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धारीवाल साहब, अजमेर में भी स्मार्ट सिटी के कार्यों के ठेकेदारों पर जुर्माना ठुकवाओ

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एस पी मित्तल अजमेर

9 अक्टूबर को राजस्थान नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने अपने गृह जिले कोटा में विभिन्न निर्माण कार्यों का जायजा लिया। धारीवाल के साथ इंजीनियरों, ठेकेदारों और अधिकारियों का दल भी था। निर्माण कार्यों के जायजे के दौरान ही धारीवाल को कार्य की प्रगति धीमी नजर आई। जब संबंधित ठेकेदार ने संतोषजनक जवाब नहीं दिया तो धारीवाल ने मौके पर अधिकारियों को ठेकेदार पर दस लाख रुपए का जुर्माना ठोकने के आदेश दिए। अब जब धारीवाल ने सार्वजनिक तौर पर जुर्माने के आदेश दिए हैं तो इंजीनियरों को अपने चेहते ठेकेदार से दस लाख रुपए का जुर्माना वसूलना भी पड़ेगा। निर्माण कार्य की धीमी गति पर धारीवाल ने कोटा में जो सख्त रुख अपनाया है, वैसा ही रुख अजमेर में चल रहे स्मार्ट सिटी कार्यों में दिखाने की जरूरत है। स्मार्ट सिटी के तहत पीआर मार्ग, कचहरी रोड और स्टेशन रोड पर एलिवेटेड रोड का निर्माण हो रहा है। इस कार्य में लगातार विलंब हो रहा है। एलिवेटेड रोड के निर्माण के कारण शहर के प्रमुख मार्गों की सड़कों का बुरा हाल है। सड़कों पर जगह जगह गड्ढे हो रहे हैं। इन सड़कों से गुजरना बहुत मुश्किल है। आए दिन दुर्घटनाएं हो रही है। टूटी सड़कों के कारण बाजारों में दिन भर धूम उड़ती है। ट्रेफिक पुलिस और स्मार्ट सिटी के इंजीनियरों के बीच तालमेल नहीं होने की वजह से ट्रैफिक भी बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। ठेकेदार अपनी मर्जी से काम कर रहा है। एलिवेटेड रोड का कार्य करीब 300 करोड़ रुपए का है। यदि धारीवाल अजमेर आकर निर्माण कार्य को देखेंगे तो ठेकेदार पर कम से कम तीन करोड़ रुपए का जुर्माना लगाएंगे। अभी तो मिलीभगत की वजह से ठेकेदार की मौज हो रही है। जबकि शर्तों के मुताबिक टूटी सड़क की मरम्मत ठेकेदार को हाथों हाथ करनी है। लेकिन स्मार्ट सिटी के इंजीनियरों और प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों की आंखों पर चांदी का जूता रख दिया गया है, लेकिन किसी को भी ठेकेदार की करतूत नहीं दिख रही है। ऐसे ही हाल पुष्कर रोड, फॉयसागर रोड आदि के हैं। धारीवाल यदि एलिवेटेड रोड के नीचे वाली सड़कों को देखेंगे तो उन्हें अपने विभाग के अधिकारियों एवं इंजीनियरों की असलियत का पता चल जाएगा। ऐसा नहीं कि अजमेर में धारीवाल की तरह कोई दबंग मंत्री नहीं है। चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा, धारीवाल की तरह ही दबंग मंत्री है, लेकिन वे धारीवाल की तरह अपने जिले के विकास में रुचि नहीं लेते हैं। रघु शर्मा अजमेर जिले में अधिकारियों और अन्य सरकारी कार्मिकों की नियुक्ति तो अपनी सिफारिश से करवाते हैं, लेकिन फिर संबंधित विभाग का अधिकारी के रहमो करम पर ही छोड़ देते हैं। रघु ने आज तक भी अपने गृह जिले में स्मार्ट सिटी के कार्यों का जायजा नहीं लिया। जबकि इस प्रोजेक्ट में सभी अधिकारियों की नियुक्ति रघु की सिफारिश पर हुई है। स्मार्ट सिटी का प्रोजेक्ट 2000 करोड़ रुपए का है। 

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