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कितनी बदली झारखंड की राजनीति, चंपई सोरेन ने हासिल किया विश्वास मत?

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झारखंड की सरकार ने सोमवार को विधानसभा में विश्वास मत हासिल कर लिया।  चंपई सोरेन सरकार के पक्ष में 47 मत पड़े जबकि विपक्ष में 29 मत ही पड़े। तीन सदस्य अनुपस्थित रहे। इसके साथ ही राज्य में 31 जनवरी से चल रहे सियासी उठापटक का पटाक्षेप हो गया। इससे पहले गठबंधन सरकार के सभी विधायक हैदराबाद में डेरा डाले हुए थे। इन तमाम घटनाक्रमों के केंद्र में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का इस्तीफा रहा। भूमि घोटाले में ईडी द्वारा हेमंत की गिरफ्तारी के बाद राज्य में सियासी संकट खड़ा हो गया था। झारखंड की चंपई सोरेन सरकार को आज विधानसभा में बहुमत साबित कर दिया। सरकार के पक्ष में 47 और विपक्ष में 29 वोट पड़े। बहुमत परीक्षण के लिए झारखंड विधानसभा का दो दिन का विशेष सत्र बुलाया गया, जिसकी राज्यपाल के अभिभाषण से शुरुआत हुई। 

आइये जानते हैं कि  राज्य में पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजे कैसे रहे थे? चुनाव के बाद राज्य की राजनीति कितनी बदली? कहां-कहां उपचुनाव हुए? विश्वास मत के दौरान क्या हुआ? 

पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजे कैसे थे?
81 सदस्यीय झारखंड विधानसभा के लिए पिछले चुनाव 30 नवंबर से 20 दिसंबर 2019 तक हुए थे। ये चुनाव पांच चरणों में कराए गए थे जिसमें कुल 65.18 फीसदी मतदान दर्ज किया गया था। नतीजे 23 दिसंबर 2019 को घोषित किए गए। जब नतीजे सामने आए तो सत्ताधारी भाजपा को झटका लगा और वह 41 सीटों के जादुई आंकड़ों से पिछड़ गई। हेमंत सोरेन की पार्टी जेएमएम को सबसे ज्यादा 30 सीटें आईं। इसके बाद भाजपा को 25 सीटें मिलीं। अन्य दलों की बात करें तो कांग्रेस के 16 विधायक, झाविमो के तीन और आजसू  के दो विधायक जीते। इसके अलावा दो निर्दलीय विधायक जबकि राजद, सीपीआई (एमएल) और एनसीपी के एक-एक विधायक चुनकर विधानसभा पहुंचे। 

राज्य में महागठबंधन की सरकार बनी
हार के बाद भाजपा सरकार में मुख्यमंत्री रहे रघुबर दास ने इस्तीफा दे दिया।  जेएमएम के नेतृत्व में राज्य में महागठबंधन की सरकार बनी। इस सरकार में जेएमएम को कांग्रेस, राजद, सीपीआई (एमएल) और एनसीपी का साथ मिला। इसके अलावा झाविमो प्रमुख और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने भी हेमंत सोरेन सरकार को अपनी पार्टी का समर्थन दे दिया। वहीं 24 दिसंबर 2019 को झामुमो विधायक दल का नेता हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

बाबूलाल मरांडी ने भाजपा में किया अपनी पार्टी का विलय 
फरवरी 2020 में झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ‘घर वापसी’ करते हुए भाजपा में शामिल हो गए। इसके अलावा उन्होंने अपनी पार्टी झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) का भाजपा में विलय भी कर दिया। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बाबूलाल मरांडी का पार्टी में स्वागत किया। उसी समय झारखंड विकास मोर्चा से निकाले गए दो विधायक प्रदीप यादव और बंधु तीर्की कांग्रेस में शामिल हो गए। झारखंड कांग्रेस के तत्कालीन प्रभारी आरपीएन सिंह की मौजूदगी में दोनों विधायकों ने कांग्रेस का हाथ थामा था। 

कितनी सीटों पर उपचुनाव हुए?
नवंबर 2020 में झारखंड में दो सीटों बेरमो और दुमका के लिए उपचुनाव हुए थे। सत्ताधारी गठबंधन ने दोनों ही विधानसभा सीटें बरकरार रखते हुए सफलता पाई थी। बेरमो में कांग्रेस के अनूप सिंह ने भाजपा के योगेश्वर महतो को हराया था। वहीं, दुमका में तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के छोटे भाई बसंत सोरेन ने भाजपा की लुईस मरांडी को शिकस्त दी थी। 

इसके बाद मई 2021 में मधुपुर विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव हुआ था। इसमें झामुमो प्रत्याशी हफीजुल हसन अंसारी ने भाजपा के गंगा नारायण सिंह को पराजित किया था। झारखंड की मांडर विधानसभा सीट पर जून 2022 में उपचुनाव हुए थे। इसमें कांग्रेस प्रत्याशी शिल्पी नेहा तिर्की जीती थीं। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी गंगोत्री कुजूर को हराया था। 

पिछले साल मार्च में रामगढ़ सीट पर हुए उपचुनाव के नतीजे सामने आए थे। इसमें एनडीए की तरफ से आजसू पार्टी की प्रत्याशी सुनीता चौधरी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के बजरंग महतो को हराया था। 

राज्य में अंतिम उपचुनाव गिरिडीह जिले की डुमरी विधानसभा सीट के लिए हुआ था। सितंबर 2023 में आए नतीजे में झामुमो उम्मीदवार बेबी देवी ने आजसू पार्टी की उम्मीदवार यशोदा देवी को हराकर जीत हासिल की थी।  

अभी क्या है विधानसभा की स्थिति? 
वर्तमान में झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व वाले महागठबंधन में 48 विधायकों का समर्थन है। इसमें जेएमएम के 29 विधायक, कांग्रेस के 17, राजद और सीपीआई (एमएल) के एक-एक विधायक हैं।  

वहीं, दूसरी ओर राज्य की विपक्षी एनडीए के पास 32 विधायकों का समर्थन हासिल है। इसमें भाजपा के 26 विधायक, आजसू के तीन, दो निर्दलीय और एक एनसीपी (अजित गुट) के विधायक शामिल हैं। इसके अलावा एक सीट खाली है। 

अभी झारखंड की राजनीति में क्या हो रहा है?
झारखंड की चंपई सोरेन सरकार को सोमवार को विधानसभा में बहुमत साबित करना था। बहुमत परीक्षण के लिए झारखंड विधानसभा का दो दिन का विशेष सत्र बुलाया गया। सोमवार को हुए बहुमत परीक्षण के दौरान चंपई सरकार पक्ष में 47 वोट पड़े। वहीं, विपक्ष के 29 वोट पड़े।

सत्ताधारी गठबंधन के विधायक रविवार शाम हैदराबाद से रांची लौटे थे। ये सियासी उठापटक हाल ही में रक्षा जमीन घोटाले में हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद हुई है। अपनी गिरफ्तारी के पहले ही हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था। इसके बाद पार्टी के वरिष्ठ विधायक चंपई सोरेन ने हेमंत की जगह ली। 

हम जनता के लिए काम करेंगे- चंपई सोरेन
फ्लोर टेस्ट के बाद झारखंड के सीएम चंपई सोरेन ने कहा कि हेमंत सोरेन ने जो योजनाओं का खाका बनाया है, उस पर तेजी से काम होगा। हम जनता के हित में काम करेंगे। भाजपा नेताओं का दावा है कि कई झामुमो विधायक जल्द ही पार्टी छोड़ देंगे। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए सीएम ने कहा कि महाराष्ट्र और अन्य जगहों से यह आदलतें हैं। हम इस तरह की परंपरा और संस्कृति से दूर हैं। जल्द 2-3 दिनों में कैबिनेट विस्तार हो जाएगा। 

भाजपा का हुआ पर्दाफाश- बन्ना गुप्ता
झारखंड के मंत्री बन्ना गुप्ता ने भाजपा पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने जो साजिश रची थी उसका खात्मा लोकतंत्र के मंदिर में हो गया है। उन्होंने कहा कि भाजपा के पास बहुमत नहीं था। वे लोकतंत्र की हत्या करके राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना चाहते थे, लेकिन वे ऐसा नहीं कर सकें। हमारे पास 49 विधायक है। 

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