इंदौर
इंदौर नगर निगम कार्यालय की एक बैठक का वीडियो शुक्रवार को वायरल हो गया। इस वीडियो में नगर निगम आयुक्त हर्षिकासिंह सख्त तेवर में दिखाई दीं और उन्होंने महिला भाजपा पार्षद की जगह मीटिंग में बैठे उनके पति को बाहर का रास्ता दिखा दिया। दरअसल, गुरुवार को यह मामला है। विधानसभा-2 के विधायक और पार्षदों को अपनी बात रखने और उनके क्षेत्रों में हो रहे कामों पर चर्चा के लिए बुलवाया गया था। बैठक शुरू होने से पहले ही विवादों से घिर गई। निगम कमिश्नर सिंह ने इससे पहले 30 मई को भी हुई एक बैठक में एक पार्षद पति को मीटिंग से बाहर भेज चुकी हैं।
इंदौर की नगर निगम आयुक्त बनी हर्षिका सिंह ने एक बार फिर अपने तेवर साफ कर दिए हैं। बैठक में कमिश्नर सिंह एक वीडियो में यह कहती दिखाई दे रही हैं कि बैठक में सिर्फ पार्षद ही शामिल हो, अगर पार्षद पति आए तो वो उनकी बात नहीं सुनेंगी। दरअसल, गुरुवार को बैठक में वार्ड-30 की मनीषा की जगह उनके पति दुलीचन्द गगोरे पहुंच गए थे। इसी तरह वार्ड-18 की पार्षद सोनाली परमार की जगह उनके पति विजय परमार पहुंचे। साथ ही 2 नम्बर विधानसभा के कार्यकर्ता भी इस बैठक में पहुंच गए।
बैठक में निगम कमिश्नर सब पार्षद से परिचय प्राप्त कर रही थीं कि अचानक से एक सदस्य ने उनका परिचय करवाया कि ये सोनाली विजय परमार हैं। इतना सुनते ही निगम कमिश्नर ने पूछा कि पार्षद कहां है। इस पर पार्षद पति ने जवाब दिया कि उनका स्वास्थ्य ठीक नही है। इस पर कमिश्नर सिंह ने तुरंत कहा कि आप बैठक में नहीं बैठ सकते हैं। आप पार्षद को बुलाएं। इसके बाद पार्षद पति तुरन्त बैठक से बाहर हो गए। परमार को बाहर जाता देख वार्ड 30 के पार्षद पति दुलीचंद और अन्य कार्यकर्ता भी खुद ही बाहर निकल गए। विधायक रमेश मेंदोला के सामने बाहर दोनों पार्षद पति ने अपनी बात रखी। विधायक ने भी उन्हें कह दिया कि आपको पार्षद को लेकर आना चाहिए था। इतना कह कर वे भी तुरंत बैठक में चले गए।वार्ड-18 से पार्षद सोनाली परमार की जगह उनके पति विजय परमार निगम की बैठक में पहुंचे थे। पार्षद पति को निगम कमिश्नर ने बैठक से बाहर कर दिया।
कमिश्नर और पार्षद पति के बीच यह हुई बातचीत
कमिश्नर- आपका नाम।
पार्षद पति- मेम वो नहीं आई है, इसलिए मैं आया हूं।
कमिश्नर- सॉरी मैं आपकी बात नहीं सुन सकती हूं। आप पार्षद को बुलाइए नहीं तो मैं नहीं सुन सकती हू आपकी बात| मैं बिल्कुल क्लियर हूं इसमें। मैं किसी की बात नहीं सुन सकती हूं या तो पार्षद आकर बैठे नहीं तो मैं किसी की बात नहीं सुन सकती हूं।
पार्षद पति- ठीक है मैडम।
कमिश्नर- इतनी सारी महिला पार्षद बैठी है न सब तो अपने घर से निकलकर आई हैं।
पार्षद पति- मैडम समस्या थी, इसलिए नहीं आ पाई
कमिश्नर- उन्हीं को आपको लेकर आना चाहिए था। आप क्यों आए है। उनकी जगह पर फाइल पर साइन करोगे क्या।
पार्षद पति- नहीं मैं नहीं कर सकता हूं साइन तो वो ही करेंगी।
कमिश्नर- फिर आप उन्हें ही बुलाइए। मैं नहीं सुन सकती हूं। बाकी सारी चीजें बर्दाश्त कर सकती हूं, लेकिन ये नहीं करूंगी। या तो आप उन्हें बुलाए नहीं तो आप जा सकते हैं। बाकी सारी महिला पार्षद मिलती और अपनी बात रखती हैं तो आप क्यों इंटर फेयर करते हैं।
पार्षद पति- ठीक है मैडम थैंक्यू।
सभी से मिल रही, वन टू वन चर्चा भी कर रही निगम आयुक्त
निगम सूत्रों का कहना है कि निगम की बिगड़ रही व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कमिश्नर अपनी पूरी ताकत झोंक रही है। वह खुद ही वन टू वन व्यवस्थाएं देख रही हैं। इसीलिए उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि पार्षद ही बैठक में शामिल होंगे और वो उन्हीं से बात करेंगी। बावजूद इसके कुछ पार्षद पति फिर भी बैठक में शामिल हो रहे थे, जिन्हें कमिश्नर सिंह ने सख्त रवैया दिखाते हुए बाहर का रास्ता दिखा दिया।
मई में भी दिखाया था कमिशनर ने कांग्रेस पार्षद पतियों को बाहर का रास्ता
कमिश्नर सिंह इससे पहले भी 30 मई को कांग्रेस पार्षद की बैठक में पार्षद पतियों को बाहर का रास्ता दिखा चुकी है। कांग्रेस पार्षद दल के साथ हुई बैठक में निगम कमिश्नर हर्षिका सिंह ने स्पष्ट किया था कि चुनी हुई महिला पार्षद सक्षम जनप्रतिनिधि हैं। बैठक में वे ही अपनी बात रखें। बीजेपी हो या कांग्रेस, मैंने कई बार देखा है कि बैठकों में पार्षद के अलावा तमाम लोग आ जाते हैं। आयुक्त के तीखे तेवर देखकर बैठक में मौजूद पार्षद पति निकल गए थे।
वहीं इस मामले में कांग्रेस की महिला पार्षद रुबीना इकबाल खान ने कहा था कि यह परंपरा ठीक नहीं है। कायदा भी कहता है कि जो चुनकर आया है वह मीटिंग में जरूर आए। जरूरत पड़े तो किसी को अपने साथ ले आएं, पर उनका प्रतिनिधित्व पति को नहीं करना चाहिए।