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लद्दाख स्वायत्त परिषद के चुनावों में कांग्रेस गठबंधन की 15 सीटों पर जीत, बीजेपी 2 पर सिमटी

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कारगिल में 5वीं लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद (LAHDC) के चुनावों में नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन की जीत की संख्या बढ़कर 15 हो गई, इसमें नेकां ने 8 और कांग्रेस ने 7 जबकि भाजपा ने 2 सीटों पर जीत हासिल की है।

ग्रेटर कश्मीर न्यूज पोर्टल के आंकड़ों के अनुसार, तीसरे दौर की मतगणना के बाद, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सात परिषद सीटें जीतने में कामयाब रही है- जो अब तक की सबसे अधिक है, और गठबंधन सहयोगी नेशनल कॉन्फ्रेंस ने आठ सीटें जीती हैं। जबकि भारतीय जनता पार्टी सिर्फ दो सीट पर ही सिमटकर रह गई है।

कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच 30 सदस्यीय लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद (LAHDC), कारगिल की 26 सीटों पर चुनाव हुए हैं। जिसमे से कांग्रेस ने रामबीरपोआ, पशकुम, चोस्कोर, चिकतन और ताइसुरु सीटों पर अपनी जीत दर्ज की है।

नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) ने भीमबट, पदुम और योरबाल्टक सीट जीत ली है। तो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने स्टैकचाय खंगराल सीट अपने नाम की। भाजपा उम्मीदवार अब्दुल वाहिद ने द्रास में भीमबट निर्वाचन क्षेत्र को कांग्रेस से छीन लिया, नेकां के मौजूदा सदस्य पुंचोक ताशी ने पडुआ में अपनी सीट बरकरार रखी। हालांकि, चिकतन क्षेत्र में, जहां भाजपा का कुछ प्रभाव है, पार्टी के उम्मीदवार पद्मा दोरजे ने स्टैकचाय खंगराल निर्वाचन क्षेत्र में जीत हासिल की, और इसे मौजूदा कांग्रेस से छीन लिया।

द्रास के रणबीरपोरा में, कांग्रेस ने नेकां के मुबारक शाह को सिर्फ 500 से अधिक वोटों से हराया, जबकि चोस्कोर में, कांग्रेस ने भाजपा और नेकां दोनों उम्मीदवारों को हराकर अपनी सीट बरकरार रखी। चिकतन में, कांग्रेस उम्मीदवार लियाकत अली खान ने भाजपा के मोहसिन अली को हराया, जो अपने कार्यकाल के बीच में पीडीपी से भाजपा में शामिल हो गए थे।

इस बीच, बारसू सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार गुलाम मोहम्मद ने जीत हासिल की। इस इलाके में कांग्रेस और भाजपा दोनों उम्मीदवारों को हराया। और मध्य कारगिल के बारू में खादिम हुसैन ने कांग्रेस के लिए सीट जीती।

4 अक्टूबर को कारगिल में 25 निर्दलीय उम्मीदवारों सहित 85 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करने के लिए 77 प्रतिशत मतदान हुआ था। जबकि चुनाव कारगिल क्षेत्र में विकास के मुद्दे पर लड़ा जा रहा है, भाजपा को 30 सदस्यीय परिषद से बाहर रखना अन्य सभी दलों का मुख्य उद्देश्य है।

श्रीनगर और लेह के बीच स्थित, कारगिल में पिछला परिषद चुनाव 2020 में हुआ था, जिसमे भाजपा के तीन सदस्य थे लेकिन इस बार पार्टी ने 17 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे। 30 सदस्यीय परिषद में 26 निर्वाचित और चार नामांकित सदस्य हैं।

कारगिल की सड़कों पर, युवा मतदाताओं का कहना है कि पिछले चार वर्षों में उनकी सबसे बड़ी चुनौती नौकरियों की कमी रही है, जो उन्हें तब मिलती थी जब लद्दाख पूर्ववर्ती राज्य जम्मू और कश्मीर का हिस्सा था।

इन चुनावों में श्री नामग्याल की छवि और लोकप्रियता भी दांव पर है। चुनाव में पार्टी की साख बचाने और सीटों में सुधार करने के लिए बीजेपी ने उन्हें इस चुनाव प्रचार के लिए आगे बढ़ाया था।

भाजपा सांसद जामयांग त्सेरिंग नामग्याल ने स्टैकचाय खंगराल निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल करने के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं और मतदाताओं को हार्दिक बधाई देकर उनका आभार व्यक्त किया।

2019 में लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग कर केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद कारगिल में पहली बार चुनाव हुआ। लद्दाख बिना विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश है। लेह और कारगिल की 30-30 सदस्यों वाली जुड़वां पहाड़ी परिषदें इस क्षेत्र की मुख्य निर्वाचित संस्थाएं हैं, जो स्थानीय स्तर पर शासन के मुद्दों को देखती हैं। प्रत्येक परिषद में चार सदस्य मनोनीत किये जाते हैं।

कांग्रेस ने कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) की मांगों का समर्थन करने का फैसला किया, जो लद्दाख की संस्कृति, भूमि, नौकरियों और पर्यावरण की रक्षा पर राज्य का दर्जा और संवैधानिक गारंटी के लिए है। हालांकि, भाजपा ने ये चुनाव 2019 के बाद क्षेत्र में की गई विकास पहलों पर लड़ा। नई परिषद 11 अक्टूबर से पहले गठित होने वाली है।

नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने एलएएचडीसी चुनाव में अपनी जीत के बारे में पत्रकारों से बात करते हुए कहा, “हमें बहुत सारी उम्मीदें हैं, लेकिन हमें नतीजों का इंतजार करना चाहिए…।”

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