उज्जैन
महाकाल की नगरी उज्जैन में मां-बेटी का मिलन हुआ। मां बिहार के गया से भटकर 1200 किलोमीटर दूर स्थित उज्जैन आ गई। बेटी बिहार में हर जगह तलाश कर हार गई। वह अखबारों में मिसिंग ऐड देती रही। उज्जैन में के सेवधाम ने उससे संपर्क किया तो वह यहां मां को लेने पहुंच गई। पिता की मौत के बाद से ही मां मानसिक रूप से अस्वस्थ है।
अंकित ग्राम’ सेवाधाम आश्रम के संस्थापक सुधीर भाई गोयल ‘‘भाईजी’’ ने बताया कि इस कोरोना काल ने कितने ही परिवारों को लील गया, कुछ दिनों पूर्व हंसता खेलता परिवार उजड़ गया। कुछ लोग मानसिक रूप से अस्वस्थ होकर सड़कों पर इधर उधर भटक रहे है। ऐसा ही वाकया है गया की रहने वाली 65 वर्षीय वृद्धा माधवी के साथ हुआ। मेडिकल कंपनी में मैनेजर रह चुके उनेें पति की 11 नवंबर 2020 में मौत हो गई थी। इसके बाद माधवी का मानसिक संतुलन बिगड़ गया।
मोक्ष दिलाने के नाम पर पाखंडियों ने लूटा
गया में पाखंडियों के चक्कर में आकर वह अपना रुपए लुटाती रहीं। कुछ दिनों पहले वह गया से ट्रेन में बैठकर उज्जैन महाकाल मंदिर आ गईं । यहां लाॅकडाउन के चलते कहीं भी आश्रय न मिलने पर एक बालक ने उन्हें कहा कि आप थाना महाकाल चले जाओं वह आपकी मदद करेंगे। थाना प्रभारी थाना महाकाल ने सम्पूर्ण स्थिति जानकर सेवाधाम आश्रम में 20 मई को भेज दिया। महाकाल थाना ने महिला के पास मिली एक डायरी से फोन नंबर के आधार पर कुछ लोगों को फोन लगाए। इनमें से एक फोन वृद्ध महिला की बेटी के पास भी पहुंच गया।
मां के उज्जैन में सेवाधाम आश्रम में रहने की खबर सुन बेटी अपने पति और परिवार के साथ को सेवाधाम पहुंची। बेटी ने बताया कि हमने बिहार के अनेक अखबारों में मिसिंग ऐड दिए। सभी रिश्तेदारों के यहां ढूंढा, लेकिन मां कहीं नही मिली। दो दिन पहले जानकारी मिली कि वह उज्जैन में है तो हम उज्जैन आए।
खुशी के आंसू के बहेे
आश्रम परिसर में जैसे ही मां और बेटी का मिलाप हुआ। दोनों माँ-बेटी का रूदन एवं मिलाप देकर लोग आश्चर्य में पड़ गए। महिला जब आश्रम पहुंची तो उसके पास 76 हजार से अधिक रुपए थे, जो उसकी बेटी को सौंप दी गई। पूरे मामले में महाकाल थाना पुलिस का काम सराहनीय रहा, पुलिस ने ही फोन नंबर के आधार पर परिजनों को ढूंढा।