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अजमेर के मानपुरा गांव में गौ सेवा की भावना से 90 गिर नस्ल की गायों को पाल रही हैं जुझारू महिला सुनीता माहेश्वरी

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एस पी  मित्तल, अजमेर
काम करने का अपना अपना जुनून है, अब इस  जुनून  में महिलाएं पुरुषों से आगे निकल रही है, जुनून के तहत ही श्रीमती सुनीता माहेश्वरी अजमेर की रूपनगढ़ तहसील के मानपुरा गांव में 15 बीघा भूमि पर श्री चारभुजा गिर गाय संरक्षण एवं संवर्धन केंद्र का संचालन कर रही हैं। इस गौशाला में भले ही मुनाफा न हो, लेकिन 90 गिर नस्ल की गायों को पाला जा रहा है। सुनीता का कहना है कि उनका उद्देश्य मुनाफा कमाना नहीं बल्कि गौ पालन और जैविक खेती के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। गायों के मूत्र और गोबर से ही खाद बनाई जाती है। इस खाद से ही गायों के लिए हरा चारा उगाया जाता है।

गाय एक ऐसा पशु है जो मनुष्य के जीवन से जुड़ा हुआ है। यूं तो प्रत्येक गाय का दूध लाभ कारी है। लेकिन गिर नस्ल की गाय का दूध तो मनुष्य के शरीर के लिए अमृत के समान है। कोरोना काल में देशी विदेशी कंपनियां इम्यूनिटी बढ़ाने के नाम पर अपने उत्पाद बेचकर करोड़ों रुपया कमा रही है, जबकि गाय खास कर गिर नस्ल की गाय का दूध पीने से इम्यूनिटी पावर अपने आप बढ़ जाती है। हम यदि गायों के बीच रहते हैं तो हमें कोई रोग नहीं लगे

गा। गौ माता में इतनी ताकत है कि वह हमें सभी रोगों से दूर रखती है। यही वजह है कि गाय के गोबर और मूत्र से जो खाद बनाई जाती है उसमें किसी भी रासायन की जरुरत नहीं होती। हमारी सनातन संस्कृति में तो प्रत्येक घर में कम से कम एक गाय पालन की सीख दी गई है। जिस स्थान पर गाय बांधी जाती है वह स्थान भी पवित्र हो जाता है। हमारी तो परंपरा भी यही रही है कि गाय के गोबर से घर आंगन को पवित्र किया जाता है। श्रीमती माहेश्वरी ने बताया कि उनकी गौशाला ग्रामीण क्षेत्र में है इसलिए दूध की बिक्री नहीं हो पाती है। लेकिन बिलोना पद्धति से घी का उत्पादन किया जाता है। उनकी गौशाला में तैयार घी पारंपरिक तरीके से बनाया जाता है। गौशाला चलाने और फिर गाय के दूध के प्रोडक्ट बनाने को लेकर वह स्वयं समय समय पर प्रशिक्षण लेती हैं। उनकी गौशाला में आकर कोई भी व्यक्ति जैविक खाद और गोपालक के बारे में जानकारी हासिल कर सकता है। उन्होंने बताया कि गौशाला में जो नंदी जन्म लेते हैं उन्हें आज तक बेचा नहीं गया है। उन्नति किस्म के नंदियों को गौशालाओं को निशुल्क दिया जाता है। यदि किसी गौ शाला को उन्नति किस्म के नंदी की आवश्यकता है तो  वह उनकी गौशाला से ले सकते हैं। श्रीमती माहेश्वरी ने अपने अनुभव के आधार पर बताया कि जब गौशाला का माहौल खुशनुमा होता है, तब गाय भी ज्यादा दूध देती है। लेकिन जब कभी किन्हीं कारणों से माहौल तनावयुक्त होता है तो गायों के दूध में गिरावट हो जाती है। लोगों में अब जिस तरह से गाय के दूध के प्रति जागरूकता बढ़ रही है उससे गौशालाओं की आर्थिक स्थिति भी सुधरने लगी है। श्रीमती माहेश्वरी के सेवा भाव और गायों के संरक्षण एवं संवर्धन को देखते हुए ही पशुपालन विभाग ने उन्हें राज्य स्तर पर सम्मानित किया गया। इसी प्रकार 26 जनवरी को जिला स्तर पर भी श्रीमती माहेश्वरी को सम्मानित किया गया। गौशाला के संबंध में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 8302213859 पर सुनीता माहेश्वरी से ली जा सकती है। 

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