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सी-21 मॉल ,सयाजी और चायपत्ती व्यवसाय के प्लाटों पर बनी बिल्डिंगे तोड़ दो तो ईमानदारी माने

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लीज का उल्लघन कर धोखे से दुकानें बेचने वालो के खिलाफ एफआईआर क्यों नही ?
पीयू – 4 में प्लाट ले चुके व्यापारियों के सियागंज ,जवाहर मार्ग स्थित मकान तोड़ कर पूरे शहर को राहत  क्यों नही दी जा रही है ?
 
इंदौर । (राजेन्द्र के.गुप्ता) ऐसा क्यों होता है जब छोटे व्यवसायी या साधारण व्यक्तियों को राहत देने की बात आती है तो तमाम क़ानून ,क़ायदे और नियम आड़े आ जाते है और भेदभाव पूर्ण कार्यवाही की जाती है ! मनी सेंटर के मामले में भी यही हुआ । इतने साल बीत गए पर लीज का उल्लघन कर धोखे से दुकानें बेचने वालो के खिलाफ एफआईआर नही की गई ? निर्माण के समय और रजिस्ट्री के समय जिम्मेदार अफसरों  ने ये सब क्यों नही रोका ? बिना पूर्णता प्रमाण पत्र के बिल्डिंग का उपयोग लीज के विपरीत कैसे होने दिया ? इन सब के लिए जिम्मेदार अफसरो के ख़िलाफ कार्यवाही क्यों नही की जा रही है ? क्या ये भेदभाव पर भेदभाव पूर्ण नही है ? जिनकी शुरुआत में ही रोकने की जिम्मेदारी थी वो अपना हिस्सा लेकर मजे कर रहे होगे ! जीवन उनका बर्बाद हो गया जिन्होंने लीज का उल्लघन कर खुलेआम,  मुख्य मार्ग के चौराहे पर बन रही बिल्डिंग पर कार्यवाही नही होने को ही सब कुछ ठीक मान लिया होगा । हम यह नही कह रहे है कि नियमों का उल्लघन करने वालों के ख़िलाफ करवाही नही होना चाहिए । हम साधारण व्यक्ति के जीवन भर की कमाई लूट लेने वालों के ख़िलाफ समय पर और एसा करने वालों के ख़िलाफ एक समान कार्यवाही करने की माँग कर रहे है ।
इन्हें कैसे मिल गई अनुमतियाँ –
स्कीम नं.-54 PU-4 योजना को तो स्पेशल रूप से पूरे शहर को यातायात परेशानी से निजात दिलाने के लिए लाया गया है । ये मनी सेंटर से बहुत ज़्यादा गंभीर प्रकरण है । क्योंकि इस योजना के प्लाटों के लीज का उल्लघन करने से पूरे शहर की यातायात व्यवस्था के साथ जनता पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है । फिर इस योजना के प्लाटों पर सी-21 मॉल सहित कई बिल्डिंगें कैसे खड़ी है ? यहा योजना और योजना के उद्देश्य को ही समाप्त कर दिया गया है । क्या मनी सेंटर और इनके लिए लीज का उल्लघन करने पर अलग – अलग क़ानून और क़ानूनी प्रक्रियाएँ लागू होती है ? एसा क्यों ? इनको प्रतिबंध के बावजूद संयुक्तिकरण सहित तमाम अनुमतिया मिल सकती है तो मनी सेंटर के मामले में एसा क्यों नही हो सका ? चायपत्ती वाले भूखण्ड में तो पूरी तरह से लीज का उल्लघन किया गया है जिसका ख़ामियाज़ा पूरा शहर भोग रहा है ,फिर उन्हें नियमित करने की तैयारी कैसे कर ली गई ? पत्रकार – आरटीआई कार्यकर्ता आर.के.गुप्ता के द्वारा आपत्ति लगाने से मामला अटक गया वर्ना अब तक कुछ प्लाटों को नाम मात्र की पेनल्टी लगा कर नियमित कर दिया जाता । नियमितिकरण की एसी कार्यवाही मनी सेंटर में दुकानें लेने वालों के मामले में क्यों नही की गई ? क्या चायपत्ती व्यापारियों के मामले में कोई मोटी डील हुई है ? जो मनी सेंटर के मामले में नही हो पाई ? तत्कालीन कलेक्टर आकाश त्रिपाठी सहित वरिष्ठ अधिकारियों के द्वारा इनकी लीज निरस्त कर कार्यवाही करने के लिए लिखित में कहा फिर भी जाँच दल पर जाँच दल क्यों गठित किए जा रहे है ?
मनी सेंटर बदला मलबे ढेर में –
दुकानदारों की खरी कमाई भूमाफिया ,अफसरों और दलालों के खेल में खंडहर में तब्दील हो गई ।भय में जीते मनी सेंटर के व्यापारियों के घरों में ज़िंदा व्यक्ति मातम मना रहे होगे । 
इनकी हो गई कमाई –
इन्दौर विकास प्राधिकरण ने प्लॉट बेचकर पैसा कमा लिया । ठेकेदार ने उस पर बिल्डंग बनाकर पैसा कमा लिया । बिल्डर ने दुकाने बेचकर पैसा कमा लिया ।नगर निगम के अधिकारियों ने नक्शा पास करके पैसा कमा लिया । नगर निगम ने संपत्तिकर व दुकान लायसेंस का रूपया ले लिया ।
जब चैन की साँस लेने की बारी आई तो मेरे शहर का आदमी बेरोजगार हो गया –
सरकारी विभाग सहित अफसरों ने अपना स्वार्थ साध लिया और राजस्व कमा लिया । मरा बेचारा आम आदमी । जिसने अपने जीवन के खून पसीने की कमाई लगाकर बाकायदा रजिस्ट्री करवाकर, बैंक से लोन लेकर, संपत्ति कर देकर, दुकान लायसेंस शुल्क देकर ,टेक्स भर कर अपना सब कुछ गंवा दिया । जीवन की उम्र के उस पड़ाव पर जब बच्चों को व्यापार थमा चैन की साँस लेने की बारी आई तो बेरोजगार हो गया । अब उसके पास पकोड़े बेचने की जगह भी नही रही ,अब वो चाहे तो भी पकोड़े कहा से बेचेगा ?एसे ही हालात स्मार्ट सिटी के नाम पर बियाबानी ,गणेशगंज जैसे क्षेत्रों में रहने वालों के साथ भी बने । सबसे बड़ा सवाल यह उठता है एसी कार्यवाही स्कीम 54 पीयू – 4 में प्लाट ले चुके व्यापारियों के सियागंज और जवाहर मार्ग स्थित मकान तोड़ कर क्यों नही की जा रही है ? पूरे शहर की यातायात व्यवस्था को तहस नहस करने वाले इन लोगों को दोहरा लाभ क्या दिया जा रहा है ? सी-21 मॉल सहित स्कीम 54 पीयू -4 की बिल्डिंगे जो चायपत्ती व्यापार के लिए दिए गए प्लाटों पर बनी है वो मनी सेंटर में उजड़ चुके व्यापारियों और उनके परिवार को जीवन भर चिढ़ाएगी …..

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