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जमीन अधिग्रहण मामले में सिर्फ 35 जमीन मालिकों को ही मिलेगा हाईकोर्ट आदेश का लाभ

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इंदौर। लगभग 35 साल पहले इंदौर विकास प्राधिकरण ने निरंजनपुर और पिपल्याकुमार क्षेत्र में 84.237 हेक्टेयर यानी 210 एकड़ जमीन का अधिग्रहण करते हुए योजना 114 पार्ट-1 और पार्ट-2 घोषित की थी और फिर इसे बाद के वर्षों में अमल में लाया गया। कुछ रसूखदारों की जमीनें शासन स्तर पर योजना को अमल में लाए जाने के दौरान ही छूट गई थी, तो कुछ गृह निर्माण संस्थाओं को भी अनुबंध के आधार पर भूखंड दिए गए। वहीं शेष जमीनों पर प्राधिकरण ने भूखंडों को विकसित कर बेच भी दिया। अभी हाईकोर्ट की डबल बेंच ने 46 पेज का विस्तृत आदेश पारित किया, जिसमें याचिकाकर्ता 35 जमीन मालिकों को इसका फायदा मिलेगा और उनकी जमीनों पर किया गया अधिग्रहण अवैध करार दिया गया है।

जिन जमीन मालिकों को इसका फायदा मिलना है वे बीते कई सालों से कोर्ट-कचहरी ही कर रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर ही हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई की। प्राधिकरण ने 1989 में ये योजना घोषित करते हुए उसका नोटिफिकेशन करवाया था और उसके बाद जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया की गई। अभी न्यायमूर्ति द्वय ने जो फैसला दिया उसका लाभ अभिभाषक मुदित माहेश्वरी के मुताबिक 35 याचिकाकर्ताओं को ही मिलेगा। उनकी ओर से श्री माहेश्वरी ने ही तथ्यात्मक जानकारी हाईकोर्ट के समक्ष रखी। इन जमीन मालिकों में मनोहरलाल, श्यामलाल, रामेश्वर, बाबूलाल त्रिवेदी के अलावा जितेन्द्र, महेन्द्र जैन और अन्य भी शामिल हैं। जैन नर्सरी की चर्चित जमीन के साथ अन्य कुछ जमीनें भी इस फैसले के दायरे में आ रही है। प्राधिकरण के भू-अर्जन अधिकारी सुदीप मीणा का कहना है कि हाईकोर्ट के इस आदेश की जानकारी ली जा रही है और फिर विधि विशेषज्ञों के साथ विचार-विमर्श कर इस मामले में निर्णय लिया जाएगा।

से तो प्राधिकरण सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ एसएलपी दायर करेगा ही, क्योंकि पूर्व में भी इस तरह के मामलों में प्राधिकरण का यही रुख रहा है। सूत्रों का कहना है कि प्राधिकरण की एक मजबूरी यह है कि उसे हाईकोर्ट में हारने के बाद सुप्रीम कोर्ट जाना ही पड़ता है। अन्यथा उस पर यह आरोप लगते हैं कि वह जमीन मालिकों को उपकृत करना चाहता है। इसलिए फैसले के खिलाफ अपील नहीं की गई। लिहाजा ऐसे अधिकांश प्रकरणों में प्राधिकरण सुप्रीम कोर्ट में अपील करता है और वहां से कई मौकों पर उसके पक्ष में फैसले आए भी हैं। यही कारण है कि 114 पार्ट-1 और पार्ट-2 के जमीन अधिग्रहण के मामले में जो ताजा फैसला हाईकोर्ट से आया है उसका अध्ययन कर प्राधिकरण सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगा। प्राधिकरण का कहना है कि यह मामला सालों से कोर्ट में ही चल रहा है और यह जमीन फिलहाल खाली भी है। इस फैसले में कितनी जमीनें शामिल हैं और वर्तमान में उनकी क्या स्थिति है इसकी जानकारी भी प्राधिकरण हासिल कर रहा है। इस योजना में नीरंजनपुर की 57.351 हेक्टेयर और पिपल्याकुमा की 20.695 हेक्टेयर जमीन शामिल की गई है। अभी हाईकोर्ट ने जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया को गलत बताया और उसे न्यायसंगत भी नहीं माना है और सीधे पक्ष सुने बिना धारा 17 का इस्तेमाल करते हुए जमीनों का अधिग्रहण कर लिया गया।

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