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इंदौर में गड़करी ने कहा?’मलेशिया के पाम ऑइल से किसानों को मुआवजे में अड़चन’

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इंदौर: शहर के ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में ‘एडिबल ऑइल्स और प्रोटीन- विज़न 2030’ थीम पर आधारित दो दिवसीय इंटरनेशनल सोया कॉन्क्लेव आयोजित हुआ। इसके पहले दिन सोया इंडस्ट्री के महत्वपूर्ण मुद्दों और नई तकनीकों पर चर्चा हुई।

कार्यक्रम में वर्चुअली जुड़े सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गड़करी ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री का सपना है कि भारत दुनिया की 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बने और इस साल हमने दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बनने का लक्ष्य साधा है।

उन्होंने कहा कि देश में मलेशिया से जो पाम ऑइल आता है, उसकी वजह से किसानों को उचित मुआयजा मिलने में अड़चन आती है। इस तरह पूरी इंडस्ट्री को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

कार्यक्रम में वर्चुअल रुप से जुड़े भारत के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गड़करी ने कहा, ‘हमारे प्रधानमंत्री जी का सपना है कि भारत दुनिया की 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बने और इस साल हमने दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बनने का लक्ष्य साधा है। यह लक्ष्य हासिल करने और आत्मनिर्भर भारत का सृजन करने के लिए हमें अपने देश में से इम्पोर्ट को कम और एक्सपोर्ट को बढ़ाना होगा। जहां तक हमारे देश में एग्रीकल्चर और विशेष रूप से संबंधित एडिबल ऑइल का सवाल है, हम 60% से भी अधिक इम्पोर्ट पर निर्भर हैं।’

क्या बोले आईआईएसआर के डायरेक्टर

ऑइलसीड्स पर अपने विचार प्रस्तुत करते हुए, डॉ. आर. के. माथुर, डायरेक्टर, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ ऑइलसीड्स रिसर्च (IIOR), ने कहा, ‘किसी एक फसल के बजाए एक से अधिक पर ध्यान देना समय की मांग है। यह प्रॉफिट रेश्यो बढ़ाने में मददगार साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि एफपीओ को शामिल किया जाना भी बहुत जरुरी है। इससे न सिर्फ वैल्यू चैन मजबूत होगी, बल्कि बेहतर सिस्टम भी स्थापित हो सकेगा। साथ ही, विभिन्न व्यवसायियों के बीच प्रतिस्पर्धा कम होगी और रिसर्चर्स को भी बढ़ावा मिलेगा

‘आइल सीड्स का प्रोडक्शन बढ़ाने की मांग

इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ सोयाबीन रिसर्च (IISR) के डायरेक्टर डॉ. के. एच. सिंह ने कहा, ‘सोयाबीन हमारे देश में एक दशक से भी अधिक समय से ऑइल सीड्स में नंबर 1 बना हुआ है। लेकिन, इस वर्ष के आंकड़ों के तहत इसे दूसरे स्थान पर दर्ज किया गया, जो कि चिंता का विषय है। इस पर काम किया जाना बहुत जरुरी है। प्रोडक्शन की मात्रा बढ़ाने पर निश्चित रूप से इसकी कीमत को किफायती बनाया जा सकेगा।’

आयातित खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाने के प्रयास सफल

सोपा के चेयरमैन देविश जैन ने कहा, ‘सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने वर्षों तक अपने किसान भाइयों और प्रोसेसर्स को न्याय दिलाने के लिए निरंतर संघर्ष किया है। यह कोई आसान यात्रा नहीं थी, लेकिन आयातित खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाने के लिए सोपा के प्रयास अंततः सफल रहे हैं। यह हमारे तेल और तिलहन क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

किसान और प्रोसेसर्स मिलकर बना सकते हैं देश का आत्मनिर्भर

उन्होंने कहा कि हमारा देश खाद्य, तेल, आयात पर प्रतिवर्ष लगभग 1.50 लाख करोड़ रुपए विदेशी मुद्रा में खर्च करता है। यह एक बड़ा आर्थिक बोझ है, जबकि हमारे मेहनती किसान अपनी उपज को उचित दाम पर बेचने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। सोपा ने न सिर्फ इस मुद्दे को उठाया, बल्कि लगातार सरकार से आग्रह किया कि तेल आयात पर शुल्क बढ़ाए जाएं ताकि हमारे किसानों और प्रोसेसर्स को उनके श्रम का सही मूल्य मिले।
हमने यह कदम इसलिए उठाया, क्योंकि हम मानते हैं कि भारत के किसान और प्रोसेसर्स मिलकर देश को आत्मनिर्भर बना सकते हैं।’

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