कर बाजार, (7) 90 उदापुरा, 50 मुराई मोहल्ला, 8/5, महेश नगर, 5. 6 गुलाब पार्क, 16 पैकी कसेरा बाजार, 985, सुदामा नगर, 243, उषा नगर, 28 जी. से.ए. 23 ई से. ए. यो.क्र. 71 कार्नर, एन.ए.2 से.ए., 24-ए. से.ए. यो.क्र. 71 रिंग रोड़ पर, 151 भक्त प्रहलाद नगर, 42, साउथ राजमोहल्ला, भ.क्र.2 23/3, 24/1, 20/9, सभी वाय. एन. रोड़ इन्दौर 65 मधुबन कॉलोनी, ग्राम गाडराखेड़ी ओमकृष्ण कुटी कॉलोनी के भु.क्र. 77, पर ग्राम राऊ ए.बी. रोड़ के ख.क्र. 288/1/1 व अन्य पर, ग्राम छोटा बांगड़दा के ख.न. 351/8 पर, ग्राम चितावद के ख.क्र. 5/1, 5/2 पर, आदि बहुत ही लम्बी फेहरीस्त है। 

श्री सिसौदिया ने इन्हीं में से प्रमाण स्वरूप कुछ निर्माणाधीन भवनों के ताजा चित्र प्रस्तुत कर बताया है कि उपरोक्त सभी भवनों सहित इन भवनों में 80 से 100, 100% तक के जानलेवा अवैध निर्माण इनके मौकों  पर बेरोकटोक कैसे सम्पन्न हो रहे हैं? और यह सभी जिम्मेदार लोकसेवक इस जंगलराज को क्या नगर की तबाही के लिये पोषित नहीं कर रहे है? एक और तो सुगम यातायात और पार्किग की जानलेवा गंभीरतम समस्या पर नगर के मुख्य मार्गों को मात्र प्रयोगशाला बनाकर शहर को शगुफे सुनाए जा रहे है वहीं दूसरी और मनमाने भ्रष्ट सांठ – गांठ से एम. ओ.एस., ओ.टी.एस., एवं सेडबेकों की भूमियों पर नियमों व स्वीकृतियों के खिलाफ बलात कब्जे करवाकर नगर के इन सघन व्यस्त क्षेत्रों व बाजारों में बगैर अनुज्ञा के व बगैर नियमित सक्षम स्वीकृतियों के अवैध भवन निर्माण और नियमित पार्किग विहिन 80 से 100,100% तक के जानलेवा अवैध निर्माण सम्पन्न करवाकर इस नगर को भविष्य की गंभीर तबाही की ओर धकेलने वाला यहां यह जंगलराज किन भ्रष्टाचारी और बेईमान नपुसंक लोगो के खुले संरक्षण व साये में चल रहा है? विभागीय मंत्री, महापौर, आयुक्त, जिलाधीश, संभाग आयुक्त ओर सभी नगर के निर्वाचित जनप्रतिनिधि हम आम नगरवासियों को प्रमुख समाचार पत्रों के ही माध्यम से इन गंभीरतम सवालों का अविलंब संतोषप्रद जवाब देंवे। क्योंकि हर ऐसे अपराधों को माननीय न्यायालय से ही हल कराना शासन-प्रशासन की नंपुसकता का ही यह परिचायक है, और भारी बोझ से लदे मान. न्यायालयों को बोझ तले दबाने का कृत्य है।

श्री सिसौदिया ने अंत में यह भी कहा है कि मेरी इस ईमानदार व्यापक लोकहितैषी चुनौती को आप सभी स्वीकार करें और यदि मेरे इन गंभीर आरोपो के तथ्य असत्य या झुठे हो तो उन्हें दस्तावेजों पर प्रमाणित करके आप मेरे खिलाफ भी ठोस कार्यवाहियां करने के लिये स्वतंत्र है। मगर इस गंभीर त्रासदी पूर्ण स्थिति का आप सभी महानुभाव हमें तथ्यात्मक प्रमाणित जवाब देवें, और उल्लेख अनुसार सम्पूर्ण अवैध निर्माणों के अम्बारों को ध्वस्त करने की कार्यवाही करें।

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