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मानवीयता को अर्जित किया है, इसे बचाए रखने की जरूरत

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बस इतना बचा देना” पर गोष्ठी का आयोजन 

वरिष्ठ कवि श्री चंद्रशेखर साकल्ले जी के नवीन कविता संग्रह “बस इतना बचा देना” पर गोष्ठी का आयोजन प्रगतिशील लेखक संघ इंदौर द्वारा स्थानीय कल्याण जैन लायब्रेरी, अभिनव कला समाज, गांधी हॉल इंदौर पर दिनांक २२ मार्च को किया गया।

गोष्ठी में कवि साकल्ले जी ने अपनी नई- पुरानी कई कविताओं का वाचन किया। पाठकों, श्रोताओं ने उनके कविता संग्रह पर अपने विचार रखे।

श्री साकल्ले ने विभिन्न कविताओं में गाजा पर बमबारी में बच्चों की मार्मिक पीड़ा, प्राकृतिक संसाधनों की लूट तथा “विषाणु” कविता में लिखने, बोलने, पढ़ने ,देखने के खतरे पर कहा कि “पीछे हाथ बांध सड़क से गुजरने को भी विरोध का तरीका माना जा सकता है”। जन आंदोलनों के प्रति आमजन की निरपेक्ष और उचटती निगाहें, प्रशासन की अनदेखी भी कविताओं में अभिव्यक्त हुई है।

प्रगतिशील लेखक संघ इंदौर इकाई द्वारा आयोजित गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए प्रोफेसर अजीज़ इरफान ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी के लिए सबसे कठिन इस समय में युवाओं की उपस्थिति उत्साहवर्धक है। प्रगतिशील लेखक संघ के राष्ट्रीय सचिव विनीत तिवारी ने कहा कि इंसानी विकास क्रम में अनेक संघर्षों के बाद मानव ने मानवीयता को अर्जित किया है, इसे बचाए रखने की जरूरत है। साकल्ले जी की कविताओं में बेहतर मनुष्य बनने की आकांक्षा झलकती है। वरिष्ठ कवि सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश पटेल के अनुसार कवि अपने समाज को व्यक्त करता है। कबीर काल में सच लिखना उतना आसान नहीं था जितना आज है। साकल्ले जी ने अपने समय को तीखी नजर से देखा है।

पुस्तक में प्रकाशित कविताओं पर अपनी पाठकीय टिप्पणी में हरनाम सिंह ने कहा कि किताब में बच्चों, स्त्रियों, दलितों, आदिवासी के सामाजिक सरोकारों से संबंधित रचनाएं संकलित है। कविताओं में पैकेज पर नौकरियों में शोषण के नए तरीकों, पितृ सत्ता, गांव के शहरीकरण का प्रभाव, माल संस्कृत में स्त्री का शोषण और कला संस्कृति के पतन पर चिंताएं सामने आई है। नितिन ने संग्रह की कविता “भजमन और मैं” का वाचन किया। विवेक ने कविताओं के रूपक और नए प्रतिकों पर चर्चा की। राम आसरे  पांडे ने कविताओं को सहज सरल और संवेदनशील बताया। फादर पायस ने कहा की कविताएं जीवन से जुड़ी है। विजय दलाल, चुन्नीलाल वाधवानी ने भी चर्चा में भाग लिया। अतिथि परिचय और गोष्ठी का संचालन विवेक मेहता ने किया।

गोष्ठी में हाल ही में हमसे जुदा हुए, प्रगतिशील लेखक संघ के वरिष्ठ साथी आनंद मोहन माथुर और अनंत श्रोत्रीय के निधन पर देश और समाज दिए गए उनके  योगदान को याद करते हुए भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। आभार माना सारिका श्रीवास्तव ने।

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