*क्या 3600 प्रति क्विंटल धान के भाव पर कांग्रेस के नहले के ऊपर भाजपा फेकेंगी दहला?*
*अमित शाह के आने से छत्तीसगढ़ के नेता हुए एक्टिव, पर कार्यकर्ता अभी भी सुस्त*
*भूपेश बघेल इस बार बिहार और बंगाल मॉडल पर चुनाव लड़वाने के चक्कर में*
*भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा के खिलाफ होने वाली है छत्तीसगढ़ में साजिश, दवाई मामले में होगी फंसाने की कोशिश*
*विजया पाठक, संपादक, जगत विजन*
छत्तीसगढ़ में आम चुनाव होने में करीब-करीब दो-ढाई महिने का वक्त बचा है। ऐसे में भाजपा की तैयारी मुकम्मल नहीं दिख रही है। इसकी वजह बहुत छोटी सी है। पहली, छत्तीसगढ़ में ना तो भूपेश चलता है, ना चावल वाले बाबा, यहां तो सिर्फ ”धान” चलता है। क्योंकि छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है। देश में धान उत्पादन में छत्तीसगढ़ का अग्रणी स्थान है। प्रदेश की अधिकांश जनसंख्या खेती पर निर्भर है और खेती में धान का बहुत महत्व है। राज्य के किसानों की खुशहाली और बदहाली धान के मूल्य पर तय होती है। 2008, 2013 में भाजपा की सरकार धान ने बनाई तो 2018 में कांग्रेस सरकार भी धान ने ही बनाई। अभी कांग्रेस ने धान का खरीदी मूल्य 3600 रुपए प्रति क्विंटल करने की घोषणा कर दी है, जिसे वो प्रमुखता से अपना मुद्दा बना रही है। इसके ऊपर बीजेपी का दहला क्या आता है इसकी प्रतीक्षा करनी होगी। पूरे छत्तीसगढ़ में एक चुनावी मुद्दा या स्टाइल से नहीं लड़ा जा सकता है। बस्तर के मुद्दे बाकी बचे छत्तीसगढ़ के ग्रामीण मुद्दों से इतर हैं ही शहरी आबादी की मांगें राजनीतिक दल से अलग हैं। भाजपा खासतौर पर छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में इनेक्टिव दिखाई दे रही है। भूपेश बघेल की सरकार का कुशासन तो छत्तीसगढ़वासियों ने देख लिया है और इसे बदलना भी चाहते हैं। पर इनके खिलाफ मजबूती से खड़े रहने की आवश्यकता है।
*जेपी नड्डा को फर्जी तरीके से फंसाने की तैयारी में हैं भूपेश बघेल*
सूत्रों के मुताबिक चुनाव आने तक भूपेश बघेल थिंक टैंक द्वारा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को फंसाने की साजिशें रची जा रही हैं। इसकी बानगी अभी हाल में ही मलिकार्जुन खड़के की राजनांदगांव की रैली में देखने को आई, जिसमें भूपेश बघेल ने रमन सिंह के समय के आंख, गर्भाशय और नसबंदी वाला मुद्दा उठाया। इसका पार्ट-2 की रचना भी की जा रही है, जिसमें फर्जी तरीके से जेपी नड्डा का नाम उछाला जाएगा।
*अमित शाह की मीटिंगों के बाद नेता हुए एक्टिव, कार्यकर्ता अभी भी सुस्त*
चुनावों को लेकर भाजपा कैडर और खासतौर पर जमीनी कार्यकर्ता अभी भी सुस्त पड़ा है। अमित शाह के नेतृत्व में भूपेश बघेल के काले कारनामों को लेकर 104 पन्नों का आरोप पत्र पेश किया है। इस आरोप पत्र को छत्तीसगढ़ की एक-एक जनता तक ले जाने का काम तो कार्यकर्ताओं को ही करना है वरना यह आरोप पत्र मीडिया, सोशल मीडिया में ही घूमता रहेगा। पर भाजपा के कार्यकर्ता अभी छत्तीसगढ़ में हाइबरनेट की स्थिति में हैं। इसका एक बड़ा कारण संसाधनों की कमी है। आज प्रदेश भाजपा कार्यकर्ता संसाधनों से जूझ रहा है। इस बार छत्तीसगढ़ में चुनावों में बड़े पैमाने में धांधली की तैयारी की जा चुकी है।
*बाहुबल, धनबल और धांधलियों से होगा चुनाव*
भूपेश बघेल इस बार विधानसभा चुनाव बिहार और पश्चिम बंगाल की तर्ज पर कराने की फिराक में हैं। इसमें बाहुबल, धनबल और धांधलियों का जमकर उपयोग होगा। भाजपा यह मुगालते में भी ना रहे कि केंद्रीय फोर्सेज इन गड़बड़ियों को रोक सकेगा। इसके लिए बूथ कार्यकर्त्ता ही सबसे ज्यादा मुफीद रहेंगे। इस बार छत्तीसगढ़ चुनावों में भयंकर बाहुबल और प्रशासन का दुरुपयोग रहेगा। वैसे ही प्रदेश के अधिकांश आईएएस एवं नवघटित आईपीएस ने एक लॉबी/संघ बनाया है जो कि भूपेश के काले कारनामों में पार्टनर-इन-क्राइम भी हैं, वो जमकर हर तरीके से भूपेश की मदद को आमादा है। इससे भाजपा कैसे निपटेगी, यह वो ही जाने।
*छत्तीसगढ़ में पुराने नेताओं को मिले सीटवार प्रभार, कुछ पुराने नेताओं की भूपेश से है अच्छी ट्यूनिंग*
भाजपा की सबसे बड़ी दिक्कत उसके दिग्गज ही हैं। सबसे बड़ी परेशानी इस चुनाव में सबोटेज को लेकर है। भाजपा के घर में ही एक-दो विभीषण हैं जो अंदरखाने से भूपेश की मदद कर रहे हैं। साथ-साथ पुराने दिग्गजों को सीटवार प्रभार देने की जरूरत है, ताकि पार्टी और कार्यकर्ताओं के बीच वो एक सेतु का काम कर सकें। टिकिटों का बंटवारा और चुनाव प्रचार-प्रसार का काम बड़े ही सोच समझकर करना होगा ताकि चुनावों में बीजेपी जीत हासिल कर सके। यह भी याद रखने योग्य बात है कि चुनाव जीतने के बाद ही मुख्यमंत्री का पद मिलता है, चुनाव हारने पर नहीं। भूपेश बघेल की भय-भ्रष्टाचार-कदाचार-दमन वाली सरकार, जिसने प्रदेश को 70% तक खोखला कर दिया है, ऐसी सरकार का अंत छत्तीसगढ़ के उज्जवल भविष्य के लिए आवश्यक है।