भोपाल। विशाखापत्तनम के इंदिरा गांधी प्राणी उद्यान में 24 घंटे के भीतर दो और बाघों की मौत हो गई। वहीं, देश में इस वर्ष के शुरुआती छह महीनों में 95 से अधिक बाघों की जान गई है। इसमें सबसे अधिक मौतें तीन राज्यों मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तराखंड में हुई हैं। इंदिरा गांधी प्राणी उद्यान में जानकी नाम की बाघिन (22) की वृद्धावस्था के कारण मौत हो गई। उसके शरीर के अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। वहीं, एआरसी (एनिमल रेस्क्यू सेंटर) में कुमारी (23) नाम की एक बाघिन की भी देर रात मौत हो गई थी। प्राणी उद्यान की ‘क्यूरेटर’ नंदनी सलारिया ने बताया कि बाघिन की उम्र औसत आयु से अधिक हो गई थी।
वन मंत्रालय ने दिए जांच के आदेश
प्रोजेक्ट टाइगर के 50 साल पूरे होने पर इस साल अप्रैल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 की बाघ गणना के आंकड़े जारी किए थे। इसके अनुसार, 2018 से अब तक देश में 200 बाघ बढ़े हैं, लेकिन 2023 के शुरुआती छह महीने में ही इसके आधे बाघों की मौत हो चुकी है। नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के अनुसार, इस साल 25 जून तक देशभर में 95 बाघों की मौत रिकॉर्ड की गई है। इनमें सबसे अधिक मध्य प्रदेश में 24, महाराष्ट्र में 19 और उत्तराखंड 14 बाघों की मौत हुई है। इस मामले में केंद्रीय वन मंत्रालय ने सभी राज्यों में जांच के आदेश दिए हैं।
उत्तराखंड: सात बाघों की मौत अभयारण्य से बाहर
उत्तराखंड में सबसे अधिक सात बाघों की मौत टाइगर रिजर्व के बाहर कुमाऊं रीजन में हुई है, जबकि पांच बाघों की मौत कार्बेट टाइगर रिजर्व और दो बाघों की मौत राजाजी टाइगर रिजर्व में हुई है। पिछले दिनों कार्बेट की कालगढ़ रेंज में एक घायल बाघिन भी मिली थी, जिसके पेट के चारों और गोलाई में लोहे की तार का फंदा धंसा हुआ था।
जनसंख्या बढऩे के साथ वनों पर अतिक्रमण का दबाव
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय में महानिदेशक सीपी गोयल का कहना है कि आबादी बढ़ने के साथ वनों पर अतिक्रमण का दबाव बढ़ रहा है। 2021 में उत्तराखंड में तीन और 2022 में कुल छह बाघों की मौत हुई थी।
मप्र पहले, कर्नाटक दूसरे स्थान पर
साल 2018 की गणना के अनुसार, 526 बाघों के साथ मध्य प्रदेश पहले स्थान पर है। 524 बाघों के साथ कर्नाटक दूसरे और 442 बाघों के साथ उत्तराखंड तीसरे स्थान पर है।