इंदौर
जिले में 18 साल से कम उम्र के बच्चों की संख्या तेजी से कम हो रही है। साल 1991 की जनगणना में इनकी आबादी का प्रतिशत कुल जनसंख्या का 50.73 था, यानी आधी आबादी में बच्चे थे। साल 2021 के विविध सर्वे के अनुसार जिले की कुल आबादी में करीब 38.35 लाख है और 18 साल से कम उम्र की आबादी 10.5 लाख के करीब यानी मात्र 27% रह गई है। हालांकि इस दौरान बुजुर्गों की आबादी का प्रतिशत 5 से बढ़कर 8 हो गया है। सामाजिक सरोकारों के जानकार बताते हैं कि इसका सबसे बड़ा कारण अधिक उम्र में शादी और एक या दो संतान की बढ़ती परंपरा है।
इसके चलते बुजुर्गों की आबादी का प्रतिशत तेजी से बढ़ता जाएगा, क्योंकि कार्यशील जनसंख्या बुजुर्गों में तब्दील होगी। औसत आयु बढ़ने से इनकी संख्या में इजाफा होगी। ऐसे में आने वाले समय में बुजुर्गों के भरण-पोषण, उनकी व्यवस्था करना सबसे बड़ी चुनौती होगी।
बढ़ रही है कार्यशील आबादी
1991 में कार्यशील आबादी 3.33 लाख यानी आबादी का 44%, जो अब 25 लाख से ज्यादा है। यह आबादी का करीब 65% है। इसके चलते कारोबारी गतिविधियां भी बढ़ी हैं।
कम पड़ने लगी जमीन, बढ़ रहा घनत्व
1991 में इंदौर में प्रतिवर्ग किमी में केवल 193 लोग रहते थे, लेकिन अब 983 लोग प्रतिवर्ग किमी एरिया में रह रहे हैं। इंदौर का कुल एरिया 3898 वर्ग किमी है।
जिले में 18 से कम उम्र के बच्चों की जनसंख्या तेजी से हो रही कम
- इन्हीं 30 सालों में बुजुर्ग तीन फीसदी बढ़े, कारण औसत आयु बढ़ना, देर से शादी और एक या दो संतान होना
- कार्यशील जनसंख्या 18 से 60 साल की, अभी सबसे ज्यादा 65 फीसदी
- आबादी बढ़ने से अब प्रतिवर्ग किमी में पांच गुना अधिक लोग रह रहे